रिपोर्टर अतुल अग्रवाल
प्रगतिशील भोजन माता संगठन उत्तराखंड नैनीताल ने अपनी 5 सूत्री मांग को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री महोदय को ज्ञापन प्रेषित किया…
हल्द्धानी :- में प्रगतिशील भोजन माता ने अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन प्रेषित किया संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि भोजन माताओं को क्वरांइटर सेंटरों में काम पर लगाया गया लेकिन उनको सुरक्षा के कोई उपकरण मुहैया नहीं कराए । मदद के रूप में कोई सहयोग राशि नहीं मिली।
भोजन माता बहुत गरीब परिवारों से आती हैं और उन्हें मिलने वाला मानदेय मात्र ₹2000 है।लॉकडाउन के समय बढ़ती महंगाई में उनका घर चलना मुश्किल होता जा रहा है। इस वक्त भोजन माताओं का जीवन गंभीर संकट से गुजर रहा है। भोजन माताओं से जून में काम तो कराया जा रहा है। लेकिन जून माह का मानदेय ही नहीं मिलता यानी भोजन माताओं को मात्र 11 महीने का ही मानदेय दिया जाता है एक तरफ न्यूनतम मानदेय ₹2000 और वह भी 11 महीने का तो हम समझ सकते हैं इन विपरीत परिस्थितियों में भोजन माता का जीवन कितने संकट के दौर से गुजर रहा है सरकार द्वारा आशा वर्कर आंगन बाड़ियों को हजार हजार रुपया अनुदान के रूप में दिया गया लेकिन सबसे निचले पायदान पर आने वाली भोजन माता का नाम कहीं भी नहीं है।
भोजन माता संगठन जब ज्ञापन देने उपजिलाधिकारी महोदय के कार्यालय पहुंचते हैं तो वह वहां मौजूद नहीं थे एक डेढ़ घंटे इंतजार करने के बाद वह उपजिलाधिकारी महोदय से फोन पर वार्ता की जाती है और उनसे कहा जाता है कि हमारा ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम पर है अतः आप हमारा ज्ञापन रिसीव करवा दें उन्होंने कहा कि ज्ञापन तभी लिया जाएगा जब मैं आऊंगा अन्यथा रख कर चले जाओ ज्ञापन रिसीव नहीं होगा इस लाॅक डाउन के समय में एक तरफ सरकार सभी से अनुरोध कर रही है कि आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर निकले वहीं हमारे उप जिलाधिकारी महोदय भोजन माताओं को इंतजार करने को कहते हैं और उनका ज्ञापन रिसीव नहीं किया जाता है हमारे जिलाधिकारी हम गरीब भोजन माताओं की समस्या के प्रति गंभीर नहीं है और उनका यह व्यवहार एक गैर जनवादी व्यवहार को है।
प्रगतिशील भोजन माता संगठन सरकार से मांग करता है की:-
1:- न्यूनतम मानदेय 15000रू० किया जाए।
2:- क्वारंटाइन सैंटरों में लगी भोजन माताओं को सुरक्षा के उपकरण मुहैया कराए जाएं।
3:- महंगाई भत्ता दिया जाए जून माह का मानदेय तत्काल दिया जाएं।
4:- भोजन माताओं को मदद के रूप में प्रतिमाह हजार रुपए की सहयोग राशि दी जाए।