


ब्यूरो चीफ़ शादाब अली

बरेली कोरोना के मामलों की समीक्षा के बाद औद्योगिक विकास आयुक्त और अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य का निष्कर्ष पूरे जिले भर के लिए बेहद चिंताजनक है. संक्रमण बढ़ने की रफ्तार पर तमाम पहलुओं पर विचार करने के बाद दोनों अफसरों ने माना है कि अगला महीना बरेली के लिए काफी खतरनाक हो सकता है. खतरा कम करने को स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अफसरों को सैंपल की तादाद अधिकतम स्तर तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया है ताकि संक्रमितों को तेजी से चिन्हित करने के साथ जल्द से जल्द आइसोलेट कराया जा सके.
जिले के लिए आने वाला समय इसलिए खतरनाक माना गया है क्योंकि कोरोना टेस्ट और संक्रमितों की संख्या में अंतर बहुत कम है. यानी काफी कम टेस्ट होने के बावजूद संक्रमण के औसत से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन और अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की समीक्षा के बाद जारी मिनट्स में भी दोनों अधिकारियों की ओर से बरेली में हर दिन मिल रहे संक्रमितों की संख्या पर चिंता जताए जाने का जिक्र है.
शासन से आए उच्चाधिकारियों ने जिले के प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के साथ हुई बैठक में यह भी साफ किया कि कोरोना का अभी तक कोई इलाज नहीं है लिहाजा संक्रमितों के जल्द से जल्द ट्रेस करना ही संक्रमण की रफ्तार कम करने का एकमात्र विकल्प है. अफसरों को निर्देश दिया गया कि संक्रमितों को ट्रेस होने के दो घंटे के भीतर आइसोलेट कर दिया जाए ताकि उसे संक्रमण फैलाने का समय न मिले और ऐसा तभी किया जा सकता है जब जिले में ज्यादा से ज्यादा सैंपल लेने के साथ तेजी से उनकी जांच भी कराई जाए.
खतरा इसलिए ज्यादा क्योंकि हर्ड इम्युनिटी बनने की भी उम्मीद जता गए अफसर
शासन से आए उच्चाधिकारियों ने हालांकि यह जिक्र नहीं किया कि बरेली में संक्रमण की रफ्तार एकाएक बढ़ने के लिए स्थानीय अफसर भी जिम्मेदार हैं लेकिन इस तरफ इशारा जरूर किया. उन्होंने कहा कि बरेली में शुरू के चार महीनों में संक्रमण के सामान्य मामले ही सामने आए. इस दौरान संक्रमित मिले लोगों में ज्यादातर विदेश से लौटे लोग या प्रवासी थे लेकिन अब जो मामले सामने आ रहे हैं उसमें प्रवासी या विदेश से लौटने वालों की संख्या नगण्य है. अब यहीं के लोग संक्रमित हो रहे हैं.
एक महीने में संक्रमण की रफ्तार हैरतअंगेज ढंग से बढ़ने का भी संज्ञान लिया गया. सभी पहलुओं पर बात करने पर कहा गया कि अगले एक महीने में संक्रमण की रफ्तार और भी खतरनाक ढंग से बढ़ सकती है. हो सकता है कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी बनने के बाद ही यह रफ्तार कम होनी शुरू हो. बता दें कि हर्ड इम्युनिटी 60 से 70 फीसदी लोगों के संक्रमित होने के बाद बननी शुरू होती है.
संक्रमण की पुष्टि के बाद किसी के भी संपर्क में आना अपराध
शासन से आए अधिकारियों ने जिले के अफसरों को आगाह किया कि संक्रमण की पुष्टि होने के बाद संक्रमित व्यक्ति बेचैन हो सकता है. ऐसी स्थिति में मानसिक तनाव का शिकार होने के साथ वे अपने संक्रमित होने की बात छिपाकर सामान्य ढंग से दूसरे लोगों के संपर्क में आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि संक्रमण का पता न होने पर लोगों के संपर्क में आना तो सामान्य है लेकिन संक्रमण की पुष्टि होने के बाद भी कोई ऐसा करता है तो उसे अपराधी माना जाए. अफसरों को इस मामले में सतर्क रहने और सैंपल कराने वालों की रिपोर्ट पर सतर्क रहने को कहा गया.
मास्क लगाएं, बार-बार हाथ धोएं और चेहरे को न छुएं.. यही है सबसे बड़ा रक्षाकवच
स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों की ओर से इस बैठक में आम लोगों की लापरवाही की वजह से संक्रमण से बचाव की कोशिश का पूरा नतीजा न मिलने की बात कही गई. शासन से आए उच्चाधिकारियों ने कहा कि मास्क लगाने, ग्लब्स पहनने और साबुन से हाथ धोते रहने के साथ लोगों में बेवजह चेहरे को छूने से बचने की आदत डालने के लिए जागरूक करने की सलाह दी. यह भी कहा कि चेहरे पर मास्क की मौजूदगी काफी नहीं है बल्कि यह भी जरूरी है कि वह अच्छी गुणवत्ता का होने के साथ ठीक ढंग से लगाया गया भी हो. अधिकारियों ने होम आइसोलेशन के दौरान संक्रमितों की कड़ाई से निगरानी के भी निर्देश दिए.
उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन कराने का प्रयास किया जा रहा है. सैंपलिंग के लिए स्थाई सेंटर बनाए जा रहे हैं. होम आइसोलेशन के दौरान मरीजों की निगरानी के निर्देश दिए गए हैं. संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए लोगों का भी सतर्क रहना जरूरी है. – डॉ. विनीत शुक्ल, सीएमओ
