


भाकपा (माले) व “ऐक्टू” ने इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों द्वारा आयोजित “देशव्यापी काला दिवस” को अपना सक्रिय समर्थन दिया
रिपोर्टर, अतुल अग्रवाल
“माले” व “ऐक्टू” ने 1 जून को पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों द्वारा इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में आयोजित कार्यक्रम “देशव्यापी काला दिवस” को अपना पूर्ण सक्रिय समर्थन देते हुए इस बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की।

भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने बिजली कर्मचारियों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के समर्थन में शामिल होते हुए कहा कि, “देश में कोरोना महामारी की आपदा का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार पूरी ताकत के साथ सार्वजनिक जनोपयोगी सेवा क्षेत्र, विद्युत ऊर्जा का, इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के ज़रिए पूरी तरह निजीकरण करने पर आमादा है. ये विनाशकारी कदम आम जनता, ग़रीबों और किसानों की जिंदगी बदहाल कर देगा, क्योंकि बिजली बहुत ज्यादा महंगी हो जाएगी और शुरुआत 10 रु. प्रति यूनिट से होंगे, खासतौर से तब जब इस क्षेत्र से जुड़ी आम जनता को सब्सिडी पूरी तरह हटाई जा रही है. साथ ही, इससे केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण अनिवार्य हो जायेगा और राज्य सरकारों के लिए ये आवश्यक हो जाएगा कि वो इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के इस विनाशकारी रास्ते पर ही चलें और इस बिल से नियामक शक्तियों का एकाधिकारिक केन्द्रीकरण हो जाएगा. इसके अलावा इस बिल के ज़रिए इस क्षेत्र में कार्यबल का पूरी तरह ठेकाकरण हो जाएगा.
जाहिर है कि इस बिल को लाने में ये सरकार बहुत तेजी दिखा रही है, यहां तक कि कोरोना और लॉकडाउन जनित आम लोगों की तकलीफों को पूरी तरह दरकिनार कर रही है, ताकि अंबानी और अडानी जैसे लोगों के हितों का पोषण करते हुये विद्युत वितरण के पूरे काम को निजी क्षेत्र को सौंप दिया जाए।”
‘ऐक्टू’ ट्रेड यूनियन नेता डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “माेदी सरकार पूरी बेशर्मी से अपने कोरपोरेट-परस्त, जन-विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाते हुये सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र के संस्थानों का, जिनमें अति संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं, बेरोकटोक निजीकरण और कोरपोरेटीकरण करने में लगी है, और मजदूरों के अधिकार छीन रही है। ऊपर से, महामारी के इस भयानक दौर में अपने इन कदमों को छुपाने के लिए मोदी सरकार ”आत्मनिर्भर भारत अभियान” का शगूफा लेकर आई है. जाहिर है कि, आत्मनिर्भर भारत विदेशी पूंजी तथा कोरपोरेट घरानों की दया पर और भारत के मजदूरों को जबरन गुलाम बना कर बन ही नहीं सकता। साफ तौर पर, मोदी सरकार के इस कदम को जनता की एकताबद्ध ताकत से पीछे ढकेलना होगा। और बिजली सेक्टर के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं दोनों को साथ आना होगा।”
“ऐक्टू” 1 जून को पॉवर सेक्टर के कर्मचारियों और इंजीनियरों द्वारा इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में आयोजित ”देशव्यापी काला दिवस” को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए मांग करता है कि- इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 वापस लो, इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर और बिजली वितरण का निजीकरण की कोशिश बंद करो, सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र के संस्थानों का, जिनमें अति संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं, बेरोकटोक निजीकरण और कोरपोरेटीकरण बंद करो, सार्वजनिक सेक्टर को मजबूत करो।
