संपादक कॉर्बेट बुलेटिन मुस्तज़र फारूकी
कालाढूंगी हलद्वानी। कहते कि बचपन हर गम से अंजाना होता है। लेकिन गरीबी की मार बहुत सारे बच्चों को छोटी उम्र में ही ऐसा काम करने को मजबुर कर देती है जिसे देख हम और आप हैरत में पड़ जाते हैं। पढ़ने लिखने की उम्र में कई बच्चे सड़कों पर करतब दिखाते मिल जाते हैं। वहीं हलद्वानी के कालाढूंगी रोड में भी एक ऐसा मामला देखने को मिला। जहां सड़क किनारे मात्र 5 वर्ष की मासूम बच्ची अपने परिवार के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर ऐसे करतब दिखा रही थी कि देखने वालों की आंखे खुली की खुली रह गईं। लेकिन इन होनहार जाबजों की दशा देखने और सुनने वाला शायद कोई नहीं है जो इनका बचपन इन्हें लौटा सके। ये नन्ही सी जान जमीन से लगभग दस बारह फुट की ऊंचाई पर एक पतली रस्सी पर चल रही थी। यदि थोड़ा सा संतुलन बिगड़ जाए और वह गिर पड़े तो निश्चित ही वो गम्भीर रूप से घायल हो सकती हैए लेकिन वह नन्ही सी जान बिना अपनी जान की परवाह किए अपने करतब दिखा रही थी और लोग इस खेल का मजा ले रहे थे। गौर करने वाली बात ये है कि दांतों तले उंगली दबा देने वाले ऐसे हुनर व जज्बे को सही दिशा देने की जरूरत है। यहां प्रश्न सरकारों के साथ साथ प्रशासन पर उठते हैं आखिर हम कब तक ऐसे दर्दनाक मंजर देखते रहेंगे। कब तक रोटी के लिए बच्चे जान जोखिम में डालते रहेंगे। सरकार और समाज सेवियों को इस बारे सोचना चाहिए।