


कॉर्बेट बुलेटिन ब्यूरो रिपोर्ट हल्द्वानी
उत्तराखंड में टिड्डी दल की हुई दस्तक। पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को अलर्ट किया जारी ।

देश के पश्चिमी राज्यों में टिड्डी दलों ने काफी आतंक मचाया हुआ है। उत्तराखंड में भी सैकड़ों की संख्या में टिड्डी दल का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में उत्तराखंड को भी सतर्क रहने की पूरी जरूरत है क्योंकि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में भी कुछ कृषकों द्वारा टिड्डी दल के हमले की सूचना कृषि विभाग को मिल गई है। इसका अर्थ है कि उत्तराखंड में टिड्डी दल ने लगभग हमला बोल दिया है।
ऐसे में उत्तराखंड भी खुद को इससे लड़ने के लिए तैयार कर रहा है। सैकड़ों की संख्या में यह टिड्डी के दल किसानों की फसलें और महीनों की मेहनत तहस-नहस कर देते हैं, इसलिए पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अलर्ट जारी कर दिया है। वैज्ञानिकों ने यह संभावना व्यक्त की है कि बाहरी राज्यों से आने वाला यह टिड्डी दल उत्तराखंड के मैदानी व पहाड़ी जनपदों में गन्ना, मक्का व सब्जियों की फसलों को खराब करेंगे
देश के पश्चिमी राज्यों में टिड्डी दलों ने काफी आतंक मचाया हुआ है। उसी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी सैकड़ों की संख्या में टिड्डी दल का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में उत्तराखंड को भी सतर्क रहने की पूरी जरूरत है क्योंकि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में भी कुछ कृषकों द्वारा टिड्डी दल के हमले की सूचना कृषि विभाग को मिल गई है। इसका अर्थ है कि उत्तराखंड में टिड्डी दल ने लगभग हमला बोल दिया है। ऐसे में उत्तराखंड भी खुद को इससे लड़ने के लिए तैयार कर रहा है। सैकड़ों की संख्या में यह टिड्डी के दल किसानों की फसलें और महीनों की मेहनत तहस-नहस कर देते हैं, वैज्ञानिकों ने यह संभावना व्यक्त की है कि बाहरी राज्यों से आने वाला यह टिड्डी दल उत्तराखंड के मैदानी व पहाड़ी जनपदों में भारी नुकसान कर सकती हैं।
बता दें कि पौड़ी में टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना मिलने के बाद ही ही कृषि विभाग विभाग को दी है जिसके बाद से ही कृषि विभाग हरकत में आ गया है। वहीं वैज्ञानिकों ने कृषकों को यह सलाह दी है कि वह टिड्डी दल के दिखते ही वह टीन के डिब्बे बजाएं और जोर-जोर से थाली भी पीटें। साथ ही उन्होंने किसानों को पटाखे जला कर धुंआ और अत्यधिक शोर करने की सलाह भी दी है ताकि टिड्डी खेतों और फसलों के ऊपर हमला न कर सके। पौड़ी के अंदर टिड्डी दलों का हमला आगमन आंधी के कारण हुआ है। वैज्ञानिकों ने सभी जिलों में किसानों वह कृषि विभाग के कर्मचारियों को सतर्क रहने को कहा है। वही पंतनगर विश्वविद्यालय की ओर से गठित उत्तराखंड में इन दलों की निगरानी के लिए गठित एक समिति के अध्यक्ष डॉक्टर एसएन तिवारी ने यह बताया कि शनिवार को टिड्डी दल हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर सक्रिय था मगर यह पूरी तरह से दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाया।
देश के पश्चिमी राज्यों में टिड्डी दलों ने काफी आतंक मचाया हुआ है। उसी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी सैकड़ों की संख्या में टिड्डी दल का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में उत्तराखंड को भी सतर्क रहने की पूरी जरूरत है उत्तराखंड में टिड्डी दल ने लगभग हमला बोल दिया है। ऐसे में उत्तराखंड भी खुद को इससे लड़ने के लिए तैयार कर रहा है। सैकड़ों की संख्या में यह टिड्डी के दल किसानों की फसलें और महीनों की मेहनत तहस-नहस कर देते हैं, वहीं वैज्ञानिकों ने कृषकों को यह सलाह दी है कि वह टिड्डी दल के दिखते ही वह टीन के डिब्बे बजाएं और जोर-जोर से थाली भी पीटें। साथ ही उन्होंने किसानों को पटाखे जला कर धुंआ और अत्यधिक शोर करने की सलाह भी दी है ताकि टिड्डी खेतों और फसलों के ऊपर हमला न कर सके।
टिड्डियों से बचाब की सलाह
साथ ही साथ उन्होंने टिड्डी दलों से फसलों को बचाने के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी का 2.4 मिली. प्रति ली., क्लोरपाइरीफॉस 50 ईसी का 1.0 मिली. प्रति ली. या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी का 1.0 मिली. प्रति ली. का छिड़काव करने को बोला है। उसी के साथ कृषक फिप्रोनिल 5 एससी का 0.25 मिली. प्रति ली. या फिप्रोनिल 2.92 एससी का 0.45 मिली. प्रति ली. की दर से छिड़काव कर सकते हैं और टिड्डियों से अपनी फसलों का बचाव कर सकते हैं।
पौड़ी के अंदर टिड्डी दलों का हमला आगमन आंधी के कारण हुआ है। वैज्ञानिकों ने सभी जिलों में किसानों वह कृषि विभाग के कर्मचारियों को सतर्क रहने को कहा है। वही पंतनगर विश्वविद्यालय की ओर से गठित उत्तराखंड में इन दलों की निगरानी के लिए गठित एक समिति के अध्यक्ष डॉक्टर एसएन तिवारी ने यह बताया कि शनिवार को टिड्डी दल हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर सक्रिय था मगर यह पूरी तरह से दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाया।
उन्होंने यह भी बताया कि टिड्डियां एक समय में अत्यधिक मात्रा में वनस्पतियों का सर्वनाश करती हैं और मार्ग में आने वाली लगभग सारी वनस्पतियों को चट कर जाती हैं। पौड़ी गढ़वाल में टिड्डी दल की सक्रियता की शिकायत कुछ किसानों द्वारा मिली है। ऐसे में किसानों को अत्यधिक शोर करना चाहिए और खेत में धुआं करना चाहिए जिससे यह खेत की तरफ न आएं। साथ ही डॉक्टर तिवारी ने बताया कि किसानों को अगर उनके क्षेत्र में कहीं पर भी टिड्डी के दिखने तुरंत ही कृषि निदेशालय के नंबर 1800180011 पर अथवा उस जिले के कृषि अधिकारी को तत्काल सूचित करें।जिससे बचाब के रास्ते पता चल सकें।और किसानों की मदद हो सके।
