रिपोर्टर – समी आलम
हल्द्वानी – राज्य में पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहली बार राज्य में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष सभी 12 जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। जिला पंचायत अध्यक्षों ने प्रशासक बनने के लिए कमर कस ली है। नैनीताल जिले की बात करें तो यहां जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को कार्यकाल पूरा करने के बाद पहली बार प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह ऐसा अवसर है, जब किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को प्रशासक के रूप में जिला पंचायत की गद्दी पर बैठाया गया है। भाजपा ने इस निर्णय को पंचायती राज अधिनियम में निहित प्रावधानों और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं के अनुरूप बताया है। वहीं, कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए कहा कि इस निर्णय से लोकतंत्र में आस्था रखने वालों की आस्था को ठेस पहुंची है। पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान है कि यदि किसी कारणवश त्रिस्तरीय पंचायतों में समय पर चुनाव नहीं हो पाते हैं, तो उनमें अधिकतम छह माह के लिए प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। बताया गया कि एक्ट में प्रशासक को परिभाषित नहीं किया गया है। देखा गया है कि मेयर, अध्यक्ष, नगर निगम, नगर पालिका परिषद के पार्षद का कार्यकाल एक साल पहले समाप्त होने के बाद प्रशासनिक अधिकारी ही प्रशासक के तौर पर सरकारी कामकाज देख रहे हैं। इसी क्रम में नैनीताल जिले में पहली बार बेला तोलिया का नाम चेयरमैन की सूची में दो बार दर्ज होगा, एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष और दूसरी बार प्रशासक के तौर पर। यदि बात की जाए जिला पंचायतों में निवर्तमान अध्यक्ष को प्रशासक की जिम्मेदारी दिए जाने के फैसले से राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। सरकार ने इसे पंचायती राज अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई बताया है। इस एक्ट की कार्रवाई में जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नामित करने की धारा लिखी गई है।