
आशाओं द्वारा ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन किया गया। धरने के पश्चात उपजिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को भेजा मांग पत्र
ज़ाकिर अंसारी,संपादक कॉर्बेट बुलेटिन न्यूज़ हल्द्वानी

हल्द्वानी में बुद्धपार्क ऐक्टू’ से संबद्ध ‘उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन’ व ‘सीटू’ से संबद्ध ‘उत्तराखण्ड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन’ के संयुक्त रूप से ब्लॉक मुख्यालयों पर पूरे उत्तराखण्ड में राज्यस्तरीय धरना-प्रदर्शन के आह्वान के तहत बुद्धपार्क हल्द्वानी में आशाओं द्वारा ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन किया गया। धरने के पश्चात उपजिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा गया।


धरने को संबोधित करते हुए ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “यह सरकार श्रमिक विरोधी सरकार है। इस सरकार ने पूरे देश को संकट में डालने का काम किया है। आशाओं की मांग बिल्कुल जायज है कि उनको अपने काम का मेहनताना मिले लेकिन यह सरकार कोरोना काल में बिना सुरक्षा उपकरणों के आशाओं की कोविड ड्यूटी तो लगा देती है लेकिन उनको वेतन तो छोड़िए मानदेय तक देने को तैयार नहीं है, यह बेहद शर्मनाक है। महिलाओं के बारे में बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार खुद अपने अस्पतालों में काम करने वाली आशाओं का शोषण कर रही है।”

ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आशाओं को केवल मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन उसके बाद से ही आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ लगातार बढ़ाया गया किंतु उनकी मेहनत का भुगतान नहीं किया जाता। यानी आशाओं को सरकार ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है, अब ये बिल्कुल नहीं चलेगा। आशाओं का मासिक वेतन फिक्स किया जाय और रिटायर होने पर पेंशन की व्यवस्था की जाय।”

नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि, “पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत जी ने दस हजार कोविड भत्ते की घोषणा 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर की थी लेकिन कोई पैसा अभी तक आशाओं के खाते में नहीं आया है, यह वादाखिलाफी नहीं तो और क्या है? वर्तमान सरकार कोरोना भत्ता दे।नहीं तो आशा सिर्फ जिस काम के लिये रखी गयी है वही काम करेंगी कोविड की ड्यूटी क्यों करेंगी?”

प्रदर्शन के जरिये चेतावनी दी गयी यदि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ आशाओं की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो दोनों आशा यूनियनें संयुक्त रूप से उग्र आंदोलन पर बाध्य होंगी। अगले चरण में 30 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जायेगा।

इस अवसर पर रिंकी जोशी, भगवती बिष्ट, मनीषा आर्य, प्रीति रावत, सरोज रावत,
रेशमा, हंसी बेलवाल, रोशनी आर्य, दीपा आर्य, शाइस्ता खान, अनुराधा, प्रियंका सक्सेना, शान्ति शर्मा, सुनीता मेहरा, कमला बिष्ट, रजनी देवी, शहनाज, शहाना, ब्रिजेश कटियार, माया तिवारी, चंपा मंडोला, मीना मटियाली, ममता आर्य, खष्टी जोशी, माला वर्मा, दीपा बसानी, उमेरा, हेमा रंगवाल, किरन पलड़िया, भगवती धपोला, रेनू घुघत्याल, कमला मेर, गंगा बिष्ट,हंसी पडियार, जानकी डसीला, पुष्पा आर्य, हंसी उप्रेती,उमा दरमवाल, दीपा परगाई, मुन्नी गजरौला, अलामा सिद्दीकी, लता कोहली, लीला बिष्ट, पूनम बिष्ट, शशि पूरी, पार्वती, रेखा गड़िया,मीनू चौहान, मिथिलेश, दया पाण्डे, बीना कोरंगा, उमा नैनवाल, ज्योति रावत, कमलेश बोरा सहित सैकड़ों की संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रहीं। आशाओं के आंदोलन के समर्थन में सनसेरा यूनियन के अध्यक्ष जोगेंद्र लाल, दीपक कांडपाल, विवेक ठाकुर, मनोज कुमार आर्य, मुकेश जोशी भी पहुंचे।
मांगें
1- आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू किया जाय।
2- जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाय।
3- सभी आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान किया जाय और जिन आशाओं की पैदल ड्यूटी करते करते घुटनों में दिक्कतें आ गई हैं उनके लिए एक मुश्त पैकेज की घोषणा की जाय।
4- पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित कोरोना भत्ता तत्काल आशाओं के खाते में डाला जाय और कोविड कार्य में लगी सभी आशा वर्करों कोरोना ड्यूटी की शुरुआत से 10 हजार रू० मासिक कोरोना-भत्ता भुगतान किया जाय।
5- कोविड कार्य में लगी आशाओं वर्करों की 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू किया जाय ।
6- कोरोना ड्यूटी के क्रम में मृत आशा वर्करों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और 4 लाख का अनुग्रह अनुदान भुगतान किया जाय. उड़ीसा की तरह ऐसे मृत कर्मियों के आश्रित को विशेष मासिक भुगतान किया जाय।
7- सेवा(ड्यूटी) के समय दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाया जाय और न्यूनतम दस लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया जाय।
8- देय मासिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित समय से भुगतान किया जाय।
9- आशाओं के विविध भुगतानों में नीचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर लगाम लगायी जाय।
10- सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति तत्काल की जाय।
11- आशाओं के साथ अस्पतालों में सम्मानजनक व्यवहार किया जाय।
12- जब तक कोरोना ड्यूटी के लिए अलग से मासिक भत्ते का प्रावधान नहीं किया जाता तब तक आशाओं की कोरोना ड्यूटी न लगायी जाय।
