कालाढुंगी बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रही पुलिस तमाशबीन बनी हुई है। हत्या, लूट, डकैती ही नहीं बल्कि सटटे का मकड़जाल भी नवर में चारों ओर फैला है। नगर में तो गलियों से लेकर मुख्य सड़क तक इसका कारोबार चलाया जा रहा है। इसमें होता यह है कि सुबह से सटोरिए कागज व पेन लेकर निकलते हैं। निधार्रित अड्डों यानीकी नगर वार्डो में सटे जंगल पर जाकर सटोरिए कागज की पर्चियों में नंबर लिखकर पैसा लगाते हैं। यह क्रम दिन में कई राउंड चलता है। एक के दस पाने के लालच में जहां व्यवसाई अपनी गढ़ाई कमाई लुटा रहे हैं वहीं इसमें कम पढ़े लिखे वर्ग की बस्ती की महिलाएं व युवा वर्ग भी सहभागिता कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नगर के सफेद पोस् नेता भी शामिल है बताते कहले की नगर के वार्ड नंबर आदि जगहों पर सटटे का खेल धड़ल्ले से चल रहा है वार्ड नंबर 3 में महिलाएं व युवा वर्ग इस बर्बादी के खेल में पैसा बर्बाद कर रहे हैं। फोन से नंबर सटोरिए खुलने की सूचना संकलित करते हैं इसके बाद जिसका नंबर खुलता है उसे पैसे बांटे जाते हैं। आश्चर्य की बात तो इसमें यह है कि सटटे का खेल सक्रिय चल रहा है। इसका हर तरफ शोर होने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नही कर रही है। इससे पुलिस की भूमिका लोगों को संदेहस्पद नजर आ रही है। दबी जुबान लोग यह कहने से नही चूकते हैं कि कुछ पुलिस कर्मियों की इसमें सह रहती है जिससे सटोरिए जल्दी पकड़े नही जाते हैं। जिससे सटटे का अवैध कारोबार बदस्तूर चलता रहता है। कभी उच्चाधिकारी अगर इसी ओर कार्रवाई करने का शिकंजा कसते हैं तो सटोरियों से मिले पुलिस कर्मी उन्हें पहले से सूचना दे देते हैं जिससे वह जल्दी पकड़े नहीं जाते हैं। सटटे का खेल सुबह से रात तक संचालित किया जाता है।

गुर्गों से कराया जाता है काम
: सटटे के अवैध व्यवसाय के बारे में सूत्रों का कहना है कि मुख्य सटोरिए सिर्फ अपने बड़े ग्राहकों के पास जाते हैं कम पैसा सटटे में लगाने वालों के पास उनके गुर्गें जाया करते हैं। इससे सटोरिए खुद तो नहीं पकड़े जाते हैं अगर इनके गुर्गे पकड़े भी गए तो वह उनकी पैरवी कर छोड़ाने के प्रयास में लग जाते हैं।
