


रिपोर्टर शादाब अली

खत्म हो गया बिकरु का विकास,जाने विकास दुबे कैसे बना दुर्दांत विकास पंडित…
उत्तरप्रदेश अंततः खत्म हो गया बिकरु का विकास,जाने विकास दुबे कैसे बना दुर्दांत विकास पंडित?
कानपुर में 2 जुलाई देर रात को डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इस घटना को अंजाम खुद हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे देता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था की एक साथ आठ जवान शहीद हुए थे। इस घटना के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। साल 1990 में विकास का पहला मामला सामने आया और 2020 तक उसके ऊपर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे। सक्रिय हुए गैंगेस्टर विकास दुबे ने काफी आतंक मचा रखा था, लेकिन उसको पनाह भी खाकी और खादी ने दे रखा था। शायद इसलिए दबिश देने गए पुलिस की खबर बिकरू गांव में पुलिस के पहुंचने के पहले ही पहुंच गयी और विकास दुबे पहले से ही पूरी तैयारी कर उनके आने का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही पुलिस उसके घर के पास पहुंचती है विकास और उसके साथी पुलिस पर हमला बोल देते हैं, पुलिस को भी ये अंदाजा नहीं था कि इस तरह से हमला होगा।
अब आपको बताते हैं विकास दुबे का वो इतिहास जिसमें वो विकास दुबे से विकास पंडित हो गया था। जी हां आपको बता दें कि विकास दुबे ने अपना नाम बदल कर विकास पंडित रख लिया था। इसके पीछे भी बड़ी कहानी है और वो ये की साल 1999 में सन्नी देयोल की फिल्म अर्जुन पंडित आई थी और विकास दुबे ने ये फिल्म 100 बार देखी थी। इसी फ़िल्मी अंदाज पर इसने ऋचा से शादी की थी। ऋचा का भाई और घर वाले शादी के खिलाफ थे मगर ऋचा के पिता की कनपटी पर बंदूक लगाकर इसने ऋचा से शादी की। हालांकि पहले ऋचा विकास के किसी चीज में स्पोर्ट नहीं की लेकिन धीरे-धीरे वो विकास की पूरी हमराज बन गयी और उसके हर अपराध और छोटी से छोटी राज की बात की राजदार बन गयी।
साल दर साल बीतते गए और विकास ने इस बीच अपना बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया। इसने अपने गांव बिकरू में अपना साम्राज्य बना लिया था। खाकी और खादी के कई लोगों का इसको साथ मिल गया, जिसके दम पर ये आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता गया और यूपी का मोस्टवांटेड अपराधी घोषित हो गया। शायद यही वजह थी कि 2 जुलाई की देर रात जब पुलिस की टीम उसको पकड़ने के लिए दबिश देने गयी तो विकास पहले से ही पूरी फील्डिंग तैयार कर चुका था। उसने पुलिस के आते उनपर अपने साथियों के साथ अंधाधुन फायरिंग शुरू कर दी। इस फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए और इस घटना के बाद पुलिस महकमे में भूचाल आ गया। कानपुर सभी सीमा को सील कर दिया गया 500 नंबर सर्विलांस पर लगा दिया गया। यूपी के सीएम योगी ने जहां इस घटना की कड़ी शब्दों में आलोचना की वहीं विकास के चौबेपुर स्थित बिकरू गांव वाले घर पर बुलडोजर चलाने का आदेश दे दिया। यूपी पुलिस विकास को पकड़ने के लिए पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा दिए मगर विकास दुबे पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा।
शूटआउट के दो दिन बाद तक कानपुर के शिवली में विकास अपने एक दोस्त के घर में रहा, जिसके बाद 92 किमी का सफर तय कर वो औरेया पहुंचा। ताज्जुब की बात है कि पुलिस की सख्त नाकेबंदी के बाद भी वो एक ट्रक में बैठकर औरेया पहुंच जाता है और पुलिस तब भी उसे पकड़ नहीं पाती है। औरैया के बाद विकास हरियाणा के फरीदाबाद पहुंच जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि उसने किसी की कार से 385 किलोमीटर की दूरी तय की। सोमवार दोपहर 3:19 बजे उसकी आखिरी लोकेशन फरीदाबाद मिली थी। इसी बीच यूपी और फरीदाबाद की पुलिस उसे पकड़ने के लिए पहुंचती थी 0 मगर तब तक विकास वहां से फरार होने में सफल हो जाता है। सवाल यहां यह उठता है कि सीसीटीवी में दिखने के बाद भी वो एक ऑटो में बैठकर निकल जाता है पुलिस इस बार भी उसे पकड़ने में नाकाम साबित होती है।
सोमवार को विकास दुबे फरीदाबाद में दिखा उसके बाद सीधे वो गुरुवार को 773 किमी का सफर तय कर उज्जैन के महाकाल मंदिर में दिखाई दिया। उसके पहले की जानकारी किसी के पास नहीं है कि वो बीच में कहा था। अब सवाल यहां यह उठता है कि कैसे वह इतने राज्यों की सीमा पार करते हुए मध्यप्रदेश में दाखिल हुआ? फरीदाबाद में नजर आने के बाद पुलिस चौकस थी। बावजूद इसके फिर भी वह 17-18 घंटे का रास्ता तय कर उज्जैन तक पहुुंचा ? हरियाणा, यूपी, एमपी की पुलिस तक उसका पता नहीं लगा पाई। उसकी पहचान सीधे महाकाल मंदिर के गार्ड ने की।जिसके बाद पुलिस को खबर की जाती है और पुलिस उसे पकड़ती है। मंदिर से बाहर निकलने के दौरान विकास दुबे चिल्लाकर मिडिया वालों को बोलता है कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला।
वहीँ जब ये खबर मीडिया के द्वारा विकास की मां तक पहुंचता है तो वो बताती हैं कि मेरा बेटा महाकाल का भक्त है और हर सावन में वो उनके दर्शन करने जरूर जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि मेरे बेटे को महाकाल ने ही बचाया है। उन्हें कहां पता था कि महाकाल का ये दर्शन उनके बेटे का आखिरी दर्शन बन जायेगा। शायद खुद विकास को भी नहीं मालूम था कि जिस रणनीति के तहत वो अपने को पुलिस के हवाले करेगा वही उसके लिए काल बन जाएगी, या फिर ये कहे कि भगवान भी इस दुर्दांत अपराधी का अंत लिख चुके थे। यूपी एसटीएफ विकास को कार्रवाई कर बाइ रोड कानपुर लेकर निकलती है। इस काफिले के पीछे मिडिया की गाड़ी भी लग जाती है मगर एक नाके पर सभी मीडियाकर्मियों की गाड़ी को रोक दी जाती है। उसके बाद थोड़ी देर बाद ये खबर आती है कि विकास दुबे मारा गया। कानपुर से 17 किमी पहले बर्रा थाना क्षेत्र में सुबह 6:30 बजे काफिले की कार पलट जाती है उस कार में विकास बैठा था। पुलिस की माने तो विकास पुलिस से पिस्टल छीनकर हमला करने की कोशिश करता है और पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागने लगता है। जिसके बाद पुलिस जवाबी कार्रवाई करते हुए विकास पर गोली चलाती है और वो बुरी तरह जख्मी हो जाता है। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही विकास काल के गाल में समा जाता है। और इस तरह विकास दुबे उर्फ़ विकास पंडित का अंत हो जाता है।
जरायम का विकास, एसटीएफ की गोलियों का शिकार हो गया क्योंकि वह भाग रहा था। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी जो की दिन रात अपराधियों को पकड़कर उनके हाल तक पहुंचाती है। वो उस दुर्दांत का हाथ पैर बांधे लेकर आ रही थी। गाड़ी पलटी और उसके सिर में चोट भी लगी, बावजूद उसके उसने एसटीएफ के जवान से पिस्टल छीनी और उलटा होकर भागने लगा, जिसपर एसटीएफ ने उसे छलनी कर दिया। विकास पंडित को सीने में चार गोलियां लगी। यहीं से कई सवाल खड़े होते हैं कि क्या वो उल्टा भागने में एस्क्पर्ट था ? या उसे मारा गया ? या कुछ और ? ये सभी यक्ष प्रश्न हैं जो शायद विकास पंडित के साथ ही ख़त्म हो गए।
