जाकिर अंसारी संपादक कॉर्बेट बुलेटिन हल्द्वानी
आगे बढ़ चली हैं बेटियाँ
ऊँचाइयों पर चढ़ चली हैं बेटियाँ।
पाकर अक्षर ज्ञान का खजा़ना
विद्वान बन चली है बेटियाँ।
संभाल कर देश की कमान
महान बन चली है बेटियाँ।
चला कर हवाई जहाज़
भेद बेटा-बेटी का मिटा चली है बेटियाँ।
सेना में पाकर पद और सम्मान
नाम बेचारी का हटवा चली है बेटियाँ।
रोशन करके माँ-बाप का नाम
घर को जन्नत बना चली हैं बेटियाँ।
मिटा कर कोख में बलि का भ्रम
बेटी होने की मन्नत मँगवा चली है बेटियाँ।
आगे बढ़ चली हैं बेटियाँ
ऊँचाइयों पर चढ़ चली हैं बेटियाँ।