राइटर अंजुम क़ादरी✍🏻
दिलचस्प लव स्टोरी पार्ट – 2
ब्यूरो रिपोर्ट ज़ाकिर अंसारी हल्द्वानी
सेल्समैन नरमीन से पैसे लेने लगा।
दो किताबों के पैसे काटलें।
एक इनको दें दें।
नरमीन को ना जाने क्या समाई थी।
ओह यह क्या कह रही हैं आप। मैं कल आकर ले जाऊंगा किताब।
मैं इस वक्त किताब लेने नहीं आया था। उसकी बौखलाहट ने निर्मिन को मज़ा दिया। उसने किताब उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा ले लीजिए प्लीज़।
मगर यह क्यों कर रही हैं आप?
वह भी बौखलाया हुआ था।
इसलिए कि मुझे किताबें पढ़ने वालों से खास लगाव है।
किताबों से आपकी मोहब्बत सही है लेकिन आप यह कैसे कह सकती हैं कि मैं किताबें पढ़ने का शौकीन हूं? वह अब एतमाद भरी मुस्कुराती नज़रों से उसे देख रहा था। मुमकिन है मैं यह किताब किसी और के लिए ले जाना चाहता हूं। हो सकता है। नरमीन ने उसकी तरफ देखा आप यह किताब किसी और के लिए खरीदना चाहते हों लेकिन जिस बेताबी से आपने यह किताब उठाई उससे लगा कि आप भी किताबों से मोहब्बत करने वालों में से हैं। मेरी तरफ से इसे बतौरे गिफ्ट कुबूल करें। मुझे खुशी होगी। इतना कहकर वह अपनी किताब लेकर दुकान से बाहर निकल आई। वह अभी कुछ कदम ही बड़ी थी कि वह तेज़ तेज़ चलता उसके पीछे आया वन मिनट रुके नरमीन ने मुड़ कर देखा। किताब उसके हाथ में थी मगर वह कुछ बेचैन सा लग रहा था।
सुनिए।
मैंने किताब तो ले ली है मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा मैं आपसे क्या कहूं। मैं वाकई किताबों का शौकीन हूं लेकिन क्या आप हर किताबों के शौकीन को इसी तरह किताबें बटती फिरती हैं। अगर ऐसा है तो आप मुझे पहले कभी नज़र क्यों नहीं आई जबकि मैं किताबों की दुकानों पर अक्सर आता जाता हूं। उसके साथ चलता तेज़ तेज़ बोल रहा था।
अब ऐसा भी नहीं है। गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए उसने उसे गौर से देखा था। उसे लगा जैसे वह दिल की एक धड़कन को मिस कर बैठी हो।
किसी एक लम्हे की बात होती है जब दिल सब कुछ दे देने पर तैयार हो जाता है। वह भी उस लम्हे की बात थी। आप की आंखों में जो इशतियाक़ था मेरे दिल ने कहा आपको कल तक इंतजार नहीं करवाना चाहिए। आप बातें बहुत अच्छी करती हैं। अपने दिल की तरह। मेरे दिल की खूबसूरती आपने कैसे जान ली। आपके दिल ने खुद अपनी खूबसूरती का इज़हार किया है।
क्या मैं आपका नाम पूछ सकता हूं?
नरमीन
मैं अब्दुल हूं। अब्दुल कमाल नरमीन को यह नाम कुछ जाना पहचाना सा लगा। पता नहीं पहले उसने कहा यह नाम सुना था। मेरा नाम सुनकर आप ने हैरत का इज़हार क्यों किया। उसका लहज़ा शौक था।
नहीं हैरात नहीं। कुछ जाना पहचाना सा लगा। शायद पहले कहीं सुना है। मगर कहां यह याद नहीं आ रहा। क्या आपने कभी एफएम 100 का ग़ज़ल टाइम सुना है? होंटों पर धीमी सी मुस्कुराहट के साथ अपनी तरफ देखता वह उसे बहुत अच्छा लगा हां हां और फिर उसे याद आ गया हां उसने यह नाम ग़ज़ल टाइम में सुना था जो अक्सर अपनी गज़लें सुनाता था और उसे उसकी गज़लें और आवाज़ दोनों ही अच्छी लगती थीं।
अच्छा तो आप वह अब्दुल कमाल हैं?
जी हां
तो आप शायर भी हैं? हां बस ज्यादा मशहूर शायर नहीं हूं बस कुछ साल से ही कदम रखे हैं इस मैदान में।
आप की गज़लें बहुत अच्छी होती है अब तो दिल चाह रहा है आपसे रूबरू आप की ग़ज़ल सुनी जाए।
तो चलिए।
अब्दुल ने उसकी बात काटकर कहा वह सामने काफी हाउस चलते हैं मेरी तरफ से किताब गिफ्ट करने पर एक कप कॉफी।
नरमीन हिचकीचाई तो वह मुस्कुरा कर बोला मेरा ही नहीं दूसरों का भी ख्याल है कि मैं एक शरीफ शख्स हूं और मेरी जेब में इतने पैसे ज़रूर है कि आपको एक कप कॉफी पिला सकूं।
जब वह काफी पी कर उठे तो उनके बीच दोस्ती का एक रिश्ता बन चुका था। नरमीन को तो हमेशा ऐसे लोग पसंद से पढ़े लिखे अदब नवाज़ फिर अब्दुल तो एक शाइर था जो इतनी खूबसूरत गज़लें कहता था। नरमीन की फैमिली में तो उसके अलावा कोई और ना था जो अदब की कद्र करता हो। उसके पापा भाई और रिश्तेदार सब बिजनेस मेंन थे।
जिनका अदब से दूर-दूर तक कोई रिश्ता ना था।
वह अपने खानदान की वाहिद लड़की थी जो
बी ए करने के बाद यूनिवर्सिटी पहुंची थी। वह शुरू से किताबें पढ़ने की शौकीन थी उर्दू के हर अच्छे अदीब को उसने पढ़ा था उसे यह शौक अपनी दोस्त जबी से लगा था जिसके बैग में हमेशा कोई किताब या मैगजीन होती थी। एक बार वह जबी के घर गई तो वहां किताबों की लाइब्रेरी देखकर हैरान रह गई थी। जबी के घर वाले किताबों के शौकीन थे।
हाई स्कूल के बाद उसका साथ जबी से साथ छूट गया था। लेकिन किताबें पढ़ने का जो चसका लगा था वह नहीं खत्म हुआ। अब वह खुद किताबें खरीदने लगी थी। ऐसे में अब्दुल ने उसके दिल में जगह बना ली थी तो कोई हैरत की बात ना थी। और खुद कब उसने अब्दुल के दिल में जगह बना ली थी अब्दुल हैरान था।