राहत पैकेज के नाम पर धोखाधड़ी और प्रवासी मजदूरों की लगातार मौतों के खिलाफ ‘माले’ का राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस
रिपोर्टर, अतुल अग्रवाल
भाकपा(माले) के राष्ट्रव्यापी प्रतिराेध के तहत राहत पैकेज के नाम पर धोखा क्यों?, प्रवासी मजदूरों की लगातार मौतें क्यों?, क्वारंटाइन सेण्टर के नाम पर यातनागृह क्यों? सवालों पर मोदी सरकार से जवाब मांगा गया।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “घर लौटने के क्रम में गरीब मजदूर बड़ी संख्या में बेमौत मारे जा रहे हैं। मोदी -निर्मला राहत पैकेज मायाजाल के सिवाय और कुछ नहीं है। मजदूरों, किसानों, रेहड़ी -पटरी वाले, छोटे मझोले व्यवसायी समेत सबको धोखा देने का काम मोदी सरकार ने राहत पैकेज के नाम पर किया है। कारपोरेट घरानों को छोड़कर बाकी सभी ठगा महसूस कर रहे हैं। क्वॉरेंटाइन सेंटरों में क्षमता से अधिक लोगों को भेड़ बकरियों की तरह ठूंस दिया गया है, और वे यातनागृहों में तब्दील हो गए हैं।”
उन्होंने कहा कि, “देश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। एक दिन में 5000 से ज्यादा मरीजों का मिलना बहुत बड़ी खतरे की घंटी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सिनेमाई स्टाइल में बिना किसी ठोस योजना -प्लानिंग के अचानक देशव्यापी लॉकडाउन कर दिया। लॉक डाउन के दौरान मिले समय का उपयोग करोना महामारी से निपटने की तैयारी में लगाने के बजाए ताली-थाली बजाने और राजनीतिक नौटंकीबाजी में बिता दिया। शुरुआती दौर में जो मजदूर किसी भी तरह अपने घर पहुंच गए वे सब कोरोना से बच गये हैं। अगर सभी लोगों को शुरू दौर में ही घर जाने का समय मिलता तो देश में कोरोनावायरस का प्रसार आसानी रुक जा सकता था लेकिन अभावग्रस्त साधनविहीन मजदूरों को शहरों में जबरन रोककर मोदी सरकार ने उनकी जान को खतरे में डाल दिया है। मोदी सरकार के निकम्मेपन और तुगलकी फैसले के कारण आज पूरा देश भारी संकट में है।”
उन्होंने कहा कि, “लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों जानें गई, करोड़ों नौकरियां छिन गई व अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। यह सब मोदी सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम है। आज देश के लिए कोरोना महामारी से ज्यादा खतरनाक मोदी सरकार बन गई है। सचमुच में मोदी सरकार देश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है।”
आज के “राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध” कार्यक्रम में माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, ललित, विमला, निर्मला, पुष्कर, बिशन दत्त, चंद्रप्रकाश, शकील, गोपाल सिंह, किशन सिंह आदि ने लॉकडाउन नियमों के तहत प्रतिरोध दर्ज किया।
