
कालाढूंगी जिम कॉर्बेट म्यूजियम में कॉर्बेट ग्राम विकास समिति द्वारा गौरेया दिवस मनाया गया इस अवसर पर एन सीसी राजकीय इंटर कॉलेज व 70 वाँ कुमाऊं नेचर क्लब के बच्चों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान ड्रॉइंग प्रतियोगिता व प्रश्नोत्तरी , गौरेया घोसला प्रतियोगिता भी आयोजित की गईं इसके अलावा स्कूली बच्चों के द्वारा ड्रॉइंग प्रतियोगिता भी कराई गई जिसमें प्रथम तृस्ना पांडे दूसरा स्थान कष्टटी बिष्ट,व पर्यनसी पांडे, ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। घोसला प्रतियोगिता में प्रथम सत्या बिष्ट दूसरा दिक्षका तीसरा स्थान नेहा शाह प्राप्त किया। कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडये ने बताया की गौरैया उन कुछ विशेष पक्षियों में से है जिन्हें इंसानों के साथ रहना पसंद है। यह नन्ही सी, प्यारी सी, छोटी सी पक्षी इंसानों के आसपास या उनके घरों में ही घोंसला बनाकर रहती है। लेकिन निरंकुश विकास ने अब इन नन्हें पक्षियों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।कोरोना संक्रमणकाल में प्राकृतिक वातावरण में भी व्यापक सुधार आया और अब एक बार फिर से घर के बाहर पेड़ों पर गौरैया के चहचाहने की आवाज सुनाई देने लगी है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यह अच्छी बात है कि कुछ पक्षी प्रेमी आगे आए हैं। वे गौरैया और अन्य पक्षियों के संरक्षण के लिए अपने लगातार प्रयास से पक्षियों के संरक्षण की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरणविदों और पशु-पक्षी प्रेमियों के प्रयास से अब एक बार फिर से कई घरों में गौरैया की चहचहाट सुनाई पड़ने लगी हैं। घर के नजदीक पेड़ और अन्य स्थानों पर बने घोसले में सुबह-शाम गौरैया की चहचहाट लोगों के जीवन में खुशियां भर देती है। इस अवसर पर राज कुमार पांडे,इंद्र सिंह बिष्ट,मोहन पांडे,चंद्र पाल, गणेश मेहरा,भुवन सिंह, कबिता तिवारी,जया हरबोला व स्कूली छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

गौरैया को लेकर हमें भी करना चाहिए ये तैयारी
विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर सभी की जिम्मेदारी बनती है कि वे आने वाली गर्मियों में पक्षियों को होने वाली पानी और दाने की परेशानी को किसी हद तक दूर करने का प्रयास करें। घरों की बालकनी या छत पर पानी भरा मिट्टी का बर्तन और उचित स्थान पर गौरैया के घोंसले के लिए डिब्बे की व्यवस्था उसके संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल होगा। इससे इस पक्षी को प्राकृतिक रूप मनुष्य को अपना दोस्त मानने, उनके घरों के आसपास ही रहने के लिए एक ठिकाना मिलेगा। पुराणों में लिखा है कि अगर जीवों का अंत हुआ तो मनुष्य का अंत भी दूर नहीं है।
