गुनगुनाती मुस्कुराती हुई मोहब्बत
अंजुम कादरी की क़लम से दिलजस्ब रोमांटिक कहानी
ब्यूरो रिपोर्ट ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
किश्तवार दिलचस्प लव स्टोरी – पार्ट-1
गार्डन में अब्दुल के साथ साथ चलते नरमीन ने कहा था-” मोहब्बत कभी नहीं मरती अब्दुल! हमेशा ज़िंदा रहती है दिल में आग लगाए रखती है।
यह आग कभी नहीं बुझती अब्दुल!
हम भले कुछ भी कहे हज़ार दावे करें किसी को भूल जाने के किसी और के साथ कितनी ही अच्छी ज़िंदगी गुज़ारें तब भी आग जलती रहती है।
इस मोहब्बत की आग को जिसने पहले यह दिल को छुआ हो। वह आग हमेशा अंदर ही अंदर जलाती और राख करती रहती है।
तो क्या मेरी मोहब्बत भी तुम्हारे दिल में हमेशा ज़िंदा रहेगी?
अब्दुल चलते चलते ही रुक गया।
हां। उसने अब्दुल की तरफ देखा। चाहे मैं तुमसे मोहब्बत ना करूं?
उसके लहज़े की शोखी नरमीन से छुपी ना रह सकी हां चाहे तुम मुझसे मोहब्बत ना करो। नरमीन संजीदा हो गई तब भी तुम्हारी मोहब्बत की आग मेरे अंदर यूं ही जलती रहेगी
अब्दुल की आंखों में नमी उतर आई थी नरमीन उसकी आवाज़ बोझल हो रही थी तुम मुझे इतना चाहती हो? इतनी बेलोस और बेग़रज़ चाहत है तुम्हारी।
चाहत हमेशा बेलोस और बेग़रज़ होती है।
“- वह मुस्कुराइ
हां तुम सही कहती हो नरमीन तुम्हारी मोहब्बत ने मुझे यकीन दिला दिया है कि चाहत और मोहब्बत हमेशा बेग़रज़ होती है।
वरना मुझ जैसा गरीब और बेहैसियत शख्स नरमीन मुनीर की मोहब्बत के काबिल ना होता।
यार प्लीज अब्दुल ऐसा मत कहा करो नरमीन ने उसे टोका था।
मोहब्बत कुछ नहीं देखती न हैसियत न मर्तबा न उम्र न शक्ल जब होती है तो बस हो जाती है।
लेकिन इसका अंजाम——
अब्दुल उदास हो गया था।
अच्छा होगा।
नरमीन की आंखों में यकीन की चमक थी।
यह हीर रांझा और लैला मजनू का ज़माना नहीं है।
इस जमाने में मोहब्बतें हमेशा नाकाम नहीं रहती।
लेकिन नरमीन तुम्हारे पापा??????
अब्दुल ने डरते हुए कहा।
वह कैसे अपनी बेटी का हाथ एक ऐसे शख्स के हाथ में दे सकते हैं।
जिसका अपना घर तक ना हो जो सिर्फ 5000 कमाता है और 6 लोगों का पेट भरता है पापा मेरी बात नहीं टालते। लेकिन अगर ऐसा हुआ भी तो मैंने कहा न। मोहब्बत कभी नहीं मरती है। हमेशा जिंदा रहती है। तुम्हारी मोहब्बत की आग भी मेरे अंदर हमेशा जलती रहेगी। उसने बड़े यकीन से कहा था।
लेकिन आज 18 साल के बाद वह सोच रही थी। क्या वाकई उसके अंदर अब्दुल की। मोहब्बत की आग उसी तरह जल रही है। तो उसे लगा था कि अंदर दूर तक बुझी हुई राख है। और बस अरसा
हुआ उसने अब्दुल को सोचा तक ना था।
यह आग कैसे और कब बुझ गई। उसने कुर्सी पर टेक लगाकर आंखें बंद कर ली। अब्दुल से उसकी पहली मुलाकात बुक स्टॉल पर हुई थी। वह एक किताब लेने गई थी। सेल्समैन ने किताब निकालकर काउंटर पर रखी ही थी। कि किसी ने हाथ बढ़ाकर किताब उठा ली थी। उसने पलट कर देखा फिर जैसे साकित हो गई थी। किसी मर्द में इतना हुस्न उसने आज तक नहीं देखा था। क्या कोई मर्द इतना हसीन हो सकता है। उसने उसे देखकर सोचा था।
सॉरी उसे अपनी तरफ देखते पाकर नरमीन ने किताब पर से नज़रें हटा ली थी। इतनी पुरकशिश आंखें नरमीन को अपना दिल जैसे उन आंखों में डूबता हुआ महसूस हुआ था। मैं बहुत दिनों से इस किताब की तलाश में था। उसने यह बात कहते हुए किताब नरमीन की तरफ बढ़ाई तो नरमीन ने चौक कर किताब ले ली।
उम्मीद है आपने मेरी सॉरी कुबूल कर ली होगी। यह कहकर वह मुस्कुराया उसकी मुस्कान भी बहुत दिलकश और आवाज़ बहुत पुरकशिश थी। आपके लिए भी निकाल दूं सेल्समैन ने पूछा। इस वक्त नहीं फिर आकर ले जाऊंगा। लेकिन सर इस वक्त क्यों नहीं।मेरे पास अभी सिर्फ 100 रुपए है। सेल्समैन उसे शायद जानता था। आप दो बार पहले भी पूछ चुके हैं। तब किताब नहीं थी। हां यार वह मुस्कुराया। उसकी मुस्कुराहट भी उसकी तरह खूबसूरत थी। मैं कल आकर ले लूंगा। मैं तो एक बर्थडे कार्ड लेने आया था। अपने दोस्त की बर्थडे पर देने के लिए। ठीक है सर।