आशाओ की मिलीभगत से निजी अस्पतालों में लुट रही गर्भवती महिलाएं
शाहिद अंसारी ब्यूरो चीफ़ बरेली
बहेड़ी आशाओ की मिलीभगत से निजी अस्पतालों में लुट रही गर्भवती महिलाएं क्षेत्र की एक आशा पर गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पताल में ले जाने का आरोप गर्भवती महिलाएं सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव कराकर न केवल निजी अस्पतालों में लुटने से बचें, बल्कि सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रसव संबंधी लाभकारी योजनाओ का फायदा भी उठा सकें। इसके लिए आशाओं की नियुक्ति की गई हैं। जो कि गर्भवती महिला को सरकारी अस्पताल तक पहुँचाने का माध्यम कही जाती हैं। इसके लिए प्रसव के समय आशाओं को एक निश्चित प्रोत्साहन राशि भी दी जाती हैं। पर सरकार के इस मंसूबे में छेद होना शुरू हो गए हैं। झोलाछाप दाईयों से लेकर निजी अस्पतालों तक इन आशाओं की घुसपैठ बन गयी हैं। तमाम आशाएं गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल ना ले जाकर अपनी साठगांठ वाले स्थानों पर भेज देती हैं। इसके एवज में उन्हें एक मोटी रकम मिल जाती हैं। और इस लूट का खामियाजा आखिरकार गर्भवती महिला के परिजन को ही उठाना पड़ता हैं। कई बार यह भी देखने मे आया हैं। कि महिला के गर्भवती होने पर सरकारी अस्पताल में उसका रजिस्ट्रेशन तो करा दिया गया। लेकिंन प्रसव कही और कराया गया। स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार भी इन आँखों पर गौर नही करते कि रजिस्ट्रेशन होने व संबंधित अस्पताल में प्रसव कराएं जाने के आंकड़ों में फर्क क्यों। अगर इन आंकड़ों का मिलान कराया जाए तो आशाओ के चल रहे इस खेल पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता हैं। तमाम निजी अस्पतालों तथा झोलाछाप दाइयों के यहाँ प्रसव कराते आशाओं को जबतब देखा जा सकता हैं। हालांकि अस्पताल के इंचार्ज की यह जिम्मेदारी बनती हैं। कि वह संबंधित आशा से ये जबाब तलब करे। कि रजिस्ट्रेशन कराए जाने के बाद महिला का सरकारी अस्पताल में प्रसव क्यों नही हुआ। पर यहाँ तो ये जबाब पूछने की फिक्र किसे हैं। आज शुक्रवार को गाँव नवायल की आशा ममता देवी ने बताया कि उनके क्षेत्र से एक दूसरी आशा सुनीता देवी वहां की गर्भवती महिलाओं को मोटी रकम के लालच में निजी अस्पताल ले जाती है। सीएमओ विनीत शुक्ला ने बताया कि उनके पास इस तरह की कोई शिकायत नही आई है। अगर शिकायत आएगी टौ जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
