
मोहम्मद जाकिर अंसारी
हल्द्वानी जिला नैनीताल उत्तराखंड

सुशीला तिवारी हॉस्पिटल हल्द्वानी बना मरीजों की बेज्जती का घर यहां आए दिन होती है मरीजों के साथ बदसलूकी यहां दिखती है डॉक्टरों की साफ-साफ गुंडागर्दी करते हैं डॉक्टर अपने मन की मनमानी जिससे उठानी पड़ती है मरीजों को परेशानी कोई मरे तो मरे जिए तो जिए डॉक्टरों को कोई फर्क नहीं पड़ता उनकी तनखा बराबर चल रही है


उनकी जीवनी पर कोई फर्क नहीं पड़ता कोई जिए या मरे डॉक्टरों की फिर दिखी बड़ी लापरवाही डॉक्टरों की लापरवाही के चलते दर्द से तड़पता रहा मासूम डॉक्टर परिजनों करते रहे मिन्नत डॉक्टर करते रहे परिजनों के साथ बदसलूकी कल रात 17 फरवरी रात्रि 11:30 बजे बच्चे को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे बच्चे को जोर जोर का पेट में दर्द हो रहा था जहां डॉक्टर इलाज करने की बजाय परिजनों से बदसलूकी करनी शुरू कर दी

एक डॉक्टर ने तो बच्चे के पिता को बाहर भी कर दिया यह कहां की इंसानियत है यह कहां का इंसाफ है डॉक्टर को भगवान कहा जाता है तो दूसरी तरफ यह हैवान नजर आते हैं ऐसा ही एक मामला कुछ दिन पूर्व और आया था जो एक सुशीला तिवारी की गायनी डॉक्टर उषा रावत ने पत्रकार की पत्नी से भी की थी बदसलूकी। डॉक्टर लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं । अपनी मनमानी करने पर उतारू है इंसान अपना इलाज कराने के लिए मजबूरी में जाता है ना कि शौक में उसके बावजूद भी नहीं करते हैं सेवा
मरीजो के साथ करते हैं बदतमीजी बदसलूकी ये डॉक्टरों की गुंडागर्दी कहे या हॉस्पिटल में इनका राज। कैसे होगा गरीब लोगों परिवारों का इलाज यह बहुत बड़ा सवाल सामने खड़ा है ।अगर बात करी जाए पूरी वारदात कल रात की इमरजेंसी वार्ड की परिजन बेटे के पेट की दर्द होने पर हॉस्पिटल गए। जहां डॉक्टरों ने खून के सैंपल लेने के लिए हाथ में कई जगह कैथ लगाई मगर नहीं मिली नस सुई के दर्द से बच्चे का रो रो कर बुरा हाल था। जहां हैवान डॉक्टर अपनी हैवानियत से नहीं चूक रहे थे लगातार बच्चे को जख्मी करते जा रहे थे। फिर डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड कराने की बात कही परिजनों ने बताया कि डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए फोन किया मगर उनका फोन व्यस्त आ रहा था

उन्होंने कॉल बैक नहीं की अल्ट्रासाउंड के लिए रात को डॉक्टर नहीं आती है परिजनों से एक डॉक्टर ने परिजनों से प्राइवेट अस्पताल ले जाने को कहा । लेकिन परिजनों ने 100 नंबर पर पुलिस को सूचना दी हंगामा होने के बाद अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर डेढ़ घंटे के बाद पहुंची मरीजों के परिजनों ने कहा कि इमरजेंसी वार्ड में अपनी गलती को छुपाने के लिए दूसरों पर तोहमत लगाते डॉ नशे में धुत था जिसका परिजनों ने वीडियो भी बना लिया है।

मेडिकल कराने की बात पर डॉक्टर गायब हो गया। अब इस तरीके का रवैया जो डॉक्टर सुशीला तिवारी का है अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इस हॉस्पिटल के अंदर ताला नजर आएगा आए दिन डॉक्टरों की बढ़ती जा सही है गुंडागर्दी बदसलूकी प्रिंसिपल डॉ सीपी बेंसोडा की बात की जाए तब हमेशा डॉक्टरों पर कार्यवाही करने की बात करके मामले को दबाने का काम करते हैं। टालमटोल कर देते हैं। फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

इस तरीके का बर्ताव डॉक्टर को शोभा नहीं देता इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन वह कार्यवाही कौन करेगा यह कार्यवाही सिर्फ और सिर्फ कागजों में दिखती है डॉक्टर वही नजर आते हैं । डॉक्टर वही करते हैं। जो उनका मन करता है ।आए दिन मरीजों के साथ बदसलूकी बदतमीजी अपनी मनमानी करते हैं । सही ढंग से इलाज नही करते है।अपने मनमाने ढंग से करते हैं मरीजो का इलाज

जिसका खामियाजा मरीजों को अपनी मौत से चुकाना पड़ता है। या फिर दूसरे अस्पताल में जाकर अपना इलाज कराना पड़ता है। अमीर इंसान अपना इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर करा लेता है मगर गरीब इंसान कहां जाएं ना ही उसके पास कोई दूसरा रास्ता नही होती है ना ही पैसा वह मजबूरी में यही अपना इलाज कराना पसंद करता है ।जिसका उसको खामियाजा अपनी मौत से चुकाना पड़ता है

सुशीला तिवारी हॉस्पिटल सिर्फ और सिर्फ नाम का हॉस्पिटल है यहां सिर्फ रेफर किया जाता है इसके अलावा कोई भी काम नहीं होता है कोई अगर जबरदस्ती अपने मरीज को इलाज के लिए लेकर जाता है और जबरदस्ती करता है तो उसका खामियाजा उसे अपनी मौत से चुकाना पड़ता है जोकि डॉक्टर यहां इन कामों में बहुत ही माहिर है या तो रेफर करते हैं। या गलत ट्रीटमेंट कर उसकी जान ले लेते हैं । ऐसे कितने ही मामले सामने आए हैं। इसमें आए दिन विवाद देखने को मिला है। ऐसे लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ सरकार को सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए जिससे दूसरा डॉक्टर ऐसी कोई हरकत ना करें जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़े।

