अरे ये कैसी सरकारी मदद हैं जो गरीबों मजदूरों को एक किलो चावल देकर आपने कर्तव्य का पालन कर रही है और उन्हीं की खिल्ली उड़ा रही है।
बीमारी मिट नहीं रही, गरीबों को मिटाने पर तुली है।
सरकार अपनी कमी छिपाने के लिए पता नहीं कैसी बाजीगरी कर रही है। एक किलो चावल में एक दिन काटता नहीं और सरकार 21 दिन काटने की बात कर रही है।
बताते चलें कि पुरे देश में लाॅकडाउन जारी है इसी बीच मजदूर वर्ग भी है जो इस समय लाॅकडाउन की मार में बुरी तरह पिस रहा है। वही सरकार के दूरदराज से आये मजदूर गले नहीं उतर रहे हैं ।
जी हम बात कर रहे लालकुआ के बेरीपड़ाव खनन गेट की जहा पर लाॅकडाउन के चलते हजारों मजदूर फसे हुये हैं जिनके आगे रोजी रोटी का संकट बना हुआ है वही इन मजदूरों की मदद करने के लिए सरकारी मदद लेकर वन निगम पहुचा वो भी ऐसी मदद जिसे देखकर भगवान भी सर्मा जाये।
वन निगम द्वारा आज हजारों खनन मजदूरों को निकासी गेट पर। दस मजदूरों को एक किलो वजन के हिसाब से दस किलो राशन बाटा गया जिसमें चावल दाल तेल अन्य सामान मौजूद था जिसे पाकर मजदूर असंतुष्ट नजर आये वही मजदूरों ने सरकार पर सीधा भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि लाॅकडाउन पर केन्द्र सरकार द्वारा गरीबों को हर सम्भव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया गया लेकिन राज्य सरकार हम लोगों कोई मदद नही कर रहा है उन्होंने कहा कि सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है।
इधर स्थानीय जनप्रितिनिधियो ने भी सरकार को घेरते हुए कहा सरकार मजदूरों को ऐसे राशन बाटी जा रही है जैसे “ऊंट के मुंह में जीरा” उन्होंने कहा कि पुर्रे देश 21 दिनो का लाॅकडाउन लगा हुआ है और सरकार गरीबों की इस तरह से मदद कर उनका माजक उडा रही है जो काफी निन्दानिय है।
पीड़ित मजदूर
इतना बड़ा राज्यस्व देने वाली गोला नदी के मजदूरों को सरकार दो वक्त का खाना नसीब नहीं कर पा रही जो सोचने का विषय है वही खनन से ठेकेदार भी इस घड़ी में मजदूरों के साथ नहीं है जिसके चलते मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। अब देखना है कि सरकार इनके लिए क्या कदम उठाती है।