मुस्तजर फारूकी

कालाढूंगी नगर में स्मैक का कारोबार बढ़ता जा रहा है। युवक इसकी चपेट में आ रहे हैं। हैरत की बात यह है कि पुलिस स्मैक कारोबारियों पर कार्रवाई भी कर रही है। लेकिन नगर में इसका कोई असर नहीं दिख हा है। स्मैक विक्रेता नगर में अपनी पैठ गहरी करते जा रहे हैं। नगर के डाकबंगला सहित सभी वार्ड इनकी चपेट में हैं।नशा एक ऐसी बुराई है जो समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे को बर्बादी का घर कहा जाता है क्योंकि नशा चाहे कोई भी हो व्यक्ति और उसके परिवार दोनों के जीवन में जहर घोल देता है। जहां एक ओर नशे का कारोबार बढ़ता ही जा रहा है, वहीं बच्चों से लेकर बूढ़े तक नशा करते नजर आ रहे हैं। शहरों में ही नहीं बल्कि गांव में भी इसका कारोबार तेजी से फैल रहा है। नगर की अधिकांश युवा पीढ़ी नशे की पकड़ में आ चुकी है। जिसमे लड़की भी यहाँ हुड़किया चोड़ के जंगलों में स्मैक पीती है। इतना ही नहीं छोटे-छोटे गरीब बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं और उनका हंसता खेलता बचपन नशे के शिकंजे में जकड़ता जा रहा है। छोटे -छोटे बच्चों को पन्नी में सिलोचन पंचर जोड़ने की ट्यूब से नशा करने की लत लग गई है। यह लत इस कदर बढ़ चुकी है कि वह बच्चे अब रोटी के बिना तो रह सकते हैं लेकिन नशे के बिना नहीं। नशे के आदि हो चुकें नशेड़ी चोरी, लूटमार, रेप आदि जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। नगर में स्मैक, चरस, गांजा, कच्ची शराब आदि आराम से मिल जाती है जोकि पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। आखिर नगर के पास के इलाकों में नशा करने वाली चीजें लोगों को कैसे बेची जा रही हैं। जबकि पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ अभियान जारी है और दर्जनों नशा कारोबारियों को जेल भी भेजा गया है, लेकिन युवाओं और बच्चों में नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना भी जरुरी हो गया है। बच्चे किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए नींव होते है। अब देखना यह है कि विकास के बड़े बड़े दावे करने वाले राजनीतिक दल क्या सरकार का मुख्य बदलने के बाद इन मासूमों की सुध लेंगे।
इतना ही नही युवकों को गिरफ्त में ले रहे स्मैक विक्रेता और कॉलेज में पढऩे वाले युवकों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। इसके लिए ये युवकों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। कई युवक स्मैक की गिरफ्त में आकर अपनी जीवन को बर्बाद कर चुके हैं। इन युवकों के साथ उनका परिवार भी परेशान हैं। नगर में स्मैक के बढ़ते कारोबार से हर वर्ग के लोग चिंतित हैं। लोगों ने कहा कि पुलिस को स्मैक कारोबारियों पर सख्ती बरतनी चाहिए। इन लोगों पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव उपाए किए जाने चाहिए। इसके लिए समाजसेवियों की भी मदद ली जानी चाहिए। युवकों के बीच जागरूकता फैलानी चाहिए। कॉलेजों के आस-पास पुलिस को निगरानी बढ़ानी चाहिए। पुलिस अपने विशेष प्रयासों के बाद भी स्मैक कारोबारियों पर अंकुश लगा सकती है।
