रिपोर्टर अतुल अग्रवाल

हल्द्वानी में एक शराब की दुकान पर ऐसी महिला को शराब खरीदते देखा गया जो कि अपना पालन पोषण करने के लिए भीख मांगती है सवाल यह पैदा होता है क्या देश से गरीबी कैसे मिटेगी अभी कुछ ही महीनों पहले कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा 22 मार्च से लोकडाउन की घोषणा की गई थी जिसके बाद सम्पूर्ण व्यवासिक प्रतिष्ठान, ओधोगिक संस्थान, होटल, इत्यादि प्रतीबन्धित कर दिये गये थे इसी दौरान हमारे देश के कई जनप्रतिनिधियों का गरीबों के हितेषी बन आये कि इस लॉकडाउन में जो दो वक्त की रोटी कमाता है मेहनत मजदूरी करता है उसके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है लॉकडाउन में गरीब कहां से खाएगा रोटी कहां से लाएगा राशन कहां से लाएगा दवाई जीने के लिए रोटी बहुत जरूरी है सरकार को गरीबों की समस्याओं को देखते हुए गरीबों को सहायता पहुंचाना चाहिए गरीबों तक राशन पहुंचाना चाहिए और हुआ भी वही सरकारों ने अपने माध्यम से गरीबों को राशन भी बाटा कई ऐसे सामाजिक संगठन खुलकर सामने आए लॉकडाउन के समय गरीबों में राशन पका हुआ भोजन चाय सभी ने वितरित कर गरीबों को सहारा दिया लेकिन कई स्थानों पर यह भी देखने को मिला कि जो सहायता दी जा रही थी गरीबों को वहीं कुछ लोगों ने उसका नाजायज लाभ उठाते हुए कई जगह से राशन एकत्रित कर उसके बाद उसी राशन को बेचने के बाद नशे के लिए शराब व अन्य मादक पदार्थ खरीद कर उनका सेवन भी किया क्या देश से ऐसी गरीबी कभी समाप्त हो सकती है
इस लॉकडाउन में एक बात जो देखने को मिली वह यह थी सभी सामाजिक संगठनों कई व्यापारियों ने अपने माध्यम से हजारों राशन के पैकेट वितरण किए हजारों भोजन पैकेट भोजन के पैकेट वितरण की गई जैसे हम अपने ही शहर की बात करें थाल सेवा ,रोटी बैंक संस्थानों, वन्दे मातरम ग्रुप ने गरीब आदमी कैसे रहेगा इसको देखते हुए राशन और भोजन वितरण किया गया लेकिन आज शहर में जो देखने को मिला 48 दिनों के बाद सरकार के द्वारा बढ़ते हुए संक्रमण आंकड़ों को लेकर 2 दिन का लॉक डाउन लगाया गया आज जब हम न्यूज़ कवरेज कर रहे थे तब हमारी निगाह एक शराब की दुकान पर पड़ी वहां देखा एक बूढ़ी औरत शराब खरीदने के लिये खड़ी थी जब हमने इसके बारे में पता किया उसने हमें कोई जवाब भी नहीं दिया लेकिन हां शराब विक्रेता ने उस बूढ़ी महिला को शराब नहीं दी और साथ ही यह भी कहा कि अपने घर जाओ बच्चों के संग खाना खाओ यह तुम्हारे मतलब की चीज नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी वह बूढ़ी औरत शराब देने के लिए काफी देर तक खड़ी रही उसी के थोड़े वक़्त के बाद देखा पेट्रोल पंप पर जो लोग गाड़ियों में पेट्रोल डलवाने आ रहे थे उनके सामने यह कह कर पैसे मांग रही थी कि मेरे बच्चे भूखे हैं और उनको रोटी खिलानी है आखिर इसका दोषी कौन क्या हम लोग मानवता,को देखते हुये तरस खाकर एक बूढ़ी औरत भीख मांग रही है इसको हम कुछ दे दे लेकिन क्या जानते हैं जो पैसा उनको रोटी कपड़े दे रहे हैं यह लोग उस पैसे का क्या करते हैं यह नशा करते हैं क्या हमको ऐसे लोगों को दान देना चाहिए पैसे देने चाहिए क्या देश से गरीबी खत्म होगी यह एक बहुत बड़ा सवाल है हमारे देश में क्या वह जनप्रतिनिधि इसको रोकने का प्रयास करेंगे हर छोटी सी छोटी बात पर गरीबों का गाना गाते हैं हमारे गरीब कहां जाएंगे लाखों गरीब लोग सड़कों पर क्या वही गरीब है जो रोटी के नाम पर शराब पीते हैं महिलाएं दुकान पर खड़े होकर शराब खरीद रही हैं इसका दोषी कौन समाज जन प्रतिनिधि या वह लोग जो इनको सहायता करने के नाम पर पैसा देते हैं और उसी पैसे से नशा कर मौज से रहते हैं क्या हमको ऐसे काम को रोकना नहीं चाहिए।
