हल्द्वानी रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर, बसे 4365 लोगों पर फिर लटकी तलवार
हल्द्वानी,नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई की। एक बार फिर बनभूलपुरा पर रेलवे की जमीन को लेकर मंडराने लगा है खतरा, हाई कोर्ट नैनीताल ने मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने कहा कि पूर्व में रेलवे द्वारा दिये गए पत्र पर जिला प्रशाशन ने क्या कार्यवही की ।
इस पत्र के आधार पर दोनों सँयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन व रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें। इसकी रिपोर्ट 6 अप्रैल तक कोर्ट में पेश करें । मामले की अगली सुनवाई की तिथि 6 अप्रैल की तिथि नियत की है।
आज मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में हुई। मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुवाईयाँ करें।
आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमे करीब 4365 लोग मौजूद है। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया । जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार शुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया। जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नही दिया गया। जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं
ताकि रेवले का विस्तार हो सके। इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशाशन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर बैध पाए जाए ,तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं।
अगर फिर से रेलवे के किनारे बसे लोगों का आशियाना मिलता है तो इतने लोग कहां जाएंगे, कौन इनकी सुनेगा फरियाद, जब तिनका तिनका कर के सपनों का महल बनाता है गरीब, एक हवा के झोंके से उड़ जाए तो क्या गुजरेगी दिल पर यह तो खुदा ही जाने