दो नन्ने रोजदारो की दस्तान
चीफ एडिटर जाकिर अंसारी की विशेष रिपोर्ट
हल्द्वानी के दो मासूम बच्चो की कहानी आप ने दुनिया में बोहुत कुछ देखा और सुना होगा । आज हम आपको दिखाते है 2 मासूम बच्चो की हकीकत कहते है कि इबादत उम्र की मोहताज नही होती, बच्चो को यदि अपने धर्म के संस्कार बचपन से ही उनके पालने वालो देने लगे तो समाज मे बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे,

अयान ,अमान बच्चों के पिता सावेज अहमद सिद्दीकी
वही रमजान के रोज़े रखने में बड़ों के साथ बच्चे भी शामिल हो रहे। हल्द्वानी के मसहूर सावेज अहमद सिद्दीकी जी जो बरेली रोड गाँधी स्कूल के पास रहते हैं।इनके 2 बच्चे आयान 8.5 वर्ष तो दूसरा बच्चा अमान 11.5 वर्ष के दोनो होनहार नन्हें रोजेदारों में शामिल हैं। अयान तीसरी क्लास में और बड़ा भाई अमान छटी क्लास में बिड़ला स्कूल हल्द्वानी में पढ़ते है।
अपनी इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई के साथ साथ बच्चों का अपने धर्म के प्रति रमज़ान में रोज़ा रखने का जज्बा देखने को मिला। दोनो मासूम बच्चो ने सबसे पहले 2018 में रोज़े रखने की पहल की ओर एक एक रोज़ा रखा फिर मासूमो का जज्बा 2019 को जागा ओर दोनो भाई ने सोलह,सोलह रोज़े रखे।
ओर अब 2020 में दोनों मासूमो ने अपने माँ बाप के साथ साथ सभी अब तक 30 रोजे और सभी तराबीह भी पड़कर अपने माँ-बाप का नाम इज़्ज़त से ऊंचा किया है।
अपने दोनो बच्चो को पुरे रोज़ा रखने की ज़िद पर पहले तो माँ-बाप ने बच्ची को समझाया कि गर्मी बोहुत है रोज़ा न रखे। लेकिन मासूम नहीं माने । बच्ची की ज़िद के आगे माँ-बाप को बेबस हो होना पड़ा। और आखिर माँ- बाप को इजाजत देनी ही पड़ी।
इजाजत मिलते ही दोनो बच्चों ने रोज़े रखने सुरु किए। शाम को इफ़्तार का वक़्त होता ही परिवार के साथ रोज़ा खोलते आज आख़िरी रोज़े पर नमाज़ के बाद अल्लाह से मुल्क में तेज़ी से पांव पसार रहे कोरोना संक्रमण को ख़त्म करने की अल्लाह तआला से दुआ की।साथ ही अपने मुल्क हिंदुस्तान में सभी रहने वाले लोगो की जान माल की हिफाज़त की दुआ भी की इन बच्चों का ये जज़्बा देकर हमारा कॉर्बेट बुलेटिन परिवार
इनके माँ-बाप और मासूम दोनो रोजदारों का दिल से ईद की मुबारकबाद पेश करता है
आप देख रहें हैं मासूम रोजदारों की अनोखी दास्तान
कुछ विशेष खबरों के साथ आप हमारे साथ बने रहे आपसे फिर मुलाकात होगी नमस्कार
