27/01/2020
सीएए के खिलाफ अब संभल में भी महिलाओं का धरना-प्रदर्शन।
शाहीन बाग की तर्ज पर पक्का बाग स्थित हुसैनी मार्ग पर एकत्र हुई महिलाए, सपा सांसद डॉक्टर शफीक उर रहमान वर्क, सपा जिलाध्यक्ष फिरोज खान, सपा विधायक पिंकी यादव, (ए आई एम आई पूर्व चेयरमैन प्रत्याशी चौधरी मुशीर खां ) ने महिलाओं के आंदोलन का किया समर्थन।
एंकर: संभल नगर के पक्का बाग स्थित हुसैनी मार्ग पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महिलाओं ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है इसमें सैकड़ों महिलाएं शामिल हैं साथी इस प्रदर्शन को अनिश्चितकालीन बताया जा रहा है इसमें सीएए, एनआरसी, एनपीआर को खत्म करने की मांग उठाई है।
महिलाओं के धरना प्रदर्शन की जानकारी होने पर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी पहुंचे उन्होंने कुछ महिलाओं के परिजनों से धरना प्रदर्शन खत्म करने के लिए संवाद क्या लेकिन उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का हवाला दिया है।
इसके बाद महिलाओं की भीड़ को संबोधित करने के लिए सांसद डॉक्टर शफीक उर रहमान वर्क पहुंचे उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने हक के लिए आज सड़कों पर आ गई हैं उनका हम समर्थन करते हैं सांसद ने कहा कि सरकार देश के मुसलमानों को दूसरे नंबर पर शहरी बनाना चाहती हैं इसलिए सरकार नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आई है इस कानून को हिंदू सिख और अन्य समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं सांसद ने कहा कि हिंदुस्तान सबका है इस पर किसी एक का हक नहीं है हम देश लोकतंत्र और संविधान को बचाकर रहेंगे।उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर पलटवार किया और कहा कि संघ के प्रमुख ने देश के सभी लोगों को हिंदू बताया है लेकिन ऐसा नहीं है देश का हर नागरिक हिंदुस्तानी है पर हिंदू नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि सरकार की तानाशाही नहीं चलने दी जाएगी। हम इस कानून को स्वीकार नहीं करते जब तक कानून वापस नहीं लिया जाएगा तब तक शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करते रहेंगे।
( ए आई एम आई पूर्व चेयरमैन प्रत्याशी चौधरी मुशीर खां) ने कहा कि इन महिलाओं को मैं सलाम करता हूं आज हुकूमत परेशान है कि पर्दे में रहने वाली ,बेटियां ,महिलाएं बहने ,मां ए ,अपने हक के लिए आज सड़क पर आ गई हैं। और यहां तारीख है इस मुसलमान की इस कौम की यह तारीख है जब हम 313 थे तो हजारों लश्कर के सामने नहीं झुके एक साइन बाग वो है दूसरा साइन बाग संभल की सर जमी पर मुनज़्ज़म कर दिया गया है। अरे हमसे हिंदुस्तान की हुकूमत यह पूछती है कि तुम अपनी पहचान बताओ हमारी पहचान अदल से हम यहां के बशिंदे हैं। यह मुल्क हमारा है हिंदुस्तान हमारा था जब 1947 के अंदर मौलाना आजाद जामा मस्जिद पर खड़े होकर वो तकरीर मुझे आज भी याद है क्योंकि मैंने पढ़ा और सुना था। जब पाकिस्तान का पार्टीशन और हिंदुस्तान का पार्टीशन हो रहा था। तो मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे हिंदुस्तान के अंदर हिंदू भाई रह रहे थे लेकिन जब मौलाना आजाद ने जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर खड़े होकर तकरीर करी इस खलाएं खुदा को छोड़कर कहां जा रहे हो उन्होंने कहा कि इस ताजमहल की खूबसूरती छोड़कर कहां जा रहे हो। इस कुतुबमीनार की बुलंदियों को छोड़कर कहां जा रहे हो हम नहीं गए हमारे पास ऑप्शन था लेकिन तुम्हारे पास ऑप्शन नहीं था।
लेकिन हमें इस मुल्क से प्यार था हम इस मुल्क को चाहते थे। क्योंकि गौरो से आजाद कराने में जितना और लोगों का योगदान रहा है उतना हमारा भी रहा है तुम बताओ अपनी पहचान जब मुल्क की आजादी के लिए यहां हिंदू यहां के मुसलमान अपनी जान के नजराने पेश कर रहे थे। तो तुम अंग्रेजो के तलवे चाट रहे थे। आज हमसे पूछते हो तुम कैसे रहोगे हम हमारी आने वाली 1000 नस्लें यहां रही और इंशा अल्लाह ताला यही रहेंगी।
महिलाओं ने राष्ट्रगान और सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा गाया।
मासूम बच्चों के हाथ में सीएए और एन आर सी के रिजेक्ट लिखे पोस्टर थे।महिलाओं के प्रदर्शन में हम लेकर रहेंगे आजादी के नारे गूंजे आजादी की लड़ाई में शामिल हुए क्रांतिकारियों के नाम लेकर आजादी के लिए नारे लगाए गए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान का हवाला देकर नारे लगाए गए महिलाओं ने जब आजादी के नारे लगाए तो वहां मौजूद कुछ पुरुष ने भी सुर मिलाए।