ब्यूरो,मोo ज़ाकिर अंसारी,हल्द्वानी
✍🏻 राइटर अंजुम क़ादरी
आजकल हर दिशा से एक ही आव़ाज आ रही है कि हम खतरे में हैं हम खतरे में हैं।
हिंदू कह रहे हैं हम खतरे में हैं। मुस्लिम कह रहे हैं हम खतरे में हैं।
जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है कोई खतरे में नहीं है बस इतना याद रखो हर उरूज को जवाल है, हर सितम की इंतहा है, क्योंकि यह दुनिया मकाफाते अमल है इस हाथ दे उस हाथ ले। और वैसे भी होता वही है जो ईश्वर अल्लाह चाहता है क्योंकि दुनिया का सृष्टि का रचयिता तो वही है इंसान के बस में होता तो कब का इंसानों को खत्म करके अकेला राज करता लेकिन ऐसा नामुमकिन है बादशाह सिकंदर के बारे में सभी जानते हैं कारुन बादशाह के बारे में भी सभी जानते हैं शद्दाद, नमरूद ,फिरौन के बारे में भी सभी जानते हैं
आजकल यह जो इतनी अराजकता संप्रदायिकता हो रखी है यह सब हमारे आज के नए कलमकारों की देन है जो भी दिल चाहता है लिखकर सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं। और खुद को कलम का सिपाही बताते हैं।
जबकि एक ऐसा वक्त था की हमारे भारत को हज़ारों ईमानदार कलमकार मिले हमारे हज़ारों लेखक स्पष्ट लिखकर गए जिनको हम आज भी पढ़ कर इबरत हासिल कर रहे हैं और हमारी तमाम आने वाली नस्लें भी उन लेखोंको को पढ़कर इबरत हासिल करेंगी।
लिखने का शौक है तो कुछ ऐसा लिखो जो राहत दे सुकून दे और हर दिशा में शांति का परचम लहरा जाए आपके ना होने पर भी आपका नाम गर्व से लिया जाए।
जैसे मिर्ज़ा ग़ालिब ,मीर, तकी, फराज़, डॉ अल्लामा इकबाल, डॉ इकबाल विश्व स्तरीय लेखक जिन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा लिखकर
फिरंगियों के छक्के छुड़ा दिए थे और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट करने में कोर कसर नहीं छोड़ी बकिम चंद्र चटर्जी, चटर्जी को कौन नहीं जानता यह एक बंगाली लेखक ,कवि, पत्रकार थे फिर भी उन्होंने अपना पहला उपन्यास अंग्रेज़ी में लिखा था और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यकर्ताओं को अपनी रचनाओं से इस सीमा तक प्रेरित किया कि उनका गीत वंदे मातरम भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार कर लिया गया।
एलिजाबेथ कोचर सीमैन, कमाल खान, एम जे अकबर, अभिसार शर्मा, खुशवंत सिंह, खुशवंत महा पत्रकार थे आपका निधन 2014 मेही हुआ है बताते हैं आपके पिता के नाम में आधी दिल्ली बताई जाती है उसके बावजूद भी आपने निष्पक्ष तौर पर पत्रकारिता की बिल्कुल सत्यता के आधार पर और सादा जीवन गुज़ारा जबकि आपने अपनी कानूनी तालीम यानी के एलएलबी विदेश में कंप्लीट की थी फिर भी आपने कलम का सिपाही बन्ना ज्यादा उचित समझा क्योंकि कलम वह चीज़ है जिससे हम शब्दों के मोती दुनिया की सिलेट पर बिखेर देते हैं लिखने वाले को होना चाहिए वह किस तरह से दुनिया को प्रेरित कर रहा है। महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, मुंशी प्रेमचंद्र, सूरदास, कबीरदास, रहीम दास, तुलसीदास, रसखान, रविंद्र नाथ टैगोर, रविंद्र नाथ टैगोर जी ने भी कितना बेहतरीन लिखा है आप के माध्यम से हमें एक सुंदर राष्ट्रीय गान मिला।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत ,जयशंकर प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, शैलेश मटियानी, पीतांबर दत्त बड़थ्वाल, शेखर जोशी, भोलाराम, भजन सिंह, गिरिराज शाह, घनश्याम रतूड़ी, आदि कितना बेहतरीन लिख कर गए हैं आप किसी भी डिपार्टमेंट में जाएंगे और कितने भी बड़े अधिकारी से बात करेंगे तो याद रखिए वह सब इन लोगों का लिखा हुआ पढ़ कर ही आला अधिकारी बने हैं जब तक हम इन लोगों को नहीं पड़ेंगे ऐसे ही संप्रदायिकता दंगा फसाद बढ़ता जाएगा नए कलम कारों से गुजारिश की जाती है बेहतर लिखें जिससे कि आप विवाद में नहीं आवाद में याद किए जाएं
जय हिंद