
बेहद दिलचस्प असरदार स्टोरी

लेखिका…. अंजुम कादरी किसान संसद हरित मित्र परिवार एंबेस्डर उत्तराखंड
किश्तवार कहानी पार्ट-1

ज़ाकिर अंसारी संपादक कॉर्बेट बुलेटिन न्यूज़ हल्द्वानी
पिछले 1 घंटे से वह चुपके-चुपके उसका पीछा कर रहा था। वह हर दुकान में घुसी थी और कुछ ना कुछ लेकर निकलती थी। अब खुदा खुदा करके शॉपिंग पूरी हुई थी और वह भी उनके पीछे-पीछे शॉपिंग मॉल से बाहर निकल आया था। अब वह किसी सवारी के इंतजार में खड़ी थी और वह अपनी गाड़ी के आसपास चक्कर लगा रहा था। वह रेशमी बेबी पिंक फ्रॉक चूड़ीदार पजामी में थी। बेबी पिंक दुपट्टा रेड कलर की लैस लगा हुआ शानों के गिर्द लिपटा हुआ था।
दोनों हाथों में शॉपर्स थे। उसकी कमर से नीचे तक लंबे बालों की मोटी सी चोटी थी जो उसकी खूबसूरती बढ़ा रही थी।


फिर जैसे ही उसने एक रिक्शा रोका और सामान समित उसमें सवार हुई। रमीज़ ने भी अपनी गाड़ी तेजी से रिवर्स की और फिर थोड़े फैसले से उसके पीछे पीछे चल पड़ा।

उसका सफर जल्द ही खत्म हो गया। कुछ देर बाद वह अपने घर के बड़े से काले गेट के पास उतरी थी पूर्णविराम वह ज़रा फासले पर गाड़ी रोके उसे गेट के अंदर जाते देख रहा था। फिर कुछ सोचकर गाड़ी से उतरा और गेट पर लंबी बेल का बटन पुश कर दिया।

थोड़ी देर बाद वही लड़की छोटा गेट खोले गर्दन निकाले उसे सवालिया नज़रों से देख रही थी। सिकंदर साहब घर पर है? उसने शराफत भरे अंदाज़ में पूछा। डैडी तो इस वक्त घर पर नहीं होते। उस की मधुर आवाज़ उसके दिल की धड़कन बढ़ा गई। किस वक्त मिल सकेंगे?
रमीज़ ने नज़रों के रास्ते उसे दिल में उतारा। उनका ऑफिस टाइम तो खत्म हो रहा है। वहां से उठ गए होंगे मगर घर आते-आते उनको एक घंटा लग जाता है। आप मुझे अपने घर का फोन नंबर दे दीजिए। मैं उन्हें कॉल करके वक्त ले लूंगा। खड़े-खड़े उसने बहाना गड़ा। आप अपना नाम और कांटेक्ट नंबर दे दीजिए। डैडी आपसे खुद ही बात कर लेंगे। वह आराम से बोली। ज़हीन लड़की थी और अब वह फस गया था। ऐसा है कि अगले 2 घंटे तक तो मैं किसी नंबर पर भी अवेलेबल नहीं होउंगा और आज ही उनसे मिलना चाहता हूं। बे कुछ सोचकर अटक अटक कर बोला। वहां भी जवाब तैयार था ठीक है आप 8:30 तक आ जाइएगा डैडी घर पर आने के बाद कहीं नहीं जाते। अब उसके पास कहने को कुछ नहीं था। गर्दन हिला कर रह गया। वह गेट बंद कर चुकी थी। गाड़ी में बैठते हुए रमीज़ को अपने ऊपर हंसी आ गई। कैसे दिल फेक नौजवानों की तरह उसका पीछा करता हुआ उसके घर तक चला आया था।

मोहब्बत का तीर जब अपने सही निशाने पर लगता है तो ऐसा ही होता है। वह इस तीर का शिकार होकर अपने सब काम भूल कर उसके पीछे चल पड़ा था। अब सिर्फ उसके घर का पता और बाप का नाम नोट किए घर आते हुए उसका ज़हन तरकीबें लड़ा रहा था। घर तो देख लिया मगर अब उस लड़की तक कैसे पहुंचे जिसका नाम तक नहीं जानता। घर आते ही उसने बड़ी भाभी को ढूंढा। वह किचन में थी। यह लीजिए उसने परचा उनकी आंखों के सामने लहराया आपका काम मैंने आसान कर दिया। उस घर में सेंध लगाइए या छापामारिए और अपनी देवरानी को धूमधाम से उठा लेआइए बड़ी भाभी ने चमचा फेंका ऐप्रिन से हाथ पोछते हुए पर्चा उसके हाथ से उचक लिया। सिकंदर अली एडवोकेट। उन्होंने जोर से पढ़कर एक चीख मारी आइ अल्लाह यह लड़की का नाम है। माय गॉड उसने छत की तरफ देखकर ठंडी सांस भरी क्या हो गया है आपको? माना बड़े भाई ने आप को बौखला दिया है

मगर इतना भी नहीं कि अब आप लड़की के बाप का नाम पढ़कर उसे ही लड़की समझ बैठें। लड़की का नाम और दूसरी बातें आपको मालूम करनी है जाकर। तो यूं कहो ना। वह फौरन जाने को तैयार नजर आई और अच्छी तरह एड्रेस पड़ा। घर तो उसी का है ना? उन्होंने कंफर्म करना चाहा। नहीं मुलाजिमा का है उनकी। वह जलकर बोला इतना तो मालूम कर लिया था मैंने। अब अगर पूछता मैडम अपना नाम और काम बताइए तो सही सलामत आपको खड़ा नजऱ आता? पहले ही एक घंटा पीछा करता रहा उसका। अच्छा अच्छा ठीक है। बस अब हम पर छोड़ दो हम सब मालूम कर लेंगे। वह खुश होकर बोली। रमीज़ उनका लाडला देवर था। उसकी किसी बात का बुरा नहीं मानती थी। इस घर में जितना मान उसने दिया था जितनी इज्ज़त वो उनकी करता था और किसी देवर और नंद से नहीं मिली थी। वैसे ताल्लुकात सबसे खुशगवार थे। वह तीन भाई और दो बहन थी घर मे रमीज़ सबसे छोटा था। बड़े भैया और छोटी दो बहनों की शादी हो चुकी थी। आरेज़ की मंगनी चाचा की बेटी ज़रतविश से उसकी पसंद पर कर दी गई थी। मां का इरादा था कि आरेज़ और रमीज़ की शादी एक साथ ही कर दें और इधर रमीज़ को कोई लड़की पसंद ही नहीं आ रही थी। और फिर उसे इतला मिली थी कि अब इस शहर में उसके लिए लड़कियां खत्म हो गई हैं।

आप लोगों की नियत ही ठीक नहीं है। वे उन्हें इल्ज़ाम देता। हां दुश्मन है ना तुम्हारे। सुबैबा सुलगकर कहती
सारा शहर छान मारा है। अब तो किसी से कहते हुए भी शर्म आती है कि भाई के लिए कोई लड़की बताओ। हां देखा। उसने वही बात पकड़ ली कोई लड़की यह कहती हो जब ही तो कोई लड़की देख कर आती हो। ऑफशोर हूर परी कहां से लाएं? वह तभी तो जाति। ना लाओ मैं खुद ही ढूंढ लूंगा। वह भी बड़ी बहन का कोई लिहाज़ ना करता। और अब वाकई वह उसे ढूंढ लाया था।

हूर परी थी कि नहीं मगर उसके लिए दुनिया की आखिरी लड़की वही थी। कब जाना है? बड़ी भाभी ने बेताबी से पूछा। कल शाम को। सुबह आपा को फोन करके बुला लीजिएगा। दूसरे दिन ऑफिस से जल्दी उठा और शाम गहरी होने से पहले ही घर चला आया। फिर भाभी और सुबैबा को गाड़ी में बिठाया और चल दिया कुचां ए जाना में। घर के सामने सड़क की दूसरी तरफ उसने गाड़ी रोकी। बंगले का मेन गेट खुला हुआ था। एक लड़का गाड़ी बाहर निकाल रहा था और अंदर लान में वही लड़की उनकी तरफ पीठ किए हाथ में पाइप लिए पौधों को पानी दे रही थी। उसने वही रेशमी बेबी पिंक फ्रॉक पहन रखी थी मोटी सी चोटी कमर पर झूल रही थी। देखिए भाभी उसने बेताबी से अंदर झांका यही है वह लड़की। इसी के लिए बात कीजिएगा। इतनी देर में गेट बंद हो चुका था। वह गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया। भाभी और सुबैबा ज़रा फासले पर उतरी और पैदल उसके घर तक आई। बेल बजाई वही लड़की गेट खोलने आई। बड़ी भाभी तो उसे देखती रह गई। कहां छुपी थी अब तक। सुबैबा ने बड़े ही करीने से और अच्छे अंदाज में बात बनाई असल में हम अपनी एक फ्रेंड का घर तलाश कर रहे हैं।

पर्चा मेरे हाथ से कहीं गिर गया है। आपको ज़हमत तो नही होगी अगर हम फोन करके उससे घर का नंबर दोबारा मालूम करलें अरे ज़हमत कैसी। आप प्लीज अंदर तशरीफ़ लाइए। उसके मुंह से वाकई फूल झढ़े। अंदर बराड़े की तरफ बडी। आधा घंटा उसके पास बैठकर दोस्ती गांठ कर उससे सारी मालूमात ले चुकी थी। मां से भी दूर की जान-पहचान निकालकर उन्हें आंटी बना लिया था। एक कप चाय पी कर उन्हें अपने घर आने की दावत दे कर बहुत खुश खुश लौटी। रमीज़ बड़े सब्र से गाड़ी से टेक लगाए उनके इंतज़ार में खड़ा था और उनके खिले चेहरे देखकर उसका अपना दिल बलियों उछलने लगा बहुत प्यारी लड़की है। मान गए तुम्हारी चॉइस को।

भाभी ने उसे ऐसे गले लगाया जैसे शादी की बात पक्की करके आई हों। वही है ना जो मैंने दिखाई थी। उसने इत्मीनान करना चाहा। हां भाई 100 फीसद वही है। भाभी ने गाड़ी में बैठते ही स्टार्ट लिया इसके अलावा दूसरी कोई लड़की इन दिनों घर में नहीं है दो बहनें और एक भाई दोनों से छोटा भाई यहां आई कैंप में होता है और वह खुद अभी 2 दिन पहले एग्जाम से फारिंग हुई है और हिंदी पीएचडी है। सारी मालूमात ले ली नाम भी पूछा कि नहीं? नाम पूछना तो हम भूल ही गए। अब आप मुझे तंग करेंगे अब तक तो तुम नचाते आए हो सबको। हमें तो पहली बार यह सुनहरी मौका हाथ आया है। ननंद भावज दोनों दिल खोलकर हंसी और वह नाराज़ हो गया रास्ते में बातों बातों में उसका नाम ले बैठी
अगली किस्त अगले हफ्ते
