रिपोर्टर अतुल अग्रवाल
(नैनीताल) हल्दूचौड़ क्षेत्र के प्रख्यात कथावाचक डॉक्टर मनोज पांडे का कहना है कि लिपुलेख किसी भी कीमत पर नेपाल का हिस्सा नहीं है उन्होंने कहा कि लिपुलेख मानस खंड के आधार पर भारत का अभिन्न हिस्सा है यहां एक विशेष वार्ता में डॉक्टर मनोज पांडे ने कहा कि भारत के उत्तर में स्थित पर्वतीय भूभाग ने भौगोलिक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है नगाधिराज हिमालय का महत्त्व में पुराणों में विशेषता वर्णित है इससे हिमालय की गोद में कूर्मांचल स्थित है कूर्मांचल का पुरातन भौगोलिक स्वरूप स्कंद पुराण अंतर्गत मानस खंड में विस्तार पूर्वक वर्णित है मानस खंड के 21 वें अध्याय में मानसखंड की सीमा वर्णित है डॉक्टर मनोज पांडे बताते हैं कि नंद पर्वतमारभ्य यावत काकगिरी:स्मरत: तावद वै मानस खंड ख्यायते नृपसत्तम 21 / चार मानस खंड इसके अनुसार नंद पर्वत से काक गिरी पर्वत( पश्चिम नेपाल तक) का क्षेत्र मानस खंड के अंतर्गत आता है मानस खंड आख्यान में दत्तात्रेय जी ने राजा धन्वंतरि की जिज्ञासा को शांत करते हुए भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत किया है मानसरोवर की यात्रा के प्रसंग में आयात और निर्यात दोनों मार्गों का उल्लेख मानस खंड में किया गया है मानस खंड के अनुसार यात्री को कुर्मांचल मार्ग से जाना चाहिए वहां से लोहाघाट होते हुए कूर्मशिला की चोटी पर पूजन कर सरयू में स्नान करने के उपरांत जागेश्वर ,पाताल भुवनेश्वर, राम गंगा ( पूर्वी ) पावन पर्वत, ध्वज पर्वत, काली गोरी का संगम, चौदांस, व्यास आश्रम (व्यास) काली नदी का मूल पुलोम पर्वत( व्यास चौदांस पर्वत के बीच) तथा तारक पर्वत होते हुए गौरी पर्वत से नीचे उतरकर मानसरोवर में स्नान करें उपरोक्त मार्ग में जिस व्यास आश्रम का उल्लेख है लिपुलेख दर्रा इसी व्यास आश्रम क्षेत्र के भीतर आता है अतःपुराण की मान्यता के अनुसार यह क्षेत्र मानस खंड का है और भारतवर्ष का अभिन्न अंग है । तो यह क्षेत्र नेपाल का तो हो ही नहीं सकता मानस खंड के 125 वें अध्याय में मल्लिकार्जुन भगवान का महात्म्य वर्णित है पर्वता ये महक्षेत्रं मल्लिकार्जुनसंज्ञकम मलिकार्जुन पर्वत महक्षेत्र के साथ क्षेत्र की नदियों तथा अन्य पर्वतों का वर्णन भी उपरोक्त अध्याय में वर्णित है मल्लिकार्जुन क्षेत्र का वर्णन मानस खंड में होने से यह प्रमाणित होता है कि यह क्षेत्र भारत का ही है।