हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी हल्द्वानी विधानसभा प्रत्याशी ने अजमेर शरीफ उसमें भिजवाई चादर
ब्यूरो रिपोर्ट हल्द्वानी
हल्द्वानी में आज हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी जी ने अपने निवास से अजमेर शरीफ शहंशाह ए हिंदुस्तान सरकार खुवाजा गरीब नवाज के दरबार मै जायरीनों के हाथ उर्स शरीफ में चादर पेश करी और सरकार गरीब नवाज मै दुआ की गुजारिश करी गरीब नवाज हम सब पर अपना करम बनाए रखें।
आपको बताते चलें हल्द्वानी विधानसभा से एआईएमआईएम से 2022 का चुनाव लड़ रहे हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी अजमेर शरीफ से बड़ी अकीदत रखतें हैं।जिसके चलते चुनाव में उर्स ए मुबारक पड़ा जिसके चलते आज हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने जय दिनों के हादसे चादर पोशी कराने के लिए चादर अजमेर शरीफ भिजवाई
अज़मेर शरीफ़ का इतिहास
आज से कोई 800 साल पहले एक दरवेश सैकड़ों मील का कठिन सफर तय करता हुआ अल्लाह का पैगाम लिए जब ईरान से हिन्दुस्तान के अजमेर पहुंचा तो जो भी उसके पास आया उसी का होकर रह गया। उसके दर पर दीन-ओ-धर्म, अमीर-गरीब, बड़े-छोटे किसी भी तरह का भेदभाव नहीं था। सब पर उसके रहम-ओ-करम का नूर बराबरी से बरसा। तब से लेकर आज तक 8 सदी से ज्यादा वक्त बीत गया लेकिन राजा हो रंक, हिन्दू हो या मुसलमान, जिसने भी उसकी चौखट चूमी वह खाली नहीं गया।
ख्वाजा साहब या फिर गरीब नवाज के नाम से लोगों के दिलों में बसने वाले महान सूफी संत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का बुलंद दरवाजा इस बात का गवाह है कि मुहम्मद-बिन-तुगलक, अल्लाउद्दीन खिलजी और मुगल अकबर से लेकर बड़े से बड़ा हुक्मरान यहां पर पूरे अदब के साथ सिर झुकाए ही आया। यह दरवाजा इस बात का भी गवाह है कि ख्वाजा साहब सर्वधर्म सद्भाव की दुनिया में एक ऐसी मिसाल हैं
जिसका कोई सानी नहीं है। महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह सिर्फ इस्लामी प्रचार का केंद्र नहीं बनी, बल्कि यहां से हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है।
इसकी मिसाल ख्वाजा के पवित्र आस्ताने में राजा मानसिंह का लगाया चांदी का कटहरा है, वहीं ब्रिटिश महारानी मेरी क्वीन का अकीदत के रूप में बनवाया गया वजू का हौज है। तभी तो प्रख्यात अंग्रेज लेखक कर्नल टाड अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि ‘मैंने हिन्दुस्तान में एक कब्र को राज करते देखा है।