रिपोर्टर- ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में शत्रु सम्पत्ति मैट्रोपोल मामले में, याचिकाकर्ताओं को निराशा के साथ नहीं मिली कोई भी राहत उच्चतम न्यायालय में शत्रु संपत्ति याचिका को खारिज करते हुए अतिक्रमणकारियों को समय देने से इनकार कर दिया गया है।


मामले में याचिकाकर्ता महमूद अली और याचिका में आए अन्य कब्जेदारों ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ से कहा कि वो अंडरटेकिंग नहीं दे सकते और कोर्ट आदेश पारित कर ले।खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ध्वस्तीकरण रोकने से इनकार कर दिया।

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर प्रार्थना की थी कि उनके मकान ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि एस.डी.एम.ने उन्हें नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना और उन्हें जमीन खाली कर जाने को कहा। वो सौ वर्षों से उस भूमि में काबिज हैं और अब कहाँ जाएं ?

मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में वी.सी.के माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता बी.पी.नौटियाल ने अपना पक्ष रखा। इसके अलावा याची के ही दूसरे अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जिरह की। मामले की सुनवाई दोपहर लंच से पूर्व लगभग 12:06 बजे शुरू हुई।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने दोपहर लंच के बाद उपस्थित होकर कहा कि वो अंडरटेकिंग नहीं दे सकते हैं। उन्हें मानवता के नाते अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ समय दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने साफ लहज़े में कहा कि वो याचिका को खारिज कर रहे हैं

और अतिक्रमणकारियों को कोई समय नहीं देंगे। अब देखना यह होगा क्या हकीकत में नैनीताल में मकानों पर चलेगा सरकारी पीला पंजा, आखिरकार अब होना क्या है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा??????
