संवाददाता मुस्तज़र फारुकी

कालाढूंगी ईद उल फितर का त्यौहार सादगी के साथ मनाया गया। पहली बार ऐसा हुआ कि ईद के दिन ईदगाह और मस्जिदें सूनी रहीं। लोगों घरों में रहकर नमाज पढ़ी। ईदगाह और मस्जिदों में केवल पांच-पांच लोगों ने नमाज की रस्म निभाई। बड़े खुत्बा में जामा मस्जिद के पेश इमाम, मोती मस्जिद इमाम फिरासत अली ने पांच लोगों को नमाज पढ़ाई। उन्होंने अल्लाह ताला से कोरोना महामारी से जल्द निजात दिलाने की दुआ की।उन्होंने कहा कि अल्लाह मुल्क को इस महामारी से बचाए ताकि अगले साल फिर ईद के मौके पर ऐसी वीरानी देखने को नहीं मिले। फिर से अल्लाह की खिदमत में नमाजियों की जमात इकट्ठा हो सके। पेश इमाम ने कहा कि इस मुसीबत की घड़ी में सभी को एक-दूसरे का साथ देना है। अपने घर के आसपास गरीबों और जरूरतमंदों की हर संभव मदद की जाए यही आज की ईद का सबसे बड़ा संदेश है। इससे समाज में भाईचारा मजबूत होगा और सभी इस मुसीबत में एक-दूसरे का दामन थामकर आगे बढ़ सकेंगे। खुतबा में मौलाना फिरासत अली ने मस्जिद प्रबंध समिति के पदाधिकारी सदर बकील अहमद, हाज़ी जलील अहमद, मोहम्मद इस्लाम, सराफत कुरैशी, बफाउरहम फारूकी, मोहम्मद दानिश, मोहम्मद मेहताब ज़ाहिद, शाकिर हुसैन के साथ नमाज पढ़कर दुआ की।ईद पर शुक्रवार को नगर का नजारा भी हमेशा से जुदा था। बड़े खुतबे में नमाज पढ़ने के लिए जहां ईदगाह से जुड़ने वाली सड़कों पर लोगों रेला चलता था, वहां सन्नाटा पसरा था। ईदगाह में नमाजियों से कहीं अधिक संख्या में पुलिसकर्मी नजर आ रहे थे। इस दौरान मौके पर एसडीएम गौरव चटवाल, थाना अध्यक्ष दिनेश नाथ महंत के साथ पुलिस कर्मी भी ईदगह व मस्जिदों के बाहर मुस्तेद दिखे।
