
मुस्तजब फारुकी
कालाढूंगी

संपादक कॉर्बेट बुलेटिन मुस्तज़र फारूकी

कालाढूंगी कॉर्बेट पार्क सटे ढेला व कालाढुंगी क्षेत्र में अगले कुछ सालों में बड़े भूकंप की आशंका है जो पूरे इलाके का क्षमता रखने बाला होगा आईआईटी कानपुर से आए वैज्ञानिकों की टीम ने नंदपुर गैबुआ गांव में 515 साल पहले आए भूकंप के प्रमाण मिलने का दावा किया है।

उनका कहना है कि इससे साबित हो गया है कि 1505 में भूकंप का केंद्र यहीं पर था। यहां भूकंप के तीन केंद्र मिलने का भी दावा किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि यहां पर रिक्टर पैमाने पर सात या फिर साढ़े सात प्वाइंट का भूकंप आया होगा और काफी तबाही मची होगी। 21 फरवरी को इस स्थान पर देश और विदेश के वैज्ञानिकों की एक और टीम भी जांच करने पहुंच रही है।

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक के नेतृत्व में आई भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने दस फुुट से अधिक गहरा गड्ढा खोदा। टीम ने ग्राउंड पैनीट्रेटिंग रडार (जीपीआर) के माध्यम से भी एक बार फिर से आठ मीटर तक जमीन की सतह को परखा। बारीकी से जांच पड़ताल की तो उन्हें भूकंप के प्रमाण मिले। प्रो. जावेद मलिक के अनुसार यहां भूकंप के तीन केंद्र बने हुए हैं, जिससे मिट्टी की सतह पूरी तरह से एक-दूसरे के ऊपर चढ़ी हुई है। इससे साबित होता है कि भूकंप से इस क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ होगा।

दाबका मिल सकती है कोसी से
वैज्ञानिकों की टीम ने दावा किया है कि जिस स्थान पर भूकंप का केंद्र मिला है, कभी वहां दाबका नदी बहती थी। यहां पर नदी में बहने वाले पत्थर मिले हैं। यदि अब भूकंप आता है तो दाबका नदी कोसी से मिल सकती है। 1505 में आए भूकंप के बाद दाबका नदी पश्चिम दिशा की ओर शिफ्ट हुई थी। भूकंप आता है तो दाबका नदी फिर से पश्चिम दिशा की ओर शिफ्ट हो सकती है।

