पर्यावरण संबंधी नैतिकता का बंधन उन मुद्दों से है जो मनुष्य के जीवन और कल्याण के लिए बुनियादी हैं। पर्यावरण नैतिकता का संबंध ना सिर्फ आज की पीढ़ी से है बल्कि भावी पीढ़ियों से भी है।
इसका संबंध मनुष्य के अलावा पृथ्वी पर रह रहे अन्य प्राणियों के अधिकारों से भी है। इसीलिए मैं डॉ महेंद्र घागरे भारत वासियों से अपील करता हूं अधिका अधिक वृक्ष लगाएं और उनकी देखरेख करें।

वृक्ष से ही वटवृक्ष बनते हैं।
वृक्षों से ही हमारा जीवन चलता है।
केवल हमारे पेड़ पौधे और जीव जंतु ही समाप्ति के कगार पर नहीं है।
विश्व की अनेक जनजातियों में से हिंद महासागर के अंडमान और निकोबार दीप समूह की जारवा जाति के लोगों की संख्या भी धीरे-धीरे कम हो रही है। अपनी भूमि पर उनके पारंपरिक अधिकारों से उन्हें बेदखल कर देने से उनके अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। उन्हें अपनी पारंपरिक जीवनशैली छोड़ने पर विवश किया जा रहा है। जिसके कारण देशी जनजातियों की जनसंख्या तेजी से घटने लगी है इसीलिए कहा जा रहा है वृक्ष जरूर लगाएं धरती को हरा-भरा बनाए वृक्ष ही जीवन है और जन जातियां भी वृक्ष के आधार पर चलती हैं।
