रिपोर्टर समी आलम
पिछले कई दिनों से हल्द्वानी के हीरानगर स्थित उत्थान मंच विवादों से घिरा हुआ है एक बार फिर गवर्नमेंट ऑफिसियल्स को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी हीरानगर से जुड़े पदाधिकारियों ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि पर्वतीय उत्थान मंच समिति जो सम्पत्ति को खुद को आवंटित होने की बात कह रहा है वह उसे कभी आवंटित ही नहीं की गयी है। अवैध कब्जे के आधार व्यवसायिक गतिविधि चलाने की जानकारी स्थानीय प्रशासन को हुई तो प्रशासन द्वारा कानूनी कार्यवाही कर अवैध निर्माण के संबंध में मुकदमा दर्ज किया फिर न्यायायिक प्रक्रिया के तहत अवैध निर्माण होनी पाए जाने पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। जिसे निष्प्रभावी करने के लिए पर्वतीय उथानमंच समिति द्वारा राजनीतिक रसूद व क्षेत्रवाद की आड़ लेकर के सरकार से एक शासनादेश जारी करवा लिया जिसमें सिर्फ अवैध निर्माण वाला मुख्य भवन है उसका मालिकाना हक देने की घोषणा कही गयी थी जो गलत शासनादेश था इसलिए गवर्नमेन्ट ऑफिसियल्य को आपरेटिव हाउसिंग सो० (लि०) ने उसे रद्द करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय मे याचिका दायर करी जिसमें वर्ष 2018 में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के द्वारा शासनादेश को रद्द किया गया पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच की आज तक जो आय हुई है उसकी पूरी जाँच की जाए, वही उत्थान मंच में चौकीदार के रुप में कार्यरत कुंदन सिंह जीना ने 08 जुलाई 2011 को आत्महत्या करने से पूर्व एक सुसाइड नोट में संस्था के पदाधिकारियों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने को दोशी ठहराया गया था जिसकी जांच की जानी चाहिए।

