
संवाददाता मुस्तज़र फारूकी
कालाढूंगी ।कोरोना संक्रमण के कारण इस बार रमजान में अलविदा की नमाज की भी रवायत बदल गई। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते सिर्फ 25 लोगों ने मस्जिदों में और बाकी रोजेदारों ने अपने अपने घरों में नमाज अदा की। रमजान के पवित्र माह में शुक्रवार को नगर की तीनों मस्जिदों में अलविदा जुमा की नमाज अता की गई। सुबह से ही रोजेदार मस्जिदों व इबादतगाहों में पहुंचकर अमन चैन की दुआएं मांग रहे थे। माहौल सामान्य होता तो मस्जिदों में पैर रखने को जगह न बचती, सड़कें खुशियों से चमकतीं मगर इस बार कोरोना की बंदिश भारी पड़ी। बहरहाल, सभी ने कोरोना संक्रमण के चलते देश-दुनिया के बिगड़े हालात को दुरुस्त करने, तरक्की, सलामती व इज्जत अता करने की खुदा से दुआएं मांगीं। मुकद्दस रमजान में अलविदा की नमाज बरकत, रहमत और मगफिरत से भरी होती है। एक माह तक इबादत करने वालों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। मौलाना फिरासत अली ने बताया कि रमजान में अलविदा की नमाज का अलग ही महत्व होता है। इसी वक्त हर कोई अल्लाह से देश दुनिया और अपने लिए दुआएं मांगता है। मस्जिदों में नमाज अदा करने का मौका न मिलने से बच्चों, युवाओं में भी पहले जैसा जोश व उत्साह नहीं दिखा। इस दौरान कालाढूंगी पुलिस प्रशासन भी मस्जिदों के बाहर मुस्तेद दिखा।

सात साल की बच्ची ने रखा रोजा।
देश में की अमन चैन की दुआ।
कालाढूंगी। रमजानुल मुबारक के महीने में कालाढूंगी वार्ड नम्बर 06 निवासी जुनैद सिद्दीकी की 07 वर्षीय बेटी रूमाना सिद्दीकी ने अलविदा जुमे को पहला रोजा रखा। छोटी बच्ची रूमाना सिद्दीकी ने रोजा अफ्तार के समय अल्लाह से देश में अमन चैन व खुशहाली की दुआ मांगी। इसके अलावा कोरोना बीमारी से सभी कालाढूंगी वासियों सहित उत्तराखंड व देशवासियों को महफूज रखने के लिए भी अल्लाह की बारगाह में दुआ की।
