


ब्यूरो चीफ शादाब अली

बरेली घण्टे भर का भी वक़्त नहीं गुज़रा,और शहर के एक शख़्स को विलेन-जैसा बना दिया गया. इस शख़्स का कसूर इतना भर
था कि वह अपने इलाज के लिए नोएडा गया था,और वहां हुई जांच में वह कोरोना पॉजिटिव आया थ के घर वालों ने बिना देर लगाए उसको बरेली के एक मेडिकल कॉलेज (कोवेड अस्पताल) में भर्ती कर दिया. वालिद को बेहतर इलाज दिलाने के लिए इस शख़्स के बेटे ने चन्द लोगों को, जिन्हें वह अपना हमदर्द समझता था, फ़ोन कर दिया.
बस, यहीं से व्हाट्सएप और मैसेज का ऐसा खेल शुरू हुआ कि कुछ ही मिनटों में यह शख़्स बहेड़ी शहर का विलेन क़रार दे दिया गया. उसके नाम और पूरे शिजरे के साथ मैसेज दौड़ने लगे. कुछ ही देर गुज़री कि कुछ ख़बरनवीसों के क़लम हरकत में आ गए. मीडिया वाले ‘जोश’ में आ गए. मानो कोई बड़ी एक्स क्लूसिव रिपोर्ट हत्थे आ गई हो. कुछ तो इस हद तक जोश में आ गए कि उन्होंने उस शख़्स का फ़ोटो लगाकर ब्रेकिंग न्यूज़ जारी कर दी.
खबरें व्हाट्सएप पर चलीं और पूरे शहर में हंगामा से मच गया.फ़ोन घनघनाने लगे. अरे ‘उनका’ क्या हुआ. कोरोना हो गया है. दहशत-सी फैल गई पूरे शहर में. जिसे देखो, एक बात.
मैसेज और ब्रेकिंग के इस खेल ने इस शख़्स के परिवार को ऐसे अपराध बोध में धकेल दिया,जहां उनको महसूस होने लगा कि उन्होंने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया.वालिद की जांच रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव आ जाना उन्हें कोई बड़ा अपराध हो जाना लगने लगा. ब्रेकिंग के खेल ने उस शख़्स के दोनों बेटों की हालत ऐसी बना दी मानो कोरोना संक्रमण कोई मर्ज न होकर अपराध हो. कोरोना पॉजिटिव आ जाने से इस शख़्स का परिवार जितना परेशान हुआ, उससे कहीं ज़्यादा परेशानी में ‘ब्रेकिंग’ ने उनको डाल दिया था.उस शख़्स के बेटे ने ‘ब्रेकिंग’ को लेकर अपनी तकलीफ़ ज़ाहिर की – अंकल,क्या कोरोना मर्ज़ नहीं? क्या कोई चाहता है कि कोई भी मर्ज़ उसको लगे? क्या कोरोना पॉजिटिव आ जाना कोई अपराध हो गया? हमारे परिवार को विलेन बना दिया गया? हमारे वालिद की तस्वीर लगाकर ब्रेकिंग चलाई जा रही है? फ़ोन पर वह यह सब बताते हुआ रुआंसा हो जाता है. कहा – हमने तो अपना हमदर्द समझकर इलाज में मदद के लिए तीन-चार लोगों से यह बात शेयर की थी,मुझे हरगिज़ यह एहसास नहीं था कि इतना बड़ा तमाशा खड़ा हो जाएगा।
