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हरित मित्र परिवार एंबेस्डर अंजुम क़ादरी जी

ए आई सी सी पी ओ
की राष्ट्रीय अध्यक्ष व हरित मित्र परिवार के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ महेंद्र घागरे जी पुणे,
डॉ वीरेंद्र जैन जी पंजाब,
मज़हिर खान जी
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के कार्यकारिणी सदस्य (एन सी पी यू एल)
अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा इंडिया
के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रदत्त जोशी जी, जनरल सेक्रेटरी
डॉ अमिता अधिकारी जी,
जनार्दन बूदलाकोटी जी कोटद्वार,
डॉ सुलेखा जी अलीगढ़, किसान संसद के राष्ट्रीय सलाहकार चौधरी गुलवीर सिंह जी हाथरस,
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी जी,
हरपाल सिंह जी यमुनानगर,
काशी कविता मंच वाराणसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिथिलेश कुमार जी, एम एम बिष्ट जी देल्ही
ने हरेला के पावन पर्व पर बहुत संख्या में बीज रोपण ब पौधे रोपण किए।
पर्यावरण मित्रों ने पर्यावरण और प्राकृतिक की कुछ इस तरह से अपने शब्दों में तारीफ की है।
पेड़ पौधे प्राकृतिक और जीवो का अनेक प्रकार से भला करते हैं।
प्रकृति में इन्हीं पेड़ पौधों से हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन गैस मिलती है।
पूरी दुनिया के जीव धारियों के भरण-पोषण के लिए यह पेड़ पौधे विभिन्न प्रकार की उपयोगी वस्तुएं जैसे खाद्यान,फल,सब्ज़ियां रेशे और औषधियां आदि प्रदान करते हैं।
आज आधुनिकता के चलते अनेक उद्योग धंधे लगाए जा रहे हैं।
इन से निकले अपशिष्ट पदार्थ जैसे औद्योगिक कचरा आदि आसपास के पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
यह भी देखा गया है कि कुछ पौधे प्रदूषण और मानव जनित अनेक पर्यावरणीय समस्याओं का निदान करने में सहयोग करते हैं और प्राकृतिक संतुलन कायम करते हैं।
चंद्रदत्त जोशी जी ने अपने शब्दों में कुछ इस तरह कहा है।
मनुष्य अर्थात केवल एक प्रजाति के पृथ्वी के उन संसाधनों का अकेले उपयोग और शोषण कर सकता है जिन पर हमारे साथ-साथ पौधों और प्राणियों की अरबों प्रजातियों का भी अधिकार हो?
हमारी दुनिया में अनेक प्रकार के प्राणी हैं। हमारे साथ पृथ्वी और मौजूद पौधों और पशुओं को भी पृथ्वी के संसाधनों में हिस्सा बांटने और यहां रहने का अधिकार है।
लाखों वर्षों में विकसित एक प्रजाति को विनाश की ओर धकेलने का हमें कोई अधिकार नहीं। जंगली और पालतू पशुओं को जीने का ही नहीं सम्मान से जीने का भी अधिकार है।
एक पशु के साथ क्रूरता नैतिक दृष्टि से मनुष्य की मनुष्य के साथ क्रूरता से कतई भी भिन्न नहीं।
डॉ अमिता जी और सभी का कुछ इस तरह से कहना है।
आज की दुनिया में हम लोग पेड़ पौधों और प्राकृतिक से बहुत खिलवाड़ करते आ रहे हैं।
हमारे घरों की साज-सज्जा पेड़ पौधों के बने हुए डिज़ाइनिंग फर्नीचर से हो रही है और हम लोग पेड़ पौधे नहीं लगा रहे हैं।
इसी कारणवश बाड़े आ रही हैं।
जल कम पड़ रहा हैं। भूमि कटाव हो रहा है।यदि हम बहुत संख्या में वृक्ष लगाएं तो हमारी धरती मज़बूत हो जाएगी।
वृक्ष की जड़ धरती को कटने से बचाती है और इससे ऑक्सीजन के कारण वर्षा भी होती है और जल आसानी से ज़मीन में पहुंच भी जाता है।
अक्सर हम प्रकृति को नज़रअंदाज़ करते हैं। हम सूर्यास्त के सौंदर्य को देखने या वन की अथाह शांति में बैठने पक्षियों के गीतों को सुनने या पत्तों के बीच हवा की सरसराहट को सुनने का समय शायद ही निकालते हैं।
एक बीज के मिट्टी से अंकुरित होकर धीरे-धीरे नन्हे से पौधे में बदलने का जादू देखने का कष्ट हम शायद ही करते हों।
मौसम दर मौसम किसी पेड़ पर नए पत्ते फूल और फल लगते या बीज निकलते शायद ही देखते हों।
अपने अपने परिवेशों के मौसमी परिवर्तनों के साथ विभिन्न पशु पक्षियों के परस्पर संबंधों के बदलाव या जुड़ाव पर हम शायद ही कभी सोचते हों।
यह रोज़मर्रा की शुष्क घटनाएं नहीं है यह प्रकृति की उस घड़ी के जादुई और रहस्य में पक्ष हैं जो हमारे चारों तरफ खामोशी से टिक-टिक कर रही हैं।
हम अगर प्रकृति के अद्भुत पक्षों का अनुभव करें तो हमारा जीवन बहुत समृद्ध हो जाएगा।
अगर हम यह समझलें की निर्जनता का अपना एक मूल्य है तो मनुष्य प्रकृति के शोषण की बजाय उसके न्यासी की सही भूमिका निभाएगा। एक प्राकृतिक क्षेत्र जंगल, झील, के तट झरने या सागर तक जाइए जहां मानव ने पारितंत्र में गंभीर परिवर्तन नहीं किए हैं। आप उसके सौंदर्य को महसूस करने लगेंगे।
यही हरेला पर्व कहलाता है।
यही पर्यावरण है और हम सब उसके संरक्षक हैं।
जय हिंद जय संविधान जय वीर और वीरांगना जय भारत महान
