कोरोना वायरस का खौफ जहां पूरी दुनिया को डरा रहा है, वहीं कुछ कैदियों के लिए यह राहत दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ऐसे कैदियों की रिहाई करने की तैयारी में है, जिन्हें सात साल या उससे कम अवधि की सजा हुई है। उन कैदियों को भी राहत मिल सकती है, जिनकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है और वे 14 साल की सजा काट चुके हैं। इसके अलावा उन विचाराधीन बंदियों को भी रिहा किया जा सकता है, जो सात साल से कम सजा वाली धाराओं के मुकदमे में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर अमल करते हुए प्रदेश सरकार ने सभी जिलों की जेलों से ऐसे कैदियों की सूची तलब की है। जिला कारागार अधीक्षक पीडी सलौनिया ने बताया कि रामपुर जेल में बंद कैदियों की सूची तैयार कर ली है। इस कैटेगरी में 140 कैदी आ रहे हैं, जिनकी रिहाई संभव है। इनमें 32 सजायाफ्ता हैं, जबकि 108 अंडर ट्रायल हैं और उन पर लगी धाराओं में सात साल से कम की सजा का प्रावधान है। 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई कैदी यहां नहीं है। इनकी सूची शासन को भेजी जा रही है।
Lockdown : रामपुर में बेवजह घूमने वालों को थमाया समाज के दुश्मन का पोस्टर
रामपुर की सीमा को सील कर दिया गया है। भ्रमण पर निकले एसडीएम गौरव कुमार ने मुरादाबाद मार्ग बार्डर सील कराने के साथ ही बिना आवश्यक कार्यों से गुजरने वाले बाइक सवार तथा बिना मास्क लगाए गुजरने वालों को रोका। उनको सजा के तौर पर पर्चे थमाए। उन पर लिखा था कि मैं समाज का दुश्मन हूं, बिना काम के बाहर घूमूंगा। इस अनूठे काम की सभी ने तारीफ की।
कोरोना को लेकर डब्ल्यूएचओ, शासन या प्रशासन के निर्देशों का गलत ढंग से प्रचार-प्रसार करने, विरोध करने, मजाक बनाने या किसी भी प्रकार की अफवाह फैलाने वालों को अब प्रशासन द्वारा चिह्नित किया जाएगा। उनकी ड्यूटी कोरोना संक्रमण से संदिग्ध रोगियों की देखभाल में लगाई जाएगी। जिलाधिकारी ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं।
डीएम आन्जनेय कुमार ने बताया कि इस संक्रमण के संदिग्ध लोगों की देखभाल के लिए पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। डब्ल्यूएचओ, सरकार अथवा प्रशासन के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने में सहयोग न प्रदान करने वाले लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। उन्हें चिह्नित करने के बाद आइसोलेशन वार्ड में उनकी ड्यूटी लगाई जाएगी। जहां वे इस वायरस संक्रमण के संदिग्ध लोगों की देखभाल करेंगे।