कालाढूंगी। कालाढूंगी रेंज कार्यालय में क्षेत्रीय लोगों के साथ विश्व हाथी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में डब्लू टी आई, वन विभाग डिविजन रेंज कालाढूंगी, कॉर्बेट ग्राम विकास समिति व रेंज अधिकारी अमित गवास्कोटि समिति के ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडये ने हाथी के बारे में विस्तार से जानकारी दी रेंजर अधिकारी अमित गवास्कोटि ने बताया कि हाथी एलिफेन्डिटी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है।विश्व हाथी दिवस पर यहां कालाढूंगी रेंज अधिकारी अमित गवास्कोटि के द्वारा हरि झंडी दिखाकर एक हाथी की मूर्ति के साथ संदेश रैली भी निकाली गई। इस दौरान गदगदिया एलीफेंट कॉरीडोर लामाचौड़ क्षेत्र में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया व कॉर्बेट समिति छोटी हल्द्वानी के सदस्यों ने कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान बच्चों व ग्रामीणों को कहानी के माध्यम से हाथी संरक्षण का संदेश दिया गया।
इस मौके पर गदगदिया रेंज के जंगलों से सटे लामौचौड, गोलूगांव, पूरनपुर व विदरामपुर गांव में हाथियों को बचाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। इस दौरान बच्चों व ग्रामीणों को बताया गया कि हाथियों का संरक्षण क्यों जरूरी है और पर्यावरणीय संतुलन में हाथियों का कितना योगदान है। ट्रस्ट व समिति के कार्यकर्ताओं ने गांवों में वाल पेंटिंग बनाकर हाथियों को बचाने के लिए स्लोगन भी लिखे। इस दौरान ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। विजेताओं को ट्रस्ट व समिति की ओर से पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर ग्रामीणों को मॉस्क व साबुन आदि भी वितरित किया गया। कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडे ने बताया एलिफेन्डिटी कुल की तीन प्रजातियां है लाक्सोडॉण्टा, एलिफस और मैमथ। मैमथ और शेष प्रजातियां हिमयुग में ही विलुप्त हो चुकी हैं। भारत (एशिया) मे पाया जाने वाला हाथी एलिफस जाति का हैं। हाथी वर्तमान समय में जमीन पर रहने वाला सबसे बड़ा जीव हैं। स्मरण शक्ति और बुद्धिमानी के लिये प्रसिद्ध होने के कारण एशियाई सभ्यताओं में बुद्धिमत्ता का प्रतीक भी माना जाता है। हाथी एक समाजिक व परोपकारी प्राणी है, जिसमें अनुकरण, मनोरंजन, खेलकूद, मिमिक्री, उपकरण का प्रयोग करने की कला होती है। हाथी मे मनुष्य से कई गुना सूंघने की शक्ति होती है। वह अपनी सूंड उठाकर हवा मे लहराकर दूर तक से अपने भोजन, मित्र व शत्रु को भांप लेते हैं। हालांकि हाथी की आंखों की रोशनी बहुत कम होती है इस कारण ऐसी दशा मे उसकी सूंड अंधे की लकड़ी के समान काम करती हैं। हाथी की उम्र 50 से 70 वर्ष व बजन 40 से 50 कुंतल तक होता है। शरीर का भार ज्यादा होने के कारण भी हाथी कुशल तैराक होते है और कई घंटों तक पानी में तैर सकते हैं। हाथी की रफ्तार अकेले में 6, झुंड मे 15 व चार्ज के दौरान 46 किमी होती है।हाथी की भार उठाने की क्षमता साढे तीन कुंतल होती है। हाथी एक बार मे डेढ़ कुंतल भोजन खाता है और उसका एक तिहाई हिस्सा मल के रूप मे बाहर निकाल देता हैं। पानी एक बार मे लगभग दौ सौ लीटर तक पानी पी लेता है। हाथी 16 घंटे खाने व 4 घंटे सोने मे बिताता है। इसके साथ ग्रामीणों को हाथी से सुरक्षा के उपायों के बारें में भी जानकारी दी गई कार्यक्रम मे वन रक्षक प्रकाश सिंह रावत, त्रिलोक बोरा, नवीन जोशी,मोहन पांडेय, इंद्र सिंह बिष्ट, गणेश मेहरा,इंद्र बिष्ट , गणेश कार्की, दलीप नेगी, प्रकाश नैनवाल, विक्रम जंतवाल, मनमोहन देउपा, पूरन चंद्र जोशी, विनोद जोशी मौजूद रहे।