किसान आन्दोलन को मिल रहा देशव्यापी समर्थन मोदी सरकार की किसान विरोधी कॉरपोरेट पक्षधर नीतियों के मुंह पर करारा तमाचा: राजा बहुगुणा
संवाददाता समी आलम
हल्द्वानी नया ‘आवश्यक वस्तु संशोधन कानून’ आजादी के बाद देश की खेती व गरीबों की खाद्य सुरक्षा पर सबसे भीषण हमला है। किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली अधिनियम-2020 के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए 8 दिसंबर को किसान संगठनों द्वारा आहूत “भारत बंद” के समर्थन में बुद्धपार्क हल्द्वानी में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संयुक्त विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें भाकपा (माले), क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐक्टू ट्रेड यूनियन, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, पछास आदि संगठनों व किसान आंदोलन के समर्थक विभिन्न व्यक्तियों ने सक्रियता पूर्वक भागीदारी की।”किसान आन्दोलन को मिल रहा देशव्यापी समर्थन मोदी सरकार की अंबानी-अडाणी पोषक नीतियों के मुंह पर करारा तमाचा है ! “भारत बंद” की जबर्दस्त सफलता ने इसको पुष्ट कर दिया है।” यह बात भाकपा(माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बुहगुणा ने बुद्ध पार्क में “भारत बंद” के तहत हुए विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि, “पंजाब के लाखों किसानों सहित देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे किसानों ने 13 दिन से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान विरोधी कानूनों के विरुद्ध घर-परिवार सहित डेरा डाल जो अनुशासित आन्दोलन चला रखा है वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि, “हरियाणा की खट्टर सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए युद्ध स्तर पर बाधाएं व दमन का सहारा लिया किंतु किसानो की फौलादी इरादे और मजबूत होते चले गए हैं और किसानों को तीनों कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।”अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “खेती , किसानी,रोटी और रोजगार बचाने के लिए किसानों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है और उनके इरादे अटल हैं , यह बात मोदी सरकार को समझ लेनी चाहिए और समय रहते केन्द्र सरकार को किसानों की सभी लोकतांत्रिक मांगों को स्वीकार कर लेना चाहिए इसी में राष्ट्र की भलाई है।”
उन्होंने कहा कि, “किसान आन्दोलन ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि मोदीजी के कंपनी राज की वो ईंट से ईंट बजाने को तैयार हैं, और पूरा देश कंधे से कंधा मिला उनके साथ खड़ा है।”क्रालोस के अध्यक्ष पी पी आर्य ने कहा कि, “मोदी सरकार ने ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम’ में संशोधन कर कोटा से ज्यादा स्टॉक रखने पर पाबंदी हटा देने के कारण आलू,प्याज और खाद्य तेल की कीमत आसमान छू रही है। देश के लगभग 80 प्रतिशत सीमांत किसान जो अपने खेत पर मजदूरी भी करते हैं और खेतिहर मजदूरों का बड़ा हिस्सा बटाईदारी प्रथा के तहत खेती करता है, इस कानून से बुरी तरह से प्रभावित होगा।”ऐक्टू ट्रेड यूनियन के प्रदेश महामंत्री ने कहा कि, “केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली पहुँचने से रोकने के लिए जिस तरह का बर्ताव किया,वह आलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण था. किसानों के साथ दुश्मनों जैसा सलूक किया जाना निंदनीय है. तीन नए कृषि कानून इस देश के किसानों के हितों पर कुठराघात करते हुए खेती-किसानी को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने के लिए लाये गए हैं. ये कानून मंडी व्यवस्था और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी व्यवस्था के खात्मे का आधार हैं. इन कानूनों के जरिये केंद्र सरकार ने अनाज, दाल, खाद्य तेल, तिलहन, आलू,प्याज की कालाबाजारी को वैध बना दिया है. यह किसानों के लिए ही नहीं देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करेगा.”उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, “देश के किसानों के कारण ही हमारी खुशहाली है और सरकार किसानी को ही तबाह करने पर जुटी है। इसलिए आशा यूनियन किसानों के आंदोलन के साथ है।”माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “नया कानून कंपनियों को फसल खरीद की सीधी छूट देता है। कम्पनियां में धन्ना सेठ अपने धनबल के दम पर उपज खरीदी पर अपना एकाधिकार जमा लेंगे। ये कानून पूरे देश में ठेका खेती लाने के लिए कंपनियों को छूट देता है।राज्य सरकारें भी इस पर रोक नहीं लगा सकती।इससे अघोषित रूप से ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का खात्मा हो जाएगा और किसान मंडियों पर बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और बड़ी कंपनियों को अधिकतम मुनाफा कमाने की गारंटी होगी।किसान और मजदूर कंपनियों के गुलाम हो कर रह जाएंगे।” कहा कि, “किसान आंदोलन के विरोध में भाजपा के नेताओं का अनर्गल प्रलाप जारी है, वे खेती व किसानी बचाने के इस महाअभियान को अपने स्वभाव के मुताबिक दुष्प्रचारित करने में उतर गए हैं. भाजपाई कह रहे हैं कि इसमें देशद्रोही ताकतें शामिल हैं. लेकिन जो पार्टी किसानों की न हो सकी, उससे बड़ा देशद्रोही कौन हो सकता है?” “भारत बंद” के समर्थन में किये गए प्रदर्शन के माध्यम से सभी संगठनों ने एकस्वर में केंद्र की मोदी सरकार से मांग की कि किसान विरोधी काले कानूनों को तत्काल रद्द करे, प्रस्तावित बिजली कानून-2020 वापस ले और सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी की जाय। इस अवसर पर राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी, पी पी आर्य, के के बोरा, कमला कुंजवाल, मोहन मटियाली,प्रकाश फुलोरिया, देवेंद्र रौतेला, इस्लाम हुसैन, एन डी जोशी, टी आर पाण्डे, उमेश, प्रकाश, शेखर, महेंद्र, हेमा कुंवर, ममता कोरंगा, नीलम, सुनील, नसीम,उमेश पाण्डे, लियाकत अली आदि मुख्य तौर पर उपस्थित थे।
