


रिपोर्टर अतुल अग्रवाल की कलम से
365 दिन दिनरात 24 घण्टे आपातकाल ड्यूटी कोई नही मानदेय
आज सुबह हमने बोला आज सन्डे है आज छुट्टी रखेंगे न्यूज़ कवरेज करने नही जायेंगे
बच्चे प्रसन्न की आज पापा घर मे रहेंगे लेकिन 9 बजते ही फोन पर फोन आने हो गये शुरू
आश्चर्य होता हैं जब कहा जाता है पत्रकार ये होते हैं , पत्रकार वो होते हैं
पत्रकार को बड़े सम्मान के साथ उपाधि दी जाती है
ये मीडिया वो मीडिया
कभी बोलने और पत्रकारों के विषय मे लिखने से पहले एक बार
पत्रकारों की पीड़ा को समझा होता
पत्रकार 365 दिन 24 घण्टे सर्दी गर्मी धूप बरसात आँधी तूफान कैसा भी वक़्त हो अच्छी बुरी खबरों को आप तक पहुँचाने के लिये दिन रात भूखा प्यासा भागता ही रहते हैं वारदात , धरने प्रदर्शन आपकी समस्यायों को सरकार तक पहुँचाने के लिये
? लेकिन मिलता किया है
केवल आलोचनायें जनता के द्वारा बिकाऊ ये मीडिया वो मीडिया
पत्रकार अपने कार्यक्षेत्र में पूर्ण निष्ठा ईमानदारी के साथ कार्य करता है यदि सराहना नही कर सकते
कम से कम आलोचनायें तो न करे पांचों उंगलियां एक समान नही होती
सम्मान करने वाले व्यक्ति को ही सम्मान मिलता है
एक पत्रकार की कलम से

