रिपोर्ट ज़ाकिर अंसारी संपादक कॉर्बेट बुलेटिन न्यूज़
हल्द्वानी रेलवे भूमि के अतिक्रमण में मज़हर नईम नवाब अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष (राज्यमन्त्री स्तर)उत्तराखण्ड ने आज हल्द्वानी की 25 हजार बेसहारा, गरीब व मजदूर लोगों पर दयनीय दृष्टि रखते हुए पुनः विचार करने को लेकर,
आदरणीय द्रौपदी मुर्मु जी, महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार,
आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली
अध्यक्ष केन्द्रीय मानवाधिकार आयोग,
अध्यक्ष केन्द्रीय अल्पसंख्यक आयोग,
लोकसभा अध्यक्ष, भारत सरकार,
राज्यपाल महोदय, उत्तराखण्ड सरकार,
केन्द्रीय रेल मंत्री, भारत सरकार
केन्द्रीय गृह मंत्री, भारत सरकार
केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड सरकारएक पत्र लिखा गया है।उत्तराखण्ड राज्य के जिला नैनीताल में हल्द्वानी 54 विधानसभा बनभूलपुरा क्षेत्र में 2007 में रेलवे विभाग द्वारा अपनी 6 एकड़ जमीन जिसमें लगभग 870 मकान अवैध घोषित किये गये थे। जिस संबंध में मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशित किया गया था कि न्याय प्रक्रिया के तहत संबंधित क्षेत्र में बने मकानों को खाली कर अतिक्रमण मुक्त किया जाये जिस कारण संबंधित क्षेत्र की जनता काफी परेशान है।
एक बड़ी आबादी नजूल व नगर निगम क्षेत्र के लगभग 25 हजार परिवार, 5 हजार मकान 29 एकड़ में रेलवे विभाग द्वारा अपना दावा किया गया है, जिसमें मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड द्वारा सुनवाई करते हुए अतिक्रतण हटाने का फैसला दिया गया है। जबकि आम जनता व जनप्रतिनिधि सीमांकन की मांग करते रहे तथा कुछ अपीलें जिला कोर्ट में विचाराधीन हैं तथा मा० उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई कर समस्त क्षेत्र के लिये फैसला दिया गया है 5 हजार अतिक्रमणकारियों में लगभग सैकड़ों मकान फ्रीहोल्ड हैं, जिसका पैसा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में पूर्व में मिल चुका है। नगर निगम द्वारा व नजूल विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर फ्रीहोल्ड किया गया है
तथा लगभग 100 वर्ष पूर्व पट्टे भी आवंटित किये गये थे जो आजादी से पूर्व के पट्टे हैं तथा वक्फ संपत्तियाँ हैं, जो आजादी से पूर्व की हैं। 100 वर्ष पुरानी मस्जिदें, मंदिर, स्कुल, बिजलीघर, मजार, पानी के ओवरहेड टैंक, ट्यूबवेल, अस्पताल भी इसमें शामिल हैं। लगभग 40-50 हजार की आबादी इस क्षेत्र में निवास करती है। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा सीवर लाईन, सड़कें, पानी की लाईनें, बिजली आदि मूलभूत सुविधायें दी गयी हैं। 1965 से कुछ स्थानों पर मलिन बस्ती क्षेत्र भी मौजूद है। रेलवे विभाग की भूमि पर लगभग 700 से 800 मकान अतिक्रमण के रूप में बने हैं। जिनके लिये 2014 से भारत सरकार द्वारा पुनर्वास के लिये राज्य सरकार को लिखा गया है तथा पुनर्वास की कार्यवाही की गयी थी, जिसके लिये केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को कुछ धनराशी भी आवंटित की गयी थी जिसके बावजूद इन गरीबों की सुनवाई नहीं की गयी है तथा न्याय नहीं मिल रहा है।
अतः आपसे सादर अनुरोध है कि संबंधित प्रकरण में एक स्टेडिंग कमेटी गठित करते हुए संबंधित प्रकरण की स्क्रूटनी कराते हुए मध्यस्थता के आधार पर जितनी भूमि की रेलवे के विकास के लिये आवश्यकता है, उतनी जगह से अतिक्रमण मुक्त कर, पुनर्वास की कार्यवाही करते हुए फ्रीहोल्ड व पट्टे धारकों तथा स्कूल, अस्पताल, बिजलीघर पानी के ओवरहेड टैंक, मंदिर, मस्जिद आदि को अतिक्रमण से मुक्त किया जाये। मामले की गंभीरता को देखते हुए, हस्तक्षेप करने की कृपा करें। यह आपकी ही प्रजा है, इस पर दयादृष्टि रखते हुए मिल बौटकर समाधान निकाले जाये, बिना बल प्रयोग किये राज्य सरकार अपने स्तर से गंभीर दृष्टि रखते हुए इन गरीबों को बेघर होने से इन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाये। हजारों की संख्या में आज लोग अतिक्रमण मुक्त कराने के खिलाफ महिलायें, बच्चे, बुजुर्ग. बीमार व बेसहारा लगभग 50 हजार लोग शांतिपूर्वक तरीके से सरकार से गुहार लगा रहे हैं..
सड़कों पर बैठे हैं, शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं। सर्दी के मौसम में इनकी आवाज को सुनते हुए। 25 करोड़ रूपये अतिक्रमण मुक्त करने के नाम पर रेलवे द्वारा खर्च किया जा रहा है, जिसमें सरकार की मदद से पुनर्वास के कार्य में इस पैसे को लगाया जा सकता है, इसे गरीबों के पुनर्वास में खर्च कर संबंधित प्रकरण का समाधान हो सकता है। क्षेत्रीय राज्य मंत्री होने के नाते आपसे निवेदन व गुहार लगा रहा हूँ । गरीबों, बेसहाराओं के आवास को आप अच्छी तरीके से जानते हैं, क्योंकि स्वयं आप ने भी गरीबी का दर्द देखा है। सहानुभुति रखते हुए. समस्या का समाधान निकालने की गुहार लगाई है। अब देखना यह होगा कितनी राहत अब जनता को मिलती है।