ब्यूरो रिर्पोट: शमशाद उस्मानी
बरेली- नवाब मियां खान-उर्से रज़वी में शामिल होने देश-विदेश के लाखों ज़ायरीन बरेली पहुँच रहे है। उनकी मदद के लिए दरगाह की तरफ से 1100 वालिंटियर लगाए गए है। जो ज़ायरीन के ठहराने,खान-पान,दरगाह पर हाज़िरी,ट्रैफिक आदि में मदद करेंगे। दरगाह के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी
(अहसन मियां) ने ज़ायरीन की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए है। किसी ज़ायरीन को कही कोई दिक्कत आती है तो वो लोग इन नम्बर पर कॉल कर मदद मांग सकते है।उर्स प्रभारी राशिद अलीखान7310128493
शाहिद नूरी 9219878651
अजमल नूरी 8077909456
नासिर कुरैशी 9897556434
परवेज़ नूरी 9259213602
ताहिर अल्वी 9219725692
औररंगज़ेब नूरी 9219722092
हाजी जावेदखान9760598843
(आला हज़रत और जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा का क़याम)आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा अलैहिर्रहमा ने जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा को सन 1920 ईस्वी में क़ायम किया यह वो वक़्त था जब मुल्क़ ऐ हिन्दुस्तान पर अंग्रेजो की हुकूमत थी और उस वक़्त बरेली के ताजदार ने हिन्दुस्तान के कौने कौने से उलेमाऐ अहले सुन्नत को एक प्लेटफार्म पर जमा किया और दीनो सुन्नियत और मसलको मज़हब और मुसलमानो के दीनी व दुनियावी मसाइल को हल करने के लिए एक तहरीक की बुनियाद रखी जिसका नाम रखा “जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा” फिर इस तहरीक के बैनर तले उल्माए अहले सुन्नत ने अपने अपने शहर में इसकी शाख क़ायम की और वक़्तन फ वक़्तन जैसे जैसे मुसलमानो के खिलाफ कोई साज़िश की गयी चाहे वो बद अक़ीदा वहाबियो की हो या हिंदुस्तान के गैर मुस्लिमो की साज़िश हो हर वक़्त यही तहरीक जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा ही थी जिसने हमेशा रहनुमाई की. तहरीक जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा ने क्या काम किया।उर्स प्रभारी सलमान मिया* ने बताया कि अब तक 105 साल में आला हज़रत की क़ायम करदा तहरीक ने जाने अब तक कितने ऐसे काम कर दिए जो कोई नहीं कर सका वो काम जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा ने कर दिया 105 साल में ना जाने कितनी तहरीकें बनी मगर थोड़े अर्से तक चली फिर पता नहीं कहा चली गयी अल्हम्दुलिल्लाह आला हज़रत की यह तहरीक जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा आज भी क़ायम है और हिन्दुस्तान तो हिन्दुस्तान बाहर के मुल्क़ों में भी मुसलमानो के दीनी व समाजी रहनुमाई के लिए यही तहरीक काम कर रही है जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा की सरपरस्ती सबसे पहले सरकार आला हज़रात ने की एक साल बाद आला हज़रत का विसाल हो गया फिर इसकी सरपरस्ती आला हज़रत के बड़े शहज़ादे जिनको ज़माना हुस्नो जमाल का पैकर यानी हुज़ूर हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा हामिद रज़ा खान साहब के नाम से जानती और पहचानती है उन्होंने इसकी सरपरस्ती फ़रमाई हुज्जतुल इस्लाम अपने इल्म और फ़ज्ल में तो लाजवाब थे ही साथ ही साथ उनका चेहरा ऐसा नूरानी था की जो देखता था दीवाना हो जाता था ना जाने कितने गैर मुस्लिमो को हज़रत के चेहरे से ही इस्लाम की हक़्क़ानियत समझ में आयी और कलमा पढ़कर इस्लाम में दाखिल हुए जब हुज़ूर हुज्जतुल इस्लाम का विसाल हुवा उसके बाद इस तहरीक की सरपरस्ती आला हज़रत के छोटे शहज़ादे यानी मुजद्दिद इब्ने मुजद्दिद सरकार मुफ़्ती ऐ आज़म हिन्द जैसी मुत्तक़ी और हक़ पसन्द बेबाक सख्सियत ने की और इनके ज़माने में कई फ़ित्नों ने सर उठाया मगर मुफ़्ती ऐ आज़म हिन्द ने अपने क़दम पीछे नहीं हटाए इन्दिरा गाँधी की हुकूमत थी हिन्दुस्तान में मुसलमानो की बढ़ती तादाद को देखकर इन्दिरा गाँधी ने नसबंदी का क़ानून लागु किया और 2 बच्चो से ज़्यादा बच्चें पैदा करने पर पाबन्दी लगायी गयी | और इंदिरा हुकूमत के दबाव में वहाबियो के फतवे बदल गए और कहने लगे नसबंदी जायज़ है पुरे हिन्दुस्तान में तन्हा वो सरकार मुफ़्ती ऐ आज़म हिन्द थे जिन्होंने फतवा दिया इस्लाम में नसबंदी हरगिज़ जायज नहीं हुकूमत ने दबाव डाला फतवा बदलने का कहा मगर अल्लाह के वली ने कहा फ़तवा तो नहीं बदलेगा हां वक़्त आने पर तुम्हारी हुकूमते बदल दी जाएगी फिर वही हुवा जो अल्लाह के वली की जुबान से निकला इंदिरा गांधी की हुक़ूमत पुरे हिंदुस्तान से चली गयी l सरकार मुफ़्ती ऐ आज़म हिन्द के विसाल बाद फिर इसकी सरपरस्ती उस ज़ात ने की जिनको सिर्फ़ हिन्दुस्तान पकिस्तान ही नहीं बल्कि पुरे आलमे इस्लाम में शहज़ादा ऐ आला हज़रत जानशीन सरकार मुफ़्ती ऐ आज़म हुज़ूर ताजुश्शरीअह हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खान अलैहिर्रहमा के नाम से जानती और पहचानती है ताजुश्शरीअह को कौन नहीं जानता ताजुश्शरीअह अपने इल्म और तक़्वा और परहेजगारी से पूरी दुनिया में जाने जाते थे सरकार ताजुश्शरीअह ने भी पूरी ज़िन्दगी आप जहाँ जहाँ जाते जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा की शाख क़ायम करते उसी जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफ़ा की इसवक्त सरपरस्ती शहज़ादा ऐ ताजुश्शरीअह हमशबीह ऐ ताजुश्शरीअह हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा साहब ( काज़ी उल कुज़्ज़ात फील हिन्द ) फरमा रहे है उनकी सरपरस्ती में अल्हम्दुलिल्लाह यह तहरीक बड़ी तेज़ी से दीनों सुन्नियत और मसलक और मज़हब और मुसलमानो के समाजी काम कर रही है अल्हम्दुलिल्लाह अब हिंदुस्तान के अनेक शहरों में जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफा की शाखें क़ायम हो चुकी हैं| जगह जगा पर दर्से बहारे शरीअत होता है दरगाह ताजुश शरिया में जमाअत रज़ा ऐ मुस्तफ़ा का हेड ऑफिस है | कई शहरों में इस तहरीक के तहत उर्दू, हिंदी, अरबी और फारसी की तालीम का इंतज़ाम है. आप खुद भी दीन की तालीम हासिल करें और अपने दोस्तों अहबाब और अपने बच्चो को भी दीनी तालीम से फ़ैज़याब करे |डॉ मेहँदी हसन, हाफिज इकराम,मोइन खान शमीम अहमद, मौलाना शम्स, मौलाना निजामुद्दीन, नदीम सोभानी, समरान खान, आबिद नूरी, क़ारी मुर्तज़ा, कारी वसीम, कौसर अली, यासीन खान, सय्यद रिज़वान, अब्दुल सलाम, गुलाम हुसैन, दांनी अंसारी आदि लोग मौजूद रहे।