कालाढूंगी अरे भाई साहब आगे खिसकिए और डबल लाइन में हो जाइए। बहन जी आपको नहीं सुनता, डबल लाइन बनाओ.., आपको नजर नहीं आ रहा बाहर कितनी सवारियां खड़ी है, इन्हें भी तो जाना हैं।’जी हां, अगर आपको बसों में सफर करना है तो डबल लाइन तो बनानी ही पड़ेगी। उस समय कोई दुबला पतला हो या सेहतमंद। दो लाइन में एडजेस्ट होना ही पड़ेगा। कालाढूंगी रामनगर हलद्वानी बाजपुर में लोकल बस चालकों व परिचालकों की जुंबा पर भले कुछ आए या न आए लेकिन डबल लाइन में हो जाओ.. जोर-जोर से चिल्लाना नहीं भूलते। ऐसा लगता है किसी बस में नहीं बल्कि स्कूल की प्रार्थना सभा में खड़े हो रहे हैं। ऐसा कर बस चालक व परिचालक ओवरलोडिंग तो कर ही रहे हैं साथ ही आए दिनों होने वाली बस दुर्घटना को भी बुलावा दे रहे हैं। आकंडे़ गवाह है कि प्रदेश में होने वाली बस दुर्घटनाएं ओवरलोडिंग व तेज रफ्तार की वजह से ही होती है। बस चालक पहले तो अधिक सवारी उठाने के चक्कर में स्टेशन से समय पर नही चलते और बाद में उसी देरी को पूरा करने के लिए ओवर टेक व ओवर स्पीड़ में चलते हैं।हैरत की बात यह है कि इनकी यह मनमानी प्रशासन की नाक तले हो रही है। निजी बसों सहित परिवहन निगम की बसों में इस तरह का हाल है। मगर पुलिस व परिवहन विभाग अभी तक चुप्पी साधे हुए है, जिससे बस चालकों व परिचालकों की मनमानी दिन प्रति दिन बढ़ रही है। यदि आम लोग इन्हें कुछ कहें भी तो खरी-खरी सुना देते हैं। प्रशासन सख्त कानून बनाकर भूल गया है।
हादसे के बाद खुलती है प्रशासन की नींद
शहर में जब कोई बस दुर्घटना या फिर निजी बस चालक किसी को कुचल देते है, उसके बाद ही प्रशासन की नींद खुलती है। तब भी थोड़े समय तो इनकी मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सख्ती बरती जाती है, लेकिन जैसे ही लोग उस हादसे को भूल जाते है फिर से बस चालक अपनी मनमानी करना शुरू कर देते है और प्रशासन की तरफ से भी इन्हें ढील मिलनी शुरू हो जाती है।