बुद्धपार्क हल्द्वानी में श्रम कोड की प्रतियां जलायी गई
डेस्क डेस्क कॉर्बेट बुलेटिन
हल्द्वानी बुधवार को श्रम कोड जलाओ’ देशव्यापी प्रदर्शन के तहत बुद्धपार्क हल्द्वानी में श्रम कोड की प्रतियां जलायी गई ऐक्टू के राष्ट्रीय आह्वान पर ‘‘श्रम कोड रद्द करो’’ देशव्यापी अभियान के तहत 3 फरवरी को ‘‘श्रम कोड जलाओ’ देशव्यापी संयुक्त प्रदर्शन के तहत बुद्धपार्क हल्द्वानी में श्रम कोड की प्रतियां जलाई गई।1 फरवरी से 15 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान में 15 फरवरी को सभी राज्य राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरने दिये जायेंगे। इस अवसर पर ऐक्टू से जुड़ी यूनियनों के श्रमिकों को संबोधित करते हुए ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “किसानों की जमीन छीनकर अंबानी-अडानी सरीखे काॅरपोरेट घरानों के हवाले करने वाले मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का ऐतिहासिक देशव्यापी आंदोलन जारी है. इस अभूतपूर्व आंदोलन को मजदूरों समेत आम अवाम का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. ये विनाशकारी कृषि कानून न केवल किसानों व किसानी को तबाह कर देंगे, बल्कि आम जनता को दाने-दाने का मोहताज बना देंगे – खासकर असंगठित मजदूरों, मजदूरों की आगामी पीढ़ियों और गरीब अवाम को खाद्य सुरक्षा से भी वंचित कर देंगे क्योंकि खाने की वस्तुओं को बाजार और जमाखोरी के हवाले कर दिया जायेगा, राशन व पीडीएस प्रणाली समाप्त कर दी जाएगी.” उन्होंने कहा कि, “देश के मजदूरों को बड़े पूंजीपति घरानों, मालिक वर्ग का गुलाम बनाने के लिये मोदी सरकार ने 4 श्रम कानून (कोड) बना दिये हैं. मालिकों और पूंजी की गुलामी से खुद को बचाने के लिये देश के मजदूर वर्ग ने ब्रिटिश शासन के समय से ही लंबे संघर्षों और कुर्बानियों के जरिये कई श्रम कानून व अधिकार हासिल किये थे, जिन्हें मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है. केंद्रीय स्तर पर 44 श्रम कानूनों और कई राज्य कानूनों को खत्म कर 4 ऐसे श्रम काेड बना दिये गये हैं जो मजदूरों को पूरी तरह से मालिकों के रहमो-करम पर छोड़ देंगे. 12 घंटे का कार्य-दिवस देशभर में आम बनता जा रहा है और इसे कई, खासकर भाजपा शासित राज्यों ने कानूनी बना दिया है. जहां, इन सभी कृषि और श्रम-कोड कानूनों को लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते हुए संसद में बिना किसी बहस और वोटिंग के कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार ने पास कर दिया, वहीं श्रम कानूनों को बनाने की प्रक्रिया में ट्रेड यूनियन संगठनों ने जो कोई भी मजदूर-पक्षीय सुझाव दिये उन्हें रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया गया. यही असल मेें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘महामारी के संकट को अवसर मे बदलने’ के मंत्र का शर्मनाक सच है – किसानों की जमीन छीनना और लाॅकडाउन की मार से पीड़ित मजदूरों को मालिकों की गुलामी में धकेलना, ताकि काॅरपोरेट घरानों के मुनाफे के अंबार बढ़ते जाएं.”ऐक्टू नेता डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार की नोटबंदी से शुरू होकर लाॅकडाउन तक रोजगार का भारी पैमाने पर विनाश हो गया है. देश आज रिकाॅर्ड-तोड़ बेरोजगारी और साथ ही कमरतोड़ महंगाई के नीचे कराह रहा है. लाॅकडाउन उठने के बाद भी आज काम मिल नहीं रहा है या आंशिक तौर पर मिल रहा है
छंटनी बड़े पैमाने पर जारी है. 4 श्रम कोड मजदूरों के अधिकारों, रोजगार और सुरक्षा का खात्मा कर देंगे. न्यूनतम मजदूरी के सवाल को ही खत्म कर दिया गया है. मोदी सरकार ने सभी श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर वर्ग पर युद्ध की घोषणा कर दी है, मोदी सरकार द्वारा पेश बजट भी मजदूर किसान विरोधी है। किसानों की ही तरह मजदूरों का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है. ये कृषि कानून और श्रम कोड फांसी का फंदा है जिससे किसानों और मजदूरों को खुद को मुक्त करना है; किसानों ने इस दिशा में एक ऐतिहासिक आंदोलन छेड़ दिया है, अब अपने संघर्ष को और अधिक तेज करने की मजदूर वर्ग की बारी है। केवल तभी मजदूर-विरोधी श्रम कोड कानूनों को परास्त किया जा सकता है, देश की संपत्ति को बेचने के मंसूबों को परास्त किया जा सकता है.” उन्होंने कहा कि, “भारत को नए कंपनी राज से आजाद कराने और देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के संघर्ष को तेज करना वक्त की मांग है.”ऐक्टू के इस राष्ट्रव्यापी अभियान की मांगें हैं-
मजदूरों की गुलामी के 4 श्रम कोडों को रद्द करो, 3 कृषि कानूनों को रद्द करो, 12 घंटे का कार्य-दिवस नहीं चलेगा, बजट 2021 में सभी मजदूरों को समुचित लाॅकडाउन राहत दो, असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, स्वास्थ्य बीमा प्रदान करो, चाैतरफा बेरोजगारी, छंटनी पर रोक लगाओ, हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो।कार्यक्रम में ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा, डॉ कैलाश पाण्डेय, सनसेरा श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दीपक काण्डपाल, महामंत्री जोगेन्दर लाल, गणेश दत्त तिवारी, बीएसएनएल कैजुअल एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के ललितेश प्रसाद, नवीन काण्डपाल, चन्द्रा सिंह, सोनू सिंह, पूर्व सैनिक एन डी जोशी, क्रालोस के मोहन मटियाली आदि शामिल रहे।
छंटनी बड़े पैमाने पर जारी है. 4 श्रम कोड मजदूरों के अधिकारों, रोजगार और सुरक्षा का खात्मा कर देंगे. न्यूनतम मजदूरी के सवाल को ही खत्म कर दिया गया है. मोदी सरकार ने सभी श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर वर्ग पर युद्ध की घोषणा कर दी है, मोदी सरकार द्वारा पेश बजट भी मजदूर किसान विरोधी है। किसानों की ही तरह मजदूरों का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है. ये कृषि कानून और श्रम कोड फांसी का फंदा है जिससे किसानों और मजदूरों को खुद को मुक्त करना है; किसानों ने इस दिशा में एक ऐतिहासिक आंदोलन छेड़ दिया है, अब अपने संघर्ष को और अधिक तेज करने की मजदूर वर्ग की बारी है। केवल तभी मजदूर-विरोधी श्रम कोड कानूनों को परास्त किया जा सकता है, देश की संपत्ति को बेचने के मंसूबों को परास्त किया जा सकता है.” उन्होंने कहा कि, “भारत को नए कंपनी राज से आजाद कराने और देश के संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के संघर्ष को तेज करना वक्त की मांग है.”ऐक्टू के इस राष्ट्रव्यापी अभियान की मांगें हैं-
मजदूरों की गुलामी के 4 श्रम कोडों को रद्द करो, 3 कृषि कानूनों को रद्द करो, 12 घंटे का कार्य-दिवस नहीं चलेगा, बजट 2021 में सभी मजदूरों को समुचित लाॅकडाउन राहत दो, असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, स्वास्थ्य बीमा प्रदान करो, चाैतरफा बेरोजगारी, छंटनी पर रोक लगाओ, हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो।कार्यक्रम में ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा, डॉ कैलाश पाण्डेय, सनसेरा श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दीपक काण्डपाल, महामंत्री जोगेन्दर लाल, गणेश दत्त तिवारी, बीएसएनएल कैजुअल एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के ललितेश प्रसाद, नवीन काण्डपाल, चन्द्रा सिंह, सोनू सिंह, पूर्व सैनिक एन डी जोशी, क्रालोस के मोहन मटियाली आदि शामिल रहे।
मजदूरों की गुलामी के 4 श्रम कोडों को रद्द करो, 3 कृषि कानूनों को रद्द करो, 12 घंटे का कार्य-दिवस नहीं चलेगा, बजट 2021 में सभी मजदूरों को समुचित लाॅकडाउन राहत दो, असंगठित मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, स्वास्थ्य बीमा प्रदान करो, चाैतरफा बेरोजगारी, छंटनी पर रोक लगाओ, हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो।कार्यक्रम में ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा, डॉ कैलाश पाण्डेय, सनसेरा श्रमिक संगठन के अध्यक्ष दीपक काण्डपाल, महामंत्री जोगेन्दर लाल, गणेश दत्त तिवारी, बीएसएनएल कैजुअल एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के ललितेश प्रसाद, नवीन काण्डपाल, चन्द्रा सिंह, सोनू सिंह, पूर्व सैनिक एन डी जोशी, क्रालोस के मोहन मटियाली आदि शामिल रहे।