


रिपोर्टर अतुल अग्रवाल
हल्द्वानी :- वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण वायरस के चलते प्रदेश सरकार के द्वारा सुशीला तिवारी हॉस्पिटल को कोविड-19 ट्रीटमेन्ट जोन बनाया गया था सरकार की माने तो यदि किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमित होने के लक्षण पाए जाते है या ऐसे व्यक्तियों को जोकि दूसरे राज्यों से आए थे या प्रवासी थे या अपने ही शहर के व्यापारी या आम जनता थे ऐसे संक्रमित व्यक्तियों की पुष्टि होने के पश्चात केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कोविड-19 सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में उपचार की व्यवस्था की गई है वहीं दूसरी ओर यह भी देखने को मिला है कि जो भी व्यक्ति सुशीला तिवारी हॉस्पिटल पहुंचता है अधिकतर व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है

यहां तक की यदि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक डायलिसिस या अन्य कोई बीमारी होने पर परिजन ऐसे व्यक्ति को सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में
उपचार हेतु लेकर जाते हैं वो व्यक्ति इतने मानसिक तनाव में होता है कि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल पहुंचने के चन्द घंटों के बाद उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है अभी पिछले हफ्ते ही एक व्यक्ति कालाढूंगी से लाया गया जो कि स्वस्थ था केवल उसकी छाती में दर्द बताया गया वही परिवार वालों की माने डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन दिये जाने के बाद वह व्यक्ति शौचालय गया और वही उसकी मृत्यु हो गई अभी कल का ही मामला है 5 अगस्त का बाजार में प्रतिष्ठित अरिहंत ज्वेलर्स के मालिक जिनको सुशीला तिवारी हॉस्पिटल ले जाया गया परिवार वालो का कहना है व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ था लेकिन ऐसा क्या हुआ एक स्वस्थ व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है ऐसे बहुत से केस देखने को मिले जैसे मानिए गर्भवती महिलाएं हॉस्पिटल पहुंचती हैं वही संक्रमित हो जाती हैं और वही उनकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसा क्या रहस्य है ऐसा क्या राज है क्या हॉस्पिटल प्रबंधन लापरवाह है क्या आम व्यक्तियों के उपचार पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है क्या जो मेडिकल रिपोर्ट से उनके विलंब से आने के कारण व्यक्ति को उपचार नहीं मिल पा रहा है या वहां पर जो स्टाफ कार्यरत है वह भी कोरोना संक्रमित हैं जिसके कारण जहां जो मरीज स्वस्थ पहुंचते हैं वह संक्रमित हो जाते हैं ऐसा क्या कारण हॉस्पिटल में अभी 2 दिन ही पहले ही शनिवार की बात करते हैं वार्ड नंबर 55 वहां पर तीन चार व्यक्ति करोना संक्रमित पाए जाते हैं जब उनकी उनके बारे में जांच-पड़ताल की जाती है एक व्यक्ति और दो महिलाएं जो कि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में कार्यरत है वही लोग पॉजिटिव पाए गए जिसके बाद वार्ड नंबर 55 को सील कर दिया गया वही स्थानीय निवासियों का कहना है कि जो महिलाएं सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में कार्यरत हैं पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके परिवार के व्यक्ति खुलेआम वार्ड में घूम रहे हैं सब से मिल रहे हैं क्या यह एक खतरे की घंटी नहीं है क्यों आज व्यक्ति हल्द्वानी में सुशीला तिवारी हॉस्पिटल महिला बेस चिकित्सालय सोवन सिंह जीना बेस हॉस्पिटल पहुंचता है और कोरोना संक्रमित हो जाता है सबसे बड़ा सवाल यह है जहां एक ओर राज्य सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी ओर आम जनता जो अपने इलाज या बीमारी होने पर जैसे खांसी बुखार जुकाम होने पर हॉस्पिटल पहुंचती है और वहां से अपने साथ कोरोना वायरस ले आती है दोषी कौन राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग सिस्टम शासन प्रशासन या बिगड़ते हालात यह एक बहुत बड़ा सवाल पैदा करता है आज व्यक्ति वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से नहीं मर रहा है केवल एक दहशत है अस्पताल हम नहीं जाएंगे यदि उस व्यक्ति को इलाज हेतु उपचार के लिए सरकारी हॉस्पिटल में लेकर परिवार वाले पहुंच रहे हैं वह व्यक्ति वहां के सिस्टम वहां के व्यवस्था को देखते हुए दहशत में ही अपनी जान गवा रहा है कब जागेगी सरकार कब जागेगा शासन कब जागेगा प्रशासन इतनी बड़ी लापरवाही प्रदेश में एक बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
