
बरेली। लॉकडाउन के कारण करीब दो महीने से बरेली में फंसी लखनऊ की शिवांगी मुस्लिम परिवार के घर रहकर रमजान में सौहार्द की मिसाल पेश कर रही हैं। वह अपनी सहेली आयशा के घर सहरी और इफ्तार के लिए रोज तरह-तरह की लजीज डिश बनाती हैं। बीटेक student शिवांगी ने बताया, लॉकडाउन की वजह से आयशा के घर रहते मुझे अब लगभग दो महीने हो चुके हैं। ऐसा आजतक लगा ही नहीं कि मैं कहीं पराए घर में हूं। साथ रहकर मैं हैरान रह गई कि लोग क्यों धर्म के नाम पर हमेशा लड़ते व अनर्गल बातें करते रहते हैं। असल में बरेली के जीआईसी में तैनात शिक्षक नईम अहमद का घर सिटी सब्जी मंडी में है। उनकी छोटी बेटी आयशा अहमद B.tech कर रही हैं। लखनऊ निवासी उसकी दोस्त शिवांगी सिंह 12 मार्च को बरेली आई थीं। शिवांगी का 21 मार्च को दिल्ली में आइलेट्स का एग्जाम होना था, क्योंकि आयशा इस टेस्ट को पास कर चुकी हैं। शिवांगी को तैयारी के संबंध में आयशा से टिप्स लेने थे। प्लान ये था कि 13 मार्च से 20 मार्च तक तैयारी के बाद 21 मार्च को दिल्ली में टेस्ट होना था लेकिन लॉकडाउन के कारण शिवांगी न तो दिल्ली जा पाईं। ट्रेनें और बसें बंद होने से लखनऊ भी नहीं पहुंच सकीं। वह 12 मार्च से आयशा के घर ही रह रही हैं। 25 अप्रैल से रमजान शुरू हो गए। घर के सभी लोग रोजा रख रहे हैं। ऐसे में परिवार के साथ शिवांगी सहरी और इफ्तार के लिये रसोई में योगदान दे रही हैं। हालांकि, वह रोजे रख तो नहीं रहीं मगर उनके दिन की दिनचर्या रोजेदार जैसी ही है। शिवांगी वृन्दावन योजना लखनऊ में रहती हैं। उनके पिता अरुण कुमार सिंह लखनऊ में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव ऑफिसर हैं। वे लोग पहले परिवार सहित बरेली ही रहते थे। शिवांगी और आयशा ने जीपीएम स्कूल में साथ पढ़ाई की है।

