
रिपोर्ट मुस्तज़र फारूकी
हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण को लेकर जमीन का जो मसला था इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है और साथ साथ ही रेलवे और सरकार को नोटिस भी जारी करके कहा गया है कि जमीन की खरीद-फरोख्त का सवाल है, 7 दिन के भीतर 50 हजार लोगों को इस तरह से नहीं हटाया जा सकता, उनके पुनर्वास को लेकर क्या व्यवस्था है, इसको लेकर रेलवे से जवाब मांगा गया है।वही सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद हल्द्वानी के समाजसेवी हाजी अब्दुल मालिक सहित कांग्रेस सपा आप पार्टी के तमाम नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर एक दूसरे को मिठाई भी खिलाई, हल्द्वानी से समाजसेवी अब्दुल मलिक ने कहा इस जीत की बधाई की पात्र सुप्रीम कोर्ट है,

क्योंकि वह न्याय का मंदिर है और वहां से कभी किसी को निराशा नही मिलती है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने रेलवे अतिक्रमण के मामले में ठीक तरह से सुनवाई नहीं की, पर जल्दबाजी में फैसला देते हुए एक सप्ताह के भीतर हजारों लोगों को बेघर करने के आदेश दे दिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की बहुत ही बारीकी से सुनवाई की और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है, सुप्रीम कोर्ट का स्टे लाने के बाद हाजी अब्दुल मलिक का हल्द्वानी पहुँचने पर फूल मालाओ से स्वागत किया गया इस दौरान लाइन नंबर 17 में मौजूद हज़ारों लोगों ने मिठाई बांटी और मालिक को लड्डू में तोला गया । बही मालिक ने अपने सम्बोधन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट से सटे होने के बाद हजारों की संख्या में बेघर हो रहे लोगों को बचा लिया है। वहीं उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास की बात कही है, जिसे राज्य सरकार को भी अमल करने की जरूरत है और यहां के लोगों के लिए पहले पुनर्वास की व्यवस्था हो। वही सपा के प्रदेश प्रमुख महासचिव शोएब अहमद ने बताया की यह बनभूलपुरा के लोगों की पहली जीत है अभी आगे फतह करनी है,
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वकील लुबना नाज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि उस जमीन पर कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं, जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।
