


रिपोर्टर अतुल अग्रवाल
हल्द्वानी के कोविड19 सेन्टर सुशीला तिवारी हॉस्पिटल के प्राचार्य चंद्र प्रकाश भैसोड़ा से कोविड-19 के बढ़ते मरीजों के आँकड़ो को लेकर वार्ता की गई जिसमें प्राचार्य के द्वारा बताया गया कि कोविड19 सेन्टर सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में लगभग 150 मरीज कोरोना संक्रमित आते हैं उनका कहना है कि कभी-कभी यह आंकडा 200 के आसपास पहुँच जाता है वहीं प्राचार्य का कहना है कि संक्रमित मरीजों में से लगभग 90% स्वस्थ होकर अपने घर भी चले जाते हैं वहीं प्राचार्य का कहना है कि कुछ मरीज ऐसे होते हैं जोकि संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है ऐसे मरीजों को भी हम हॉस्पिटल में भर्ती करते हैं वहीं प्राचार्य का कहना है कि कुछ मरीज ऐसे होते हैं जिनको होम कोरन टाइन के लिए भी कहा जाता है लेकिन अक्सर देखा गया है कि होम कोरनटाइन में यक्ति लापरवाही करता हुआ पाया जाता है जिसके कारण संक्रमण समाज में फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है इसी के चलते हमारे द्वारा मरीजों को हॉस्पिटल में ही भर्ती किया जाता है जिनकी अच्छे से देखभाल की जाती है वहीं प्राचार्य का कहना है कि हमारा हॉस्पिटल को कुमाँऊ का एकमात्र कोविड19 सेन्टर है जहां पर अक्सर ऐसे मरीज भी आते हैं जो कि काफी सीरियस कंडीशन में पाए जाते हैं वहीं दूसरी ओर उनका कहना है कि कुमाऊ में जो भी संक्रमित मरीज अत्यधिक सीरियस कंडीशन में पहुंचते हैं हमारे द्वारा सभी को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाती है एवं हमारा समस्त स्टाफ दिन-रात ऐसे मरीजों की देखभाल कर उनकी सेवा में लगे रहते हैं जैसे डॉक्टर्स नर्सेज पैरामेडिकल स्टाफ वार्ड बॉय एव पर्यावरण मित्र टेक्निशयन रात दिन इस महामारी में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं वहीं प्राचार्य का कहना है कि हमारी पूरी कोशिश रहती है कि मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज मिले साथ ही मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया भी कराया जा रहा है साथ ही यह भी बताया कि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में लगभग 90% कोरोना संक्रमित मरीज स्वस्थ हो रहे हैं वही करोना संक्रमित मरीजों के भोजन को लेकर पूछे गए सवाल पर प्राचार्य ने बताया कि उनके पास पिछले दिनों कुछ शिकायतें आई थी जिसके बाद हॉस्पिटल मैनेजमेंट के द्वारा 1 फुड कमेटी गठित की गई है जिसमें सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर सक्सेना एपीआरओ डॉक्टर आलोक तीन लोगों की विशेष कमेटी बनाई गई है जिनके द्वारा भोजन की मॉनिटरिंग लगातार की जाती है जिनके द्वारा भोजन की क्वालिटी जांच के बाद मरीजों को भोजन दिया जाता है प्रचार के द्वारा बताया गया कि कल एक शिकायत आई थी जिसके बाद कैन्टीन की जांच पड़ताल भी की गई जांच करने के बाद कैंटीन को वेरीफाई करते हुए प्रमाण पत्र भी जारी किया नहीं आज सवेरे की घटना एक ब्रेड का मामला सामने आया जिसको लेकर प्राचार्य के द्वारा बताया गया कि सप्लायर द्वारा फ्रैश ब्रेड सप्लाई की गई थी जो कि मरीजों को नाश्ते में दी गई है वहीं प्राचार्य से पूछे गए सवाल के जवाब में कि कुछ मरीजों ने रात्रि का भोजन नहीं किया इस पर प्राचार्य द्वारा बताया गया कि वार्ड H में थोड़ी समस्या उत्पन्न हुई थी जिसमें कुछ व्यक्तियों के द्वारा भोजन नहीं किया गया वरना सारे हॉस्पिटल के स्टाफ मरीजों के द्वारा भोजन खाया गया था सत्यता जानना चाहते हैं हम आपको पूरा वीडियो भेज सकते हैं प्राचार्य के द्वारा बताया गया कि हमारे द्वारा जो कमेटी गठित की गई है वह कमेटी के द्वारा प्रतिदिन भोजन का गुणवत्ता जांच करने के बाद ही मरीजों को भोजन दिया जाता है साथ ही प्राचार्य का कहना है कि जो भी भोजन कैंटीन में बनाया जाता है मेरे द्वारा उसको अपने केबिन में मंगवा कर पहले हमारे द्वारा चेक किया जाता है वही कल रात की घटना को लेकर प्राचार्य का कहना है कि फूड इंस्पेक्टर के द्वारा हमारे कैंटीन में आकर पूरे भोजन की जांच पड़ताल परख की गई किसी भी मरीज के द्वारा खाना लेने एवं खाना खाने से इंकार नहीं किया गया 2 या 4 मरीजों व उनके तीमारदारों के द्वारा खाने का विरोध किया गया वहीं प्राचार्य का कहना है कि आज सवेरे जो ब्रेड का मामला मेरे संज्ञान में आया है यह ब्रेड हमारे हॉस्पिटल की नहीं है मैं दावे से कह सकता हूं कि यह ब्रेड हमारे हॉस्पिटल से नहीं वितरित की गई है वहीं प्राचार्य का कहना है कि हमारे हॉस्पिटल के कैंटीन में प्रतिदिन 200 से 300 पैकेट भोजन पैकेट बनाए जाते हैं कुछ मरीजों के द्वारा रख दिया जाता है जब शाम को भोजन देने की बात कहते हैं वह कहते हैं भोजन हमारे पास है वही भोजन अगले दिन दिखाया जाता है कि भोजन की गुणवत्ता खराब है उनका कहना है कि जब प्रतिदिन हॉस्पिटल में 200 से 300 मरीजों का खाना बन रहा है तो हम एक या दो पैकेट बासी भोजन मरीजों को किस आधार पर देंगे वहीं प्राचार्य के द्वारा आम जनता से अपील की गई है कि जो भी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित हैं उनका सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में ही भर्ती कर कर बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जा रही है कुछ आइसोलेशन के लिए भेज दिये जाते हैं स्वस्थ होकर ही व्यक्ति अपने घर जाता है समाज में संक्रमण फैलने का भय नही होता है हमको ऐसे लोगों के साथ गलत व्यवहार नही करना चाहिये क्योंकि व्यक्ति पूर्णयता स्वस्थ होता है

