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रिपोर्टर-मुस्तजर फारूकी
देहरादून । उपलब्धियां गिनाते हुए चल रही धामी सरकार के लिए कल देहरादून में हुआ बेरोजगारों पर लाठीचार्ज अब तक इस सरकार के कार्यकाल की सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है। अभी तक पुष्कर सिंह धामी अपने कार्यकाल के दौरान हुये तमाम घोटालों पर त्वरित कार्रवाई कर वाहवाही लूट रहे थे। लेकिन लाठीचार्ज वह भी बर्बरता से, राज्य के युवाओं को घायल कर सरकार चलाने वाला पुष्कर सिंह धामी को नहीं माना जा सकता।ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर एकाएक ऐसा क्या हुआ जो युवाओं को इस कदर बलपूर्वक नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस हुई। हालांकि पुलिस प्रशासन का तर्क है कि आंदोलन कर रहे लोगों के बीच उपद्रवी तत्वों ने बलप्रयोग को विवश किया। लेकिन जिस तरह से तस्वीरें और वीडियो आ रहें हैं वह हल्का बलप्रयोग नहीं लग रहा है।सरल और सौम्य स्वभाव के लिए जाने जाते हैं पुष्कर सिंह धामी।कम से कम वह किसी भी तरह से ऐसे बलप्रयोग के पक्ष में नहीं हो सकते। फिर सवाल उठता है कि कहीं युवा पुष्कर सिंह धामी की लोकप्रियता को देखते हुए उनके नेतृत्व में चल रही सरकार को बदनाम करने की कोई कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कल के लाठीचार्ज की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दे दिये हैं।उधर अब एक और षड्यंत्र इस घटनाक्रम के बाद शुरू हो गया है। प्रदर्शन करने वाले हजारों बेरोजगार नौजवानों को उपद्रवी साबित करने की तैयारी कर दी गई है। क्या खुद के भविष्य को संवारने की खातिर बेरोजगार उपद्रवी बनेगा? घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन आहत नौजवानों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय उन्हें हिंसक साबित करना कोई बुद्धिमत्ता नहीं है।
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