
संपादक मुस्तज़र फारूकी
कालाढूंगी। भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर विजय की प्रतीक मशाल का रविवार को कालाढूंगी व धमोला पहुँचने पर एनसीसी के बच्चो ने देश भक्ति के नारे लागते हुए मशाल जलूस का भव्य स्वागत किया गया। यहां कालाढूंगी नैनीताल तिराहे पर राजकीय इंटर कॉलेज के एनसीसी के कैडेटों और भारतीय सेना की नगर स्थित सिग्नल कोर के सैनिकों ने भारत माता की आसमान तक गूंजने वाले स्वरों के साथ विजय मशाल का भव्य तरीके से स्वागत किया। बाद में कई किस्मत वाले कैडेटों को विजय मशाल को छूने का मौका भी मिला, जबकि अन्य ने मशाल के साथ फोटो खिंचवाकर स्वयं को धन्य माना।उल्लेखनीय है कि 16 दिसम्बर 1971 को भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को परास्त कर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। इस युद्ध मे पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। पाकिस्तान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए। इसका असर यह हुआ कि युद्ध के 13 दिनों में ही पाकिस्तान को करारी हाल का सामना करना पड़ा। इस ऐतिहासिक विजय की दास्तान लोगों को सुनाने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार स्वर्णिम मशालों को राष्ट्रीय शहीद स्मारक से देश भर के लिए रवाना किया है। बताया गया है कि पाकिस्तान से युद्ध में जिन सैनिकों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उनके जन्मभूमि की मिट्टी को भी एकत्र किया जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय शहीद स्मारक में रखा जाएगा। इस लिहाज से वीरभूमि उत्तराखंड व उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में विजय मशाल को का आना अपने आप में भी गर्व की बात है। उल्लेखनीय है कि विजय मशाल रविवार की सुबह ही के भारतीय सेना के सिग्नल कोर कालाढूंगी पहुंच गई थी। इस मौके पर लेफ्टिनेंट राकेश शर्मा,एके सिंह प्रधनाचर्य, अकील अहमद, मोजी राम, एनसीसी के हेड किरण, मोहित, आदि मौजूद रहे।


