
कालाढूंगी। बैलपड़ाव निवासी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कर्मी मुकेश छिमवाल साइबर ठगी का शिकार होते होते बच गए।उन्होंने कालाढूंगी थाना अध्यक्ष दिनेश नाथ महंत व बैलपड़ाव पुलिस चौकी प्रभारी भूपाल पौरी को घटना की जानकारी से अवगत करा दिया है।छिमवाल ने बताया कोटाबाग गैस गोदाम स्थित उनके परिचित की फेसबुक आईडी जो हैक हो गयी है से उन्हें मैसेज आया कि उनके कहीं से पैसे आने हैं और वह अपना गुगल पेय बता दें। उसके बाद चैक करने के लिए 05 रुपये डालने को कहा। फिर कहा गया कि 19 हजार 595 रुपये और डाल दो। इतना सुनते ही उन्हें लगा कि वह साइबर ठगी का शिकार होने वाले हैं और वह अपनी सतर्कता से साइबर ठगी का शिकार होने से बच गए। इनके अलावा भी यहाँ 2 माह पूर्व वार्ड नंबर छः निवासी अरबाज खान को भी ओलेक्स नेट पर इलेक्ट्रॉनिक कार बेचने के लिए भारी पड़ गया मामला किया था कि ओलेक्स पर ठगी करने बाले एक सख्स का फोन आया और कार की बात की गई उसके द्वारा नेट पर ही पेटीएम से 500 रुपये बयाने के तौर पर अरबाज के पेटीएम में डाले गए उसके बाद से अरबाज के खाते में शेष रहे 5500 रुपये सायबर के जरिये पेटीएम से उड़ा दिए । अरबाज ने इस मामले को अपने घर बालो की डर की बजाह से छुपाये रखा था उन्होंने अपनी आप बीती एक करीबी दोस्त को पूरे मामले की जानकारी बताई तब तक जाकर ये मामला प्रकाश में आया और फिर अरबाज ने कहा पूरी जानकारी बताते हुए कहा कि घर के डर से मेरे द्वारा थाने में इसकी कोई सूचना नही दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पूर्व भी उनके परिचित भी ठगी के शिकार हो चुके है उन्होंने इस मामले को शर्म के मारे छुपा रखा था।
जरूरी है साइबर सुरक्षाकैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। डिजिटल भारत कार्यक्रम की सफलता काफी हद तक साइबर सुरक्षा पर निर्भर करेगी। अत: भारत सरकार को इस क्षेत्र में तीव्र गति से कार्य करना होगा। लोगों को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हैकर्स ऑनलाइन ठगी का शिकार बनाते हैं। सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक उपयोग हमें ऑनलाइन ठगी तथा साइबर अपराध के गंभीर खतरों से बचा सकता है। साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
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अपनी निजी जानकारी किसी से साझा न करें
कोरोना के दौर में ऑनलाइन ख़रीददारी में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। डिजिटल प्लेटफार्म पर सूचनाओं का प्रवाह करते समय बहुत अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता है। जहां तकनीक ने हमारा जीवन सुविधा संपन्न बनाया है, वहीं दूसरी ओर सोशल साइट्स के माध्यम से हमारी निजी सूचनाओं को भी सार्वजनिक किया है। बड़ी आबादी अपने रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऑनलाइन साइट्स पर निर्भर है। इसके कारण ऑनलाइन ठगी आज एक आम समस्या बन गई है। आए दिन जनता साइबर क्राइम का शिकार बन रही है। इस प्रकार की ठगी से तभी बचा जा सकता है, जब ऑनलाइन लेन-देन करते समय हम सतर्क और सावधान रहें। हमें सूचनाओं को सार्वजनिक करते समय भी सूझबूझ का परिचय देने की आवश्यकता है। बैंक निर्देशों का पालन करते हुए भी अपनी निजी जानकारियां साझा नहीं करनी चाहिए।
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सावधानी और गोपनीयता जरुरीसाइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए जरूरी है की हम जागरूक, सतर्क और सावधान रहें। यह अत्यंत आवश्यक है की हम अपनी निजी जानकारी किसी के साथ भी साझा न करें। अपने बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम या फोन बैंकिंग पिन, कार्ड का सीवीवी नंबर, समाप्ति तिथि किसी से शेयर न करें। इसके साथ ही आसान पासवर्ड एवं पासवर्ड रिकवरी सेटिंग में ऐसे प्रश्नों को सम्मिलित न करें, जिसका आसानी से जवाब दिया जा सकता है। यदि किसी के साथ साइबर अपराध हो जाए, तो उसे तत्काल हेल्पलाइन नंबर एवं साइबर अपराध सेल में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
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महिलाएं और बुजुर्ग आसान शिकारमहिलाएं एवं बुजुर्ग साइबर अपराधियों के आसान शिकार होते हंै। कुछ एक बातों पर ध्यान दें, तो इस मुसीबत से बचा जा सकता है। एटीएम मशीन का अभ्यास बहुत अच्छे से करें, ताकि आपको किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़े। यदि पड़े तो भी सिर्फ सुरक्षा गॉर्ड की मदद लें। एटीएम से निकली पर्चियों को इधर-उधर ना फेंके। पैसे निकालते समय कोशिश करें कि आप मशीन पर अकेले हों और कोई आपके पिन को ना देखे। महिलाएं अपने फोटो व जानकारियों को सोशल साइट्स पर ना डालें। मिस्ड कॉल्स, अनजान लिंक्स व पोर्न साइट्स को टालें। बैंक से फोन आने पर कुछ भी जानकारी शेयर ना करें, बल्कि बैंक जाकर सारी बातें स्पष्ट करें।
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बदलते रहें पासवर्डसाइबर अपराधों पर नियंत्रण रखने के लिए लोगों को स्वयं जागरूक होना होगा। लोगों को इसकी रोकथाम के लिए कुछ प्रभावी उपाय अमल में लाए जाने चाहिए। जैसे कि क्रेडिट कार्ड से खरीद की सीमा रखना, सिस्टम में एंटीवायरस लगवाना, अनचाहे लिंक्स पर क्लिक न करना। लोगों को फेसबुक,वॉट्सएप और ईमेल से आने वाले अनचाहे लिंक्स पर क्लिक नहीं करना चाहिए और अपना पासवर्ड बदलते रहना चाहिए।
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कड़ा कानून जरूरीसाइबर अपराधों के बढऩे का एक मात्र कारण है कानून का लचीलापन। साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार ने ठोस और कारगर कदम नहीं उठाए। इसके चलते अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है। इसलिए सब से पहले तो इस संबंध में कड़े कानून बनाए जाएं, ताकि अपराधी इस तरह के अपराध करने से पहले कई बार विचार करे। कानून का कड़ाई से क्रियान्वयन भी कराया जाए।

