सरकार इस शैक्षिक सत्र को शून्य घोषित किया जाये अभिभावकों को ट्यूशन फीस देनी होगी।
रिपोर्टर अतुल अग्रवाल
आज हल्द्वानी के एक रैस्टोरैंट में स्कूल प्रबंधकों के द्वारा एक प्रेस वार्ता की गई जिसमें सभी स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि सरकार सत्र 2020 2021 के शिक्षण संस्था सत्र को शून्य घोषित कर दे जो बच्चा जिस क्लास में है अगले सत्र में उसी क्लास से अपनी पढ़ाई प्रारंभ करें वहीं दूसरी ओर अभिभावकों के द्वारा ट्यूशन फीस ना देने को लेकर प्रबंधकों का कहना है
कि जब पूरे देश में 22 मार्च से सरकार द्वारा वैश्विक महामारी के चलते लॉक डाउन घोषित किया गया था तभी से सारी शिक्षण संस्थान पूर्णता बंद है इसके बावजूद सरकार के द्वारा सरकारी शिक्षण संस्थानों के टीचरों एवं स्टाफ को पूरी तनख्वाह दी जा रही है वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों से फीसमाफी को लेकर किस आधार पर आदेश सरकार के द्वारा पारित किए जा रहे हैं स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि हमारे द्वारा अभिभावकों से मेन्टीनेंस ट्रांसपोर्ट चार्ज अन्य मद में किसी भी प्रकार की कोई भी धनराशि लेने का दबाव नहीं बनाया जा रहा है वहीं यह भी कहा गया कि लॉक डाउन के चलते सरकार की गाईड लाइनों का पालन करते हुए स्कूलों के द्वारा ऑनलाइन शिक्षा बच्चों को दी जा रही है एवं अभिभावकों से स्कूल प्रबंधक केवल ट्यूशन फीस की ही मांग रहा है जिससे कि प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत टीचर एवं अन्य स्टाफ को तनख्वाह दी जा सके क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में भी जो लोग कार्यरत हैं उनके बच्चे भी किसी ना किसी शिक्षण संस्थान में शिक्षा ग्रहण करते हैं यदि प्राइवेट स्कूल वालों के द्वारा अपने टीचरों एवं स्टाफ को तन्खवाह नहीं दी जाती है तब उनके बच्चे कैसे पढ़ेंगे एवं उनके परिवार का पालन पोषण कैसे होगा
यह भी एक बहुत बड़ी समस्या उनके समक्ष खड़ी है प्राइवेट स्कूल के प्रबंधकों का कहना है कि जब सरकार के द्वारा हम को किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं दी गई है जैसे बसों का मेंटेनेंस ड्राइविंग लाइसेंस लाइट के पानी के भवन कर कुछ भी माफ नहीं किया गया है ऐसी परिस्थितियों में प्राइवेट स्कूल वालों के सामने यह एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है कि एक तरफ सरकार कहती है आप बच्चों से फीस नहीं लेंगे वहीं दूसरी ओर सरकार स्कूल वालों से पूर्णता सभी वसूली कर रही है स्कूल वाले इन परिस्थितियों में सरकारी टैक्स का भुगतान कैसे करें सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देते हुए या तो प्राइवेट स्कूल वालों के लिए कोई आर्थिक पैकेज क्षेत्र घोषित करें या फिर स्कूल में कार्यरत स्टाफ की तन्खवाह की व्यवस्था करें प्रेस वार्ता में यह भी कहा गया कि एक और अभिभावक जब अपने बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं चाहते हैं अभिभावक अपने बच्चे का एडमिशन कराने आता है उसवक्त पूँछता है
आपके स्कूल में AC है RO का पानी है बच्चो को लाने ले जाने के लिए वातानुकूलित वाहन है फीस कितनी है यदि हम फीस कम बताते हैं अभिभावक कहते हैं कम फीस में आप बच्चो को क्या शिक्षा देँगे वही प्रेस वार्ता में बताया गया बिना ट्यूशन फीस के हम किसी बच्चे को प्रमोट करेंगे और ना ही बिना फीस के किसी बच्चे को अगली क्लास के लिए एक पास करेंगे स्कूलों के जनप्रतिनिधियों के द्वारा यह भी कहा गया कि या तो सरकार उनके लिए कोई आर्थिक सहायता प्रदान करें जिससे कि स्कूल वाले अपने स्कूलों के जैसे बिजली का बिल ,पानी का बिल ,बसों का टैक्स ,रजिस्ट्रेशन, भवन कर सभी का भुगतान करें एवं अपने यहां कार्यरत स्टाफ को तनख्वाह दें स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि कोर्ट के आदेशानुसार यदि कोई व्यक्ति ट्यूशन फीस देने में अक्षम हैं तो इसका प्रमाण पत्र विद्यालय में जमा करें अन्यथा जो भी अभिभावक ट्यूशन फीस देने में सक्षम है वह स्कूलों में आकर ऑनलाइन ट्यूशन की फीस जमा कर सकें जिससे स्कूल प्रबंधक के द्वारा अपने स्टाफ को तथा दी जाए वही इस बात पर भी जोर दिया गया कि आजकल प्राइवेट स्कूल वालों को यह के कहकर भी संबोधित किया जा रहा है कि प्राइवेट स्कूल व्यावासिक करण हो गए हैं इस बात पर स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि जब हम स्कूल बनाने के लिऐ भूमि खरीदते हैं तब उसकी रजिस्ट्री कमर्शियल में की जाती है लाइट का बिल कमर्शियल दिया जाता है पानी का बिल कमर्शियल दिया जाता है बच्चों को लाने ले जाने के लिए जो वाहन खरीदे जाते हैं उनका रजिस्ट्रेशन कमर्शियल किया जाता है जब सरकार के ही द्वारा हमको प्रारंभ से ही कमर्शियल घोषित कर दिया जाता है तो आम जनता एवं सरकार बताएं की शिक्षा प्रणाली को व्यायवासिक क्यों कहा जाता है जबकि किसी भी स्कूल की नींव रखने से लेकर स्कूल प्रारंभ होने तक जो भी सुविधा दी जाती हैं वह कमर्शियल श्रेणी में रखी जाती हैं साथ ही स्कूल संचालकों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने प्रमाण पत्र स्कूल में जमा करता है कि वह व्यक्ति फीस देने में ट्यूशन फीस देने में सक्षम नहीं है तुरंत 4 महीने नहीं पूरे साल भर उस व्यक्ति से किसी भी तरह का कोई भी शुल्क एवं ट्यूशन नहीं लेंगे लेकिन इसका प्रमाण अभिभावकों स्कूल में आकर देना होगा वहीं यह पूछे जाने पर कि आजकल हल्द्वानी में फीस माफी को लेकर कुछ संगठनों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है इस पर प्रबंधकों का कहना है कि यदि किसी अभिभावकों किसी भी तरह की कोई भी आर्थिक परेशानी है वह आकर स्कूल में अपनी परेशानी हमारे सामने रख सकता है उसका पूरा पूरा सहयोग करेंगे लेकिन फीस माफी को राजनीति मुद्दा बनाकर तूल ना दिया जाए हम अभिभावक और बच्चों के भविष्य के लिए पूर्णता उनके साथ खड़े हैं लेकिन अभिभावक इस बात को भी समझे हमारे यहां को लोग कार्यरत है
उनके बच्चे भी कहीं ना कहीं शिक्षा ग्रहण करते हैं यह परेशानी उनके समक्ष भी है यदि हम उनको तनख्वाह नहीं देंगे उनका परिवार कैसे पढ़ेंगे घर कैसे चलेगा यह भी एक सोचनीय विषय है वही स्कूल प्रबंधकों के द्वारा यह भी कहा गया कि जब 22 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन के चलते सभी शिक्षण संस्था में बंद हैं सब् सरकार के द्वारा सरकारी विद्यालयों के टीचरों को हजारों रुपए महीने की तनख्वाह दी जा रही है वही स्कूल संचालकों का कहना है कि जब सरकार के द्वारा बंद स्कूल के दौरान स्टाफ टीचरों को तनख्वाह दी जा रही है तो सरकार प्राइवेट स्कूल वालों को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान क्यों नहीं करता है हमको भी सरकार आर्थिक मदद दे जिससे हम अपने कार्यरत सभी स्टाफ को तनख्वाह दे सकें वही स्कूल संचालकों का कहना है कि फीस माफी को राजनीतिक मुद्दा ना बनाया जाए यदि किसी के साथ कोई परेशानी है या किसी को भी इस मुद्दे पर बात करनी हो स्कूल पहुंचे प्रबंधक से बात करें जो लोग फीस देने में सक्षम नहीं है उनकी बात पूर्णता सुनते हुए पूरा सहयोग किया जाएगा